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31.10.17
30.10.17
फेसबुक वाली दोस्ती का सच
आजकल दोस्तों फेसबुक पर किसी भी दोस्त की फ्रेंड़ लिस्ट देखों तो किसी के भी 1000 दोस्त से कम नहीं होंगे--- लेकिन उनमे से कितने ही दोस्तों की कहानी बिल्कुल अलग ही होगी-- आपकी फ्रेंड लिस्ट में कितने ही दोस्त हो लेकिन उनमे से आपके पास कितनों के मोबाइल नम्बर है ये आपको सोचना होगा---
Adult film posters outside Higher Secondary School- A breeding ground for juvenile delinquency?
इस्लामियां कालेज रोड पर खलील हायर सेकेण्डरी स्कूल के सामने वयस्क फिल्मों के पोस्टर लगे रहने की शिकायत जिलाधिकारी व एस एस पी से की है। इन पोस्टरों में अश्लील सामग्री से कम आयु के छात्रों के कोमल मस्तिष्क पर पड़ने वाला बुरा प्रभाव उन्हें यौन अपराधों कीओर दुष्प्रेरित कर सकता है। इसकी परवाह न तो स्कूल प्रशासन को है न ही अभिभावकों को। इस मार्ग पर राजकीय इंटर कालेज सहित कई अन्य शिक्षण संस्थाएं भी होने के कारण बच्चों का आवागमन रहता है। हाल के वषों में किशोर अपराधिकता बढ़ी है, निर्भया कांड भी इसका उदाहरण है। शहर के सभी शिक्षण संस्थानों के पास ऐसे पोस्टर लगाने पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया है। पत्र की कॉपी महिला बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी को भी भेजी है।
-डा0 प्रदीप कुमार
District Magistrate,
Bareilly
Sub: Adult film posters outside Higher Secondary School- A breeding ground for juvenile delinquency?
-डा0 प्रदीप कुमार
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To,District Magistrate,
Bareilly
Sub: Adult film posters outside Higher Secondary School- A breeding ground for juvenile delinquency?
सोचने का तरीका बदल गया
आजकल सोचने के तरीका बदल गया है, मुझे अपना ही लगता है- या सबका ऐसा ही. तय है सभी का हाल ही यही है। मेरी उम्र के जो नौजवान है , उनका तो हाल भी यही है. पीएम मोदी ने देश की दशा और दिशा बदल दी है। लेकिन आज तक उनका ब्यान नहीं बदला है 'मेरे देश के सवा सौ करोड़ देश वासियों' केदारनाथ यात्रा पर गए पीएम मोदी का आज भी वही ज्ञान था वही आकंड़े थे जो आज से कई साल पहले थे - मेरे शब्दों में उसपर विचार कुछ महीने पहले भी यहीं ही थे। खैर उम्मीद है मेरे देश की जनसंख्या के आंकड़े भी पीएम मोदी के अल्फ़ाज़ों में जल्द बदल जाएंगे।
वाराणसी में पीएमओ की कोई ईकाई नहीं
मीडिया में अक्सर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोक सभा क्षेत्र वाराणसी में मिनी पीएमओ (प्रधान मंत्री कार्यालय) होने की बात चर्चा में आती है. लेकिन पीएमओ द्वारा लखनऊ स्थित एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर को आरटीआई में दी गयी सूचना के अनुसार वाराणसी में पीएमओ की कोई ईकाई नहीं है. नूतन ने वाराणसी में पीएमओ की किसी ईकाई या कार्यालय की स्थापना के सम्बन्ध में अभिलेख देने का अनुरोध किया था जिसपर पीएमओ के जन सूचना अधिकारी प्रवीण कुमार ने अपने पत्र दिनांक 26 अक्टूबर 2017 द्वारा स्पष्ट किया कि वाराणसी में पीएमओ की कोई ईकाई या कार्यालय नहीं है.
