एनआरसीः यानि कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का मूल उद्देश्य बंग्लादेश से आये बंग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करनी व उसे भारतीय नागरिकता के मतदाता सूची से अलग करना है। बार-बार इस बात का उल्लेख हर जगह हो रहा है कि भारतीयों का घबड़ाने की या भयभीत होने की जरूरत नहीं । परन्तु जिस प्रकार भाजपा के नेताओं के बयान आ रहें हैं इससे पूरा देश एक बार भयभीत तो हो ही चुका है कि क्या जिस तरह से असम में विदेशियों के नाम पर भारतीयों जिसमें अड़ी संख्या में बिहार, उत्तरप्रदेश के भौजपुरी समाज, बंगाल के हिन्दू बंगाली समाज, पंजाब के पंजाबियों या राजस्थान के मूल निवासी जो कई पुश्तों से असम में रह रहे हैं उनके नाम को तमात दस्तावेज प्रस्तुत किये जाने के वाबजूद उनके नामों एनआरसी दस्तावेज़ में शामिल नहीं किया गया और मजे कि बात है कि भाजपा के अध्यक्ष व चंद दलाल मीडिया इन्हें विदेशी घुसपैठिये तक करार दे दिया।
पिछले दिनों असम के गुवाहाटी शहर में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के संगठनों ने मिलकर सरकार के इस व्यवहार पर और नाम काटे जाने को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। एक अनुमान के अनुसार लगभग 25 लाख हिन्दू हिन्दी व बांग्ला भाषी समाज के नाम एनआरसी की सूची से ग़ायब बतायें जा रहें हैं जिसे भाजपा के अध्यक्ष श्री अमित शाह बांग्लादेशी घुसपैठिये बताते नहीं थक रहे।
एक आंकड़े को यदि सही माना जाए तो असम के जिन- जिन इलाकों में 50 प्रतिशत की संख्या में मुसलमानों की आबादी हो चुकी है वहां की आबादी का महज 10 प्रतिशत नाम ही चिन्हीत किये गये अर्थात 45 प्रतिशत मुसलमानों को भारतीय मान लिया गया व इलाके हैं। हैलाकांदी, साउथ सालमारा, धुबड़ी व करीमगंज । ऐसे ही सैकड़ों गांव है जहां मुस्लिमों को खुले रूप में एनआरसी में दर्ज कर लिया गया जबकि हिन्दू भारतीयों के नाम सूची में नहीं शामिल किये गये। उदाहरण के लिये शोणितपुर जिले की ही बात कर लें इस क्षेत्र में लगभग 45 प्रतिशत प्रवासी भारतीय पुश्तों से अपना जीवन बसर कर रहें हैं यहां की लगभग आधी आबादी का नाम ही एनआरसी से ग़ायब कर दिया गया जिसे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह विदेशी घुसपेठियां बता रहें हैं । भारतीय को भले ही हम एक बार ठग लें लेकिन इसका परिणाम अंततः संपूर्ण भारतीयों को भोगना पड़ सकता है । शायद आप जिस राज्य में हैं आने वाले समय में आप भी एक दिन विदेशी बना दिये जायेगें।
-शंभु चौधरी
ehindisahitya@gmail.com
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