15.4.19

विपक्षी पार्टी को जगह न देकर हिन्दुस्तान अखबार लोकतंत्र की कर रहा हत्या

शशी शेखर जी आपकी जय हो, जय हो, जय हो।

चुनाव के मौसम में पटना संस्करण के हिंदुस्तान अखबार को देखकर दुख भी हो रहा है और घृणा भी। एक अखबार इस प्रकार कैसे कर सकता है। कैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था को पूरी तरह से चैपट कर सकता है, जिनसे अभिव्यक्ति की आजादी दी। लिखने का अधिकार दिया, उसी का गला घोंटने में लगा हुआ है। इसके संपादक शशी शेखर हैं। एक अविवेकपूर्ण निर्णय ने इस अखबार की विश्वसनीयता को पूरी से चैपट कर दिया है, जिसे दोबारा हासिल करने में कितने साल लग जाएंगे पता नहीं। 10 अप्रैल से हिंदुस्तान अखबार को देख रहा हूं।

आज 13 अप्रैल है। इस अखबार ने इलेक्शन पेज के लिए तीन तरह से हेडर बनाया है। सही शब्दों में और आसानी भाषा में इसे मत्था कहते हैं। मत्था बनाने को पीछे का तर्क होता है कि पाठक आसानी से इसे पहचान लें कि आज इस पेज को एक विशेष पैकेज के तौर पर प्रस्तुत किया गया है। पाठक को पढ़ने में आसानी हो। साधारण पाठक भी समझ सके और उनको सारी सूचना एक ही पेज पर मिल जाए। पेज नंबर दो पर आठ कालम और तीन सेंटीमीटर हाइट में हेडर लगाया गया है। इस पेज को महासंग्राम लोकसभा चुनाव 2019 का नाम दिया गया है। हेडर की दाईं तरफ चार फोटो और बाईं तरफ चार फोटो को लगाया गया है। इस फोटो को गौर से देखें। क्या लग रहा है।

दाईं तरफ नरेंद्र मोदी, अखिलेश यादव, मायावती व राहुल गांधी की फोटो है। गंभीर बात यह है कि इसमें एक ही लीडर नजर आ रहा है। वह है नरेंद्र मोदी। लग रहा है कि नरेंद्र मोदी बाकी तीनों लीडर को लीड कर रहे हैं। दाईं तरफ की फोटोे में भी वहीं है। कहने को तो तेजस्वी यादव, रामविलास पासवान, सुशील मोदी के साथ नीतीश कुमार फोटो में हैं। लेकिन इन सभी को लीड नीतीश कुमार कर रहे हैं। इससे क्या संदेश देना चाह रहे हैं। दाईं तरफ की फोटो में तो यह मान लें कि सुशील कुमार और रामविलास पासवान नीतीश कुमार के ही घटक हैं। लेकिन तेजस्वी तो उनके घटक नहीं है। यह हेडर इस प्रकार क्यों बनाया गया। दो ही लीडर को इस प्रकार क्यों दिखाया गया और वो भी दोनों एनडीए के। सोचें। उसके बाद नीचे के पेज को देखें। देखें कि विपक्ष कितना है और भाजपा गठबंधन कितना। आसानी से समझ जाएंगे। पेज नंबर 9 से 13 पर लगे हेडर को भी गौर से देखें।

