14.4.19

सतुआन के वैज्ञानिक महत्व : जय सतुआन, जय भोजपुरी!



आज सउंसे पूर्वांचल में सतुआनी के पर्व मनावल जा रलह बा. आजू के दिन भोजपुरिया लोग खाली सतुआ आ आम के टिकोरा के चटनी खाला. साथे-साथ कच्चा पियाज, हरिहर मरिचा आ आचार भी रहेला. एह त्योहार के मनावे के पीछे के वैज्ञानिक कारण भी बा. इ खाली एगो परंपरे भर नइखे. असल में जब गर्मी बढ़ जाला, आ लू चले लागेला तऽ इंसान के शरीर से पानी लगातार पसीना बन के निकलले लागेला, तऽ इंसान के थकान होखे लागे ला.


रउआ जानते बानी भोजपुरिया मानस मेहनतकश होखेला. अइसन में सतुआ खइले से शरीर में पानी के कमी ना होखेला. अतने ना सतुआ शरीर के कई प्रकार के रोग में भी कारगर होखेला. पाचन शक्ति के कमजोरी में जौ के सतुआ लाभदायक होखेला. कुल मिला के अगर इ कहल जाए कि सतुआ एगो संपूर्ण, उपयोगी, सर्वप्रिय आ सस्ता भोजन हऽ जेकरा के अमीर-गरीब, राजा-रंक, बुढ़- पुरनिया, बाल-बच्चा सभे चाव से खाला.

असली सतुआ जौ के ही होखेला बाकि केराई, मकई, मटर, चना, तीसी, खेसारी, आ रहर मिलावे से एकर स्वाद आ गुणवत्ता दूनो बढ़ जाला. सतुआ के घोर के पीलय भी जाला, आ एकरा के सान के भी खाइल जाला. दू मिनट में मैगी खाए वाला पीढ़ी के इ जान के अचरज होई की सतुआ साने में मिनटों ना लागेला. ना आगी चाही ना बरतन. गमछा बिछाईं पानी डाली आ चुटकी भर नून मिलाईं राउर सतुआ तइयार.. रउआ सभे के सतुआनी के बधाई. कम से कम आज तऽ सतुआ सानी सभे. जय सतुआन, जय भोजपुरी!!

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