28.10.17
27.10.17
चंदौली में चेरो जाति को किया जा रहा मूल अधिकार से वंचित
चेरो जाति का जाति प्रमाण पत्र न बनाए जाने के विरूद्ध जिलाधिकारीको भेजा पत्र
मजदूर किसान मंच चलायेगा हस्ताक्षर अभियान
मुगलसराय, चंदौली, 27 अक्टूबर 2017, चंदौली जनपद में चेरों जातिको अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र न दिया जाना उनके संविधानप्रदत्त मूल अधिकारों का हनन है। इसके विरूद्ध आज मजदूर किसानमंच ने जिलाधिकारी को पत्रक भेजा जिसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री औरप्रमुख सचिव समाज कल्याण को भी भेजी गयी है। गौरतलब है किविगत दिनों स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्यअखिलेन्द्र प्रताप सिंह के चंदौली जनपद के दौरें में चेरो समाज के लोगोंने यह तथ्य संज्ञान में लाया था।
मजदूर किसान मंच चलायेगा हस्ताक्षर अभियान
मुगलसराय, चंदौली, 27 अक्टूबर 2017, चंदौली जनपद में चेरों जातिको अनुसूचित जाति का जाति प्रमाण पत्र न दिया जाना उनके संविधानप्रदत्त मूल अधिकारों का हनन है। इसके विरूद्ध आज मजदूर किसानमंच ने जिलाधिकारी को पत्रक भेजा जिसकी प्रतिलिपि मुख्यमंत्री औरप्रमुख सचिव समाज कल्याण को भी भेजी गयी है। गौरतलब है किविगत दिनों स्वराज अभियान की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्यअखिलेन्द्र प्रताप सिंह के चंदौली जनपद के दौरें में चेरो समाज के लोगोंने यह तथ्य संज्ञान में लाया था।
लग तो यही रहा है कि भगवा तेवर में होगा अगला चुनाव
-निरंजन परिहार-
रंग दे तू मोहे गेरुआ..... ना तो देश की जनता ने यह गाया और ना ही ‘दिलवाले’ फिल्म में गाए शाहरुख खान के इस गाने के पीछे कोई पूरे देश की भावना थी। फिर भी लग ऐसा रहा है कि जैसे जैसे अगला लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, पूरा देश धीरे धीरे गेरुआ यानी भगवा रंग की तरफ बढ़ता रहा है। माहौल भगवा होता जा रहा है और बीजेपी के यह रंग सुहाता भी है। योगी आदित्यनाथ इस रंग के प्रतीक पुरुष के रूप में उभर रहे हैं और साफ लग रहा है कि आनेवाले दिनों में देश की राजनीति का यह गेरुआ होता रंग कुछ और गाढ़ा होता जाएगा। जिसकी धारा में बहकर कांग्रेस मझधार में ही अटक जाएगी। और देश में फिर से हिंदुत्व के वोटों की फसल लहलहाएगी।
रंग दे तू मोहे गेरुआ..... ना तो देश की जनता ने यह गाया और ना ही ‘दिलवाले’ फिल्म में गाए शाहरुख खान के इस गाने के पीछे कोई पूरे देश की भावना थी। फिर भी लग ऐसा रहा है कि जैसे जैसे अगला लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, पूरा देश धीरे धीरे गेरुआ यानी भगवा रंग की तरफ बढ़ता रहा है। माहौल भगवा होता जा रहा है और बीजेपी के यह रंग सुहाता भी है। योगी आदित्यनाथ इस रंग के प्रतीक पुरुष के रूप में उभर रहे हैं और साफ लग रहा है कि आनेवाले दिनों में देश की राजनीति का यह गेरुआ होता रंग कुछ और गाढ़ा होता जाएगा। जिसकी धारा में बहकर कांग्रेस मझधार में ही अटक जाएगी। और देश में फिर से हिंदुत्व के वोटों की फसल लहलहाएगी।
शिवपाल को खलनायक बनाने का कुच्रक
अजय कुमार, लखनऊ