इस हेडर को किस प्रकार बनाया गया। दाईं तरफ पांच नेताओं के फोटो को लगाया गया है। दाई तरफ जिन पांच लीडर के फोटो लगाए गए हैं उसमें से नरेंद्र मोदी, अमित शाह, नीतीश कुमार और प्रकाश सिंह बादल शामिल हैं, जो एनडीए के घटक हैं। हालांकि भाजपा के दो लीडर का फोटो है। इसमें भाजपा को सबसे ताकतवर दिखाया गया है। दाईं तरफ राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, ममता बनर्जी, मयावती, व अखिलेश यादव के फोटो हैं। अब जरा गौर करें। राहुल गांधी व प्रियंका गांधी कांग्रेस के लीडर हैं। बाकी क्या यूपीए के घटक हैं। ममता बनर्जी कांग्रेस से अलग चुनाव मैदान में है। अखिलेश व मायावती कांग्रेस के घटक नहीं हैं। फिर इन्हें साथ क्यों दर्शाया गया। क्या यह गलती है या सोची समझी रणनीति। फोटो देखने से तो ऐसा लग रहा है कि महाभारत का युद्ध होने होने वाला है कौरव व पांडव मौदान में हैं। संसदीय प्रणाली में ऐसा हो सकता है क्या।

अगर एनडीए और यूपीए को तुलनात्मक दिखाएं तो भी माना जा सकता है। अभी शशी शेखर को कैसे पता कि ममता बनर्जी कांग्रेस के घटक है। वह तो कांग्रेस व भाजपा के खिलाफ चुनाव मैदान में है। इतिहास गवाह है कि वह एनडीए के साथ भी रही और यूपीए के साथ भी। इससे तो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शशी शेखर भगवान हैं। उसी प्रकार मायावती व अखिलेश उत्तरप्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव मैदान में है और भाजपा के खिलाफ भी। यहां पर भी शशी शेखर अंतरयामी हुए। 11 व 12 अप्रैल के पेज नंबर 9 को तो विशेष तौर पर देखें। इस हेडर के नीचे पांच सेंटीमीटर का आठ कालम में एक विज्ञापन को प्रकाशित किया गया है।

यह हिंदुस्तान अखबार का ही विज्ञापन है, लेकिन जिस प्रकार से बनाया और सुनिश्चित तरीके से लगाया गया है इससे क्या प्रतीत हो रहा है। आम पाठक से पूछे। यह विज्ञापन है गुजरात लोकसेवा आयोग में 1360 से अधिक नौकरियां। विस्तृत जानकारी हर सोमवार हिंदुस्तान में। अब देखें बडे फान्ट में 1360 से अधिक नौकरियां। उपर नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का चेहरा। नीचे 55 से 60 का फान्ट में इसकी जानकारी। यानी लीड खबर के बराबर का फान्ट साइज। यह विज्ञापन यहां पर इस साइज में क्यों लगाया गया। सोचें। अब एक और हेडर है जो खेल पेज पर है। यहां पर शशी शेखर एक पत्रकार हैं। आईपीएल के चार कप्तानों का फोटो है। चारों बराबर साइज में। आईपीएल में सबसे ज्यादा चोट खाने वाले विराट को भी उतने ही साइज में लगाया गया है।

शेखर साहब आप वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेकिन जरा सोचे वह जो विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी है, जिसके पास सबसे ज्यादा बहुमत है, उसे मारकर क्या आप लोकतंत्र की हत्या नहीं कर रहे। मेरे समझ से आप अपने अखबार में स्पेस न देकर लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। अखबार में विपक्ष को पूरी तरह से नाकार दिया जा रहा है। विपक्ष वाले भी कुछ नहीं बोल रहे हैं। अखबार के सामने लाचार व बेबस हैं। आप पर हमला नहीं कर रहा। इसका यह मायने नहीं कि आप उसे पूरी तरह से मार ही दें। पिछले तीन दिन से मैं लगातार देख रहा हूं। हर दिन पेज नंबर दो पर नीतीश कुमार की तीन कालम में बड़ी साइज में फोटो लगा रहे हैं। चाहे लोग दिखाई दे या न दे, लेकिन भीड़ दिखनी चाहिए। वहीं विपक्षी पार्टी को कभी दो कालम फोटो के साथ तो कभी जगह भी नहीं दे रहे। इस प्रकार एक विपक्षी पार्टी की हत्या कर करे, जिससे हमारा लोकतंत्र ही समाप्त हो जाए।


नवीन कुमार
navinsbpur@gmail.com

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