20.7.18

एक शाम डॉ कुंवर बेचैन के नाम- ''चाँदनी चार क‍़दम, धूप चली मीलों तक''


गाजियाबाद। अखिल भारतीय साहित्य परिषद संस्था की ओर से रविवार को जिला मुख्यालय के बार सभागार में एक शाम देश के वरिष्ठ कवि डॉ कुंवर बेचैन के नाम से काव्य संध्या का आयोजन किया गया।  इस कार्यक्रम में सौकड़ों की संख्या में शहर के साहित्य प्रेमियों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के दौरान संस्था की अध्यक्ष मीरा सलभ ने घोषणा किया कि डॉ कुवर बेचैन के नाम से हर वर्ष हर वर्ष संस्था की ओर से एक साहित्यकार को सम्मानित किया जाएगा। इस सम्मान का नाम  महाकवि डॉ कुवर बेचैन शिखर सम्मान होगा और इसकी धनराशी 11 बजार रुपए की होगी। इस सम्मान की शुरूआत में पहला सम्मान कार्यक्रम के दौरान डॉ कुवर बेचैन दे कर किया गया। इस मौके पर डॉ कुंवर बेचैन के जिवन पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी दिखाई गई।

कार्यक्रम में अध्यक्ष के रुप में देश के वरिष्ठ ओज के कवि कृष्ण मित्र, मख्य अतिथि के रुप में जिला जज गिरजेश कुमार पाण्डेय और विशिष्ट अतिथि के रुप में संस्था के मेरठ प्रांत के अध्यक्ष देवेंद्र देव मिर्जापुरी मौजूद थे। सभी अतिथियों ने डॉ कुंवार बेचैन के साहित्य संसार और उनके सहज व सलर व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।

इस मौके पर डॉ कुंवर बेचैन ने एकल काव्य पाठ करते हुए सभागार में मौजूद श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दया। इस मौके पर उन्होंने अपने कई गीत गजलों और छंदों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन शायर उत्कर्ष गाफिल ने किया। कार्यक्रम के दौरान  चेतन आनंद, वंदना कुंवर रायजादा, शरद रायजादा, वर्णिका, सिद्धार्थ, अल्पना सुहासनी, अशोक श्रीवास्तव, महेश आहूजा, तूलिका सेठ,रोमी माथुर, अंजु जैन गिरीश सारस्वत आदि मौजूद रहे।

डॉ कुंवर बेचैन ने जो रचाएं सुनाईं..

हो के मायूस न यूं शाम-से ढलते रहिये
ज़िन्दगी भोर है सूरज-से निकलते रहिये 

ज़िंदगी यूँ भी जली, यूँ भी जली मीलों तक
चाँदनी चार क‍़दम, धूप चली मीलों तक

प्यार का गाँव अजब गाँव है जिसमें अक्सर
ख़त्म होती ही नहीं दुख की गली मीलों तक

दोनों ही पक्ष आए हैं तैयारियों के साथ
हम गर्दनों के साथ हैं वो आरियों के साथ

बोया न कुछ भी, फ़सल मगर ढूँढते हैं लोग
कैसा मज़ाक चल रहा है क्यारियों के साथ 

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