समाजवादी परिवार के बीच खिंची दीवारों की दरारें गहराती जा रही हैं। पूरा परिवार दो हिस्सों में बंट गया है तो नेताजी मुलायम सिंह यादव की स्थिति घड़ी के पैंडुलम जैसी हो गई है। न पुत्र मोह से बच पा रहे हैं, न भाई से ममता कम हो रही है। इसी लिये मुलायम के बयानों में भटकाव दिखाई देता है। वह कभी कुछ कहते हैं तो कभी कुछ बोलते हैं। लोग समझते हैं कि यह नेताजी की उम्र का तकाजा है,परंतु सच्चाई यह है कि नेताजी के दर्द को कोई समझने की ही कोशिश नहीं कर रहा है। वह एकता में शक्ति देख रहे हैं,जबकि परिवार के सदस्य अपनी-अपनी ‘लाठी को तेल पिला रहे हैं।‘ इससे अगर किसी को नुकसान हुआ है तो वह सिर्फ और सिर्फ शिवपाल यादव हैं। शिवपाल हासिये पर ढकेल दिये गये हैं,लेकिन शिवपाल को इससे अधिक दुख इस बात का है कि समाजवादी पार्टी में उनकी भावनाओं और रणनीति को कोई समझ ही नहीं पा रहा है। शिवपाल को जोड़तोड़ की राजनीति का माहिर माना जाता है।
समाजवादी परिवार के बीच खिंची दीवारों की दरारें गहराती जा रही हैं। पूरा परिवार दो हिस्सों में बंट गया है तो नेताजी मुलायम सिंह यादव की स्थिति घड़ी के पैंडुलम जैसी हो गई है। न पुत्र मोह से बच पा रहे हैं, न भाई से ममता कम हो रही है। इसी लिये मुलायम के बयानों में भटकाव दिखाई देता है। वह कभी कुछ कहते हैं तो कभी कुछ बोलते हैं। लोग समझते हैं कि यह नेताजी की उम्र का तकाजा है,परंतु सच्चाई यह है कि नेताजी के दर्द को कोई समझने की ही कोशिश नहीं कर रहा है। वह एकता में शक्ति देख रहे हैं,जबकि परिवार के सदस्य अपनी-अपनी ‘लाठी को तेल पिला रहे हैं।‘ इससे अगर किसी को नुकसान हुआ है तो वह सिर्फ और सिर्फ शिवपाल यादव हैं। शिवपाल हासिये पर ढकेल दिये गये हैं,लेकिन शिवपाल को इससे अधिक दुख इस बात का है कि समाजवादी पार्टी में उनकी भावनाओं और रणनीति को कोई समझ ही नहीं पा रहा है। शिवपाल को जोड़तोड़ की राजनीति का माहिर माना जाता है।
25.10.17
अरुषि-हेमराज मर्डर केस में सच बोलती तस्वीर! गुस्ताख़ी माफ!
देश की बड़ी मर्डर मिस्ट्रियों में एक अरुषि-हेमराज मर्डर केस भी है। उसकी नाकामी की सबसे बड़ी वजह पुलिस तो है ही लेकिन मीडिया की नाकामी को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। भारतीय मीडिया की नाकामी के सबूत के तौर पर मील का पत्थर बन चुकी उस वारदात को समझने के लिए इस तस्वीर को ग़ौर से और खुले ज़हन से देखना होगा।
पहाड़ के निवासियों के विस्थापन की पीड़ा को उजागर करती एक कविता
मै पहाड़ी डॉक्टर हूँ,
पर पहाड़ नहीं जाऊंगा।
मै पहाड़ी मास्टर हूँ,
पर पहाड़ में नहीं पढ़ाऊँगा।।
मै पहाड़ी बाबू हूँ,
पहाड़ के दफ्तर में नहीं बैठना है।
यू पी के वक्त पहाड़ में नौकरी की ललक थी,
पर अब मुझे पहाड़ नहीं लौटना है।।
पर पहाड़ नहीं जाऊंगा।
मै पहाड़ी मास्टर हूँ,
पर पहाड़ में नहीं पढ़ाऊँगा।।
मै पहाड़ी बाबू हूँ,
पहाड़ के दफ्तर में नहीं बैठना है।
यू पी के वक्त पहाड़ में नौकरी की ललक थी,
पर अब मुझे पहाड़ नहीं लौटना है।।
RTI : No plans in MHA on one Crore martyr compensation
While Union Home Minister Rajnath Singh has been repeatedly announcing that every slain policeman (martyr) shall be getting Rs. One crore as the compensation money, there seems to be no such move made in the Ministry of Home Affairs, Government of India.
24.10.17
भ्रष्टाचार को पोषित करने का फरमान क्यों?
-ललित गर्ग-
भ्रष्टाचार की खबर छापने तक पर रोक लगाने के राजस्थान सरकार के नये कानून ने न केवल लोकतंत्र की बुनियाद को ही हिला दिया है बल्कि चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के इस वादे की भी धज्जियां उडा दी है जिसमें सुशासन एवं लोकतंत्र की रक्षा के लिये हरसंभव प्रयत्न का संकल्प व्यक्त किया था। इस अध्यादेश के माध्यम से प्रान्तीय सरकार ने जजों, पूर्व जजों और मजिस्ट्रेटों समेत अपने सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान लिए गए फैसलों पर सुरक्षा प्रदान करने का जो कानून बनाया है, वह वाकई आश्चर्यजनक है। इस तरह के कानून से न केवल भ्रष्टाचार को बल मिलेगा, बल्कि राजनीति एवं प्रशासन के क्षेत्र में तानाशाही को बल मिलेगा। ऐसा बेतुका ‘नादिरशाही’ फरमान जारी करके राज्य सरकार भारत के संविधान में प्रदत्त न्यायपालिका एवं मीडिया की स्वतन्त्रता पर अंकुश लगाना चाहती है और पुलिस को अकर्मण्य बना देना चाहती है। इस पूरे अध्यादेश पर न केवल राजस्थान में बल्कि समूचे राष्ट्र में राजस्थान सरकार का जमकर विरोध हो रहा है। विपक्षी पार्टियों, पत्रकारों, भ्रष्टाचार विरोधी लोगों समेत सोशल मीडिया पर आम जनता राजस्थान सरकार पर इस अध्यादेश को लेकर जमकर बरस रही है।
भ्रष्टाचार की खबर छापने तक पर रोक लगाने के राजस्थान सरकार के नये कानून ने न केवल लोकतंत्र की बुनियाद को ही हिला दिया है बल्कि चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी के इस वादे की भी धज्जियां उडा दी है जिसमें सुशासन एवं लोकतंत्र की रक्षा के लिये हरसंभव प्रयत्न का संकल्प व्यक्त किया था। इस अध्यादेश के माध्यम से प्रान्तीय सरकार ने जजों, पूर्व जजों और मजिस्ट्रेटों समेत अपने सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान लिए गए फैसलों पर सुरक्षा प्रदान करने का जो कानून बनाया है, वह वाकई आश्चर्यजनक है। इस तरह के कानून से न केवल भ्रष्टाचार को बल मिलेगा, बल्कि राजनीति एवं प्रशासन के क्षेत्र में तानाशाही को बल मिलेगा। ऐसा बेतुका ‘नादिरशाही’ फरमान जारी करके राज्य सरकार भारत के संविधान में प्रदत्त न्यायपालिका एवं मीडिया की स्वतन्त्रता पर अंकुश लगाना चाहती है और पुलिस को अकर्मण्य बना देना चाहती है। इस पूरे अध्यादेश पर न केवल राजस्थान में बल्कि समूचे राष्ट्र में राजस्थान सरकार का जमकर विरोध हो रहा है। विपक्षी पार्टियों, पत्रकारों, भ्रष्टाचार विरोधी लोगों समेत सोशल मीडिया पर आम जनता राजस्थान सरकार पर इस अध्यादेश को लेकर जमकर बरस रही है।