31.7.18

‘पीसमेकर’ ने 11 जांबाज आईपीएस अधिकारियों को सम्मानित किया

अंग्रेजों के जमाने की पुलिसिंग को बदलने की है जरूरत : जनरल वी के सिंह

भारतीय पुलिस एवं अर्द्धसैन्य बलों पर केन्द्रित मासिक हिन्दी पत्रिका ‘पीसमेकर’ ने अपने 15वें स्थापना दिवस पर पहली बार देश भर के 11 जांबाज आईपीएस अधिकारियों को सम्मानित किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनरल डॉ. वी. के. सिंह (पूर्व सेनाध्यक्ष), विदेश राज्यमंत्री, भारत सरकार थे। उन्होंने सभी 11 आईपीएस अधिकारियों को पीसमेकर वीरता ट्रॉफी व मेडल देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर पूर्व आईपीएस अधिकारी व उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह भी उपस्थित थे। मुख्य अतिथि ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी सम्मानित भी किया।

इस अवसर पर मौजूद तमाम आईपीएस अधिकारियों व श्रोताओं को संबोधित करते हुए जनरल डॉ. वी. के. सिंह (पूर्व सेनाध्यक्ष) ने कहा कि आज भी अंग्रेजों के जमाने की पुलिसिंग हो रही है, जिसे अब बदलना जरूरी है। जब निर्भया कांड के बाद इंडिया गेट पर जब कैंडल मार्च निकालने वालों पर लाठीचार्ज किया गया, तब एहसास हुआ कि आज भी 1947 से पहले वाली जैसी पुलिसिंग हो रही है, जिसे अब बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि बेहतर पुलिसिंग तभी संभव है, अगर आम नागरिक की पहुंच पुलिस अधिकारी तक आसान हो और पुलिस की भाषा में मुधरता हो।

वहीं प्रकाश सिंह ने कहा कि पुलिस की आलोचना तो सभी करते हैं, लेकिन इसके पीछे के कारण के बारे में कोई नहीं सोचता। अगर हर जगह शांति है तो कोई इसका श्रय पुलिस को नहीं देता, लेकिन कुछ अप्रिय घटना हो जाए तो पुलिस को कोसने में कोई कसर नहीं छोड़ता। इस सोच को बदलने के लिए पुलिस रिफॉर्म में आने वाली अड़चनों को दूर करना होगा।

‘पीसमेकर वीरता पुरस्कार-2018’ के बारे में पीसमेकर पत्रिका के प्रबंध संपादक संतोष कुमार ‘सरस’ का कहना है कि ‘‘यह वीरता पुरस्कार प्रतिवर्ष उन आईपीएस अधिकारियों को दिया गया, जिन्होंने अपने नायाब पुलिसिंग से समाज सेवा के नये प्रतिमान गढ़े, जिन्होंने अन्य जवानों के लिए प्रेरणादायी कार्य किया, जिनकी कर्तव्यपरायणता अन्य राष्ट्र रक्षकों के लिए मागदर्शक बनी, जिन्होंने एक टीम लीडर के रूप में अपने दल का नेतृत्व किया, जिन्होंने शांतिप्रिय नागरिकों के जीवन में खलल डालने का कुत्सित प्रयास करने वाले अपराधियों का नाश किया, जिन्होंने भ्रष्टाचार के विरूद्ध बिगूल फूंका, जिन्होंने किसी केस विशेष की जांच, बिना किसी दवाब के अडिग रहकर की और उसे अंजाम तक पहुंचाया, जिन्होंने अपने समाजिक पुलिसिंग से समाज के सभी संप्रदायों के बीच सौहार्द एवं भाईचारे का प्रवाह किया, जिन्होंने नक्सलियों पर नकेल कसी, जिन्होंने देश के आर्थिक अपराधियों को सलाखों के पीछे पहंचाया, जिन्होंने चंबल के डकैतों से लोहा लिया, जिन्होंने साइबर क्राइम करने वालों को ढुंढ़कर निकाल... यानि हर उस वर्दीधारी को 'पीसमेकर वीरता पुरस्कार' दिया गया, जिन्होंने देश के मूल सिद्धान्त शांतिपूर्ण सह अस्तित्व को स्थापित करने में महति भूमिका निभाई, जिन्होंने अपनी पुलिसिंग से जनता के दिलों पर राज किया।

इसी कार्यक्रम के दौरान मीडिया संवाद का भी आयोजन किया गया, जिसमें 'सुरक्षा बलों पर उठते सवाल : मानवाधिकारों की फिक्र या राजनीति की नई चाल' विषय पर विभिन्न वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर कांग्रेस के युवा नेता शहज़ाद पूनावाला भी मौजूद रहे।

पीसमेकर बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित राष्ट्र रक्षक

1. श्री उमेश मिश्र, एडीजी, एसटीएफ एसओजी, राजस्थान
2. श्री राबिन हिबु, जॉइंट सीपी, राष्ट्रपति भवन सुरक्षा, नई दिल्ली
3. श्री अनिल किशोर यादव, आईजी, बिहार
4. श्री मनोज कुमार वर्मा, आईजी, दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल
5. श्री हरिनारायणाचारी मिश्र, डीआईजी इंदौर, मध्यप्रदेश
6. श्री मनु महाराज, एसएसपी पटना, बिहार
7. श्री पंकज चौधरी, एसपी एससीआरबी, जयपुर, राजस्थान
8. श्री शैलेन्द्र प्रसाद वर्णवाल, एसपी पाकुड़, झारखंड
9. श्री आकाश तोमर, एसपी सिटी, गाजियाबाद, उत्तरप्रदेश्
10. मो. इकबाल, कमांडेंट सीआरपीएफ, बांदीपुरा, जम्मू-कश्मीर
11.  कमांडो सोहन सिंह, राजस्थान पुलिस

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