21.5.19

सैकड़ों करोड़ की संपत्ति जुटाने के आरोप से मुलायम और अखिलेश को सीबीआई ने 12 साल बाद दी क्लीनचिट

जेपी सिंह
आय से अधिक संपत्ति मामले में सपा संस्थापक और सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव को राहत मिली है। सीबीआई ने मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को क्लीनचिट दे दी है। जांच एजेंसी ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय  में हलफनामा दाखिल कर इसकी जानकारी दी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि उसने 7 अगस्त 2013 को मामले की जांच बंद कर दी थी। उसे ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जिससे पिता-पुत्र के खिलाफ मामला दर्ज कराया जा सके।

उच्चतम न्यायालय 25 मार्च को ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में सपा नेता मुलायम सिंह यादव और उनके बेटों अखिलेश यादव एवं प्रतीक यादव के खिलाफ अर्जी पर सीबीआई को नोटिस जारी किया था।  उच्चतम न्यायालय ने 2007 में केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी। मामले की अगली सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद जुलाई में की जाएगी। हलफनामे में सीबीआई ने उन्हें क्लीनचिट दे दी है।  सीबीआई ने साथ ही कहा है कि पिता और पुत्र के खिलाफ रेगुलर केस (आरसी) दर्ज करने के लिए उसे कोई सबूत नहीं मिला है।

गौरतलब है कि 2005 में विश्वनाथ चतुर्वेदी ने ही उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल कर मुलायम, उनके बेटे अखिलेश, बहू डिंपल यादव और छोटे बेटे प्रतीक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कराया था। आरोप है कि मुलायम ने 1999 से 2005 तक उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए 100 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति जुटाई थी। इस साल फरवरी में चतुर्वेदी ने याचिका दायर कर कहा कि सीबीआई ने प्रारंभिक जांच में जरूरत से ज्यादा समय लगा दिया। उच्चतम न्यायालय   ने एक मार्च 2007 को अपने फैसले में सीबीआई को आरोपों की जांच करने तथा यह पता लगाने का आदेश दिया था कि सपा नेताओं की आय से अधिक संपत्ति से सम्बंधित याचिका सही है या नहीं।  अदालत ने 2012 में मुलायम और उनके बेटों की इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था और सीबीआई को इस मामले की जांच के क्रम में आगे बढ़ने का निर्देश दिया था।

सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय  को बताया कि समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, उनके बेटों, पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और प्रतीक यादव, पुत्रवधु और सांसद डिंपल यादव के खिलाफ कथित आय से अधिक संपत्ति की जांच, कोई सबूत नहीं मिलने के बाद 2013 में बंद हो चुकी थी। सीबीआई ने ताजा हलफनामे में कहा है किजांच के दौरान पहली नजर में कोई सबूत नहीं मिला और जांच प्राथमिकी में नहीं बदली जा सकी। सीबीआई ने कहा कि उसने 2013 में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को रिपोर्ट सौंपने के बाद जांच बंद कर दी थी। सीबीआई ने अदालत को बताया कि अगस्त 2013 के बाद से मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई।

सपा नेता मुलायम सिंह यादव ने उच्चतम न्यायालय में जवाब दाखिल कर कहा था कि उनके खिलाफ दायर याचिका राजनीति से प्रेरित है। मुलायम सिंह ने कहा था कि लोकसभा चुनाव होने हैं, इसलिए जानबूझकर उनके खिलाफ ये अर्जी दाखिल की गई है। साथ ही मुलायम सिंह ने यादव ने कहा था कि याचिकाकर्ता ने उच्चतम न्यायालय से कई बातें छुपाई है। उन्होंने कहा था कि आयकर विभाग ने उनकी और उनके परिवार की संपत्ति की जांच की थी, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। ऐसे उनके और उनके परिवार के खिलाफ दायर याचिका को खारिज किया जाना चाहिए।

अखिलेश का कांग्रेस पर आरोप
अखिलेश यादव सीबीआई की जांच को लेकर कई बार कांग्रेस पर हमला बोल चुके हैं। उन्होंने कांग्रेस पर अपनी विरोधी पार्टियों के खिलाफ साजिश के आरोप लगाए। उन्होंने हाल ही में कहा था कि कांग्रेस का काम धोखा देना है। बीजेपी की तरह ही कांग्रेस भी अपने राजनीतिक विरोधियों को धमकाने का काम करती आई है।

इस मामले की भी चल रही है जांच
अखिलेश यादव पर सीबीआई की एक और जांच चल रही है। उन पर यूपी में अवैध खनन मामले में घोटाले को लेकर केस दर्ज किया गया था,जिसके बाद सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी। इस मामले में सीबीआई की शिकायत के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी अखिलेश यादव पर केस दर्ज कर लिया था। ईडी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर अखिलेश यादव समेत कई अन्य आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है।

लेखक जेपी सिंह इलाहाबाद के वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं.

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