13.2.20

अमेरिका के लिए 'केम छो ट्रंप' तो भारत को होगा 'शेम शो ट्रंप'

CHARAN SINGH RAJPUT
देश के फकीर प्रधानमंत्री देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए एक और बड़ा कारनामा करने जा रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को 24-25 फरवरी को भारत यात्रा पर बुला रहे हैं। भाई फकीर प्रधानमंत्री जो ठहरे तो ठाठबाट  और स्वागत भी फकीर जैसा ही होगा न। जैसी फकीरी उन्होंने अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में होने वाली 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में दिखाई उससे बड़ी फकरी वह गुजरात के अहमदाबाद शहर में डोनल्ड ट्रंप का रोड शो कराकर कर दिखाने वाले हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के भारत दौरे में कई ट्रेड डील होने की उम्मीद है। उम्मीद व्यक्त की जा रही है कि इस डील में वह किसानों की बर्बादी का सौदा कर अपनी गरीबी और संघर्ष का एक और प्रमाण देने वाले हैं।


मोदी भारत की मेहमान को भगवान समझने वाली संस्कृति के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। भले ही देश में रोजी-रोटी का बड़ा संकट पैदा हो गया हो, भले ही देश का किसान आत्महत्या कर रहा है, बेरोजगार युवा समस्याओं से जूझते-जूझते दम तोड़ रहे हों, देश मंदी और महंगाई दोनों की मार झेल रहा हो, अर्थव्यवस्था का कबाड़ा हो गया हो, रिजर्व बैंक का रिजर्व पैसा भी निकाल लिया गया हो, देश की बड़ी कंपनियां दिवालिया होने के कगार पर हों, हर वर्ग का व्यक्ति इस व्यवस्था में कराह रहा हो, सरकार पैसा न होने का रोना रो रही हो, भले ही किसान ट्रंप के इस दौरे का विरोध कर रहे हों पर भारतीय संस्कृति से ओतप्रोत रहने वाली हमारे फकीर प्रधानमंत्री किसी भी हालत में भारतीय संस्कