बिहार प्रशासनिक सेवा के सीनियर डिप्टी कलेक्टर रविन्द्र कुमार दिवाकर द्वारा रचित यह कविता बिहार में लोकप्रिय हो रही है-
तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे---
घर की जिम्मेवारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे,
अपनी दुनियादारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
चोर घुसा था कैसे घर में, जब तेरी तैनाती थी तो,
चौखट की रखवारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
अपनी गलती का ठिकरा तुम, औरों पर ना फोड़ सकोगे,
पूरी चौकीदारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
काम मिलेगा हाथ-हाथ को, ऐसा तुमने वचन दिया था,
बदले में बेकारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
कहो, कहां तुम पेड़ लगाए, हरियाली हो छाई जिससे,
हमने ये फुलवारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
नोट-बंद से कालेधन पर, बोलो क्या अंकुश लग पाया,
बेमतलब लाचारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
नीरव, माल्या भागा कैसे, बोलो जब तुम जाग रहे थे,
झूठी पहरेदारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
पाकिस्तानी को पहले भी, हमने घुसकर धांस दिया है,
तुमने बस फुफकारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
भाईचारे की धरती को नख-शिख स्वाहा करने वाले,
नफरत की चिन्गारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
कहां रुपैया ठोस हुआ है, डॉलर- यूरो की तुलना में,
टूटी खाट किवाड़ी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
सच बतलाना गैस-तेल की, कीमत क्यों ना कम हो पाई,
मंहगाई लठमारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
मजदूरों के खाते खाली, अम्बानी के भरते जाते,
सिर्फ घोषणा भारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
दाम फसल के कहां निकलते, खलिहानों में सड़ जाते हैं,
ऐसी खेतीबाड़ी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे ।
तानाशाही तंत्र नहीं जो, कोई तुझसे कुछ ना पूछे,
सबने हिस्सेदारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
अच्छे दिन के जुमले सारे, हवा - हवाई सिद्ध हुए हैं,
बात - बात अखबारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
मुफ्त नहीं तुम कुछ करते हो, याद रखो ये मत भूलो तुम,
हर सुविधा सरकारी दी है, तो हम तुमसे प्रश्न करेंगे।
-दिवाकर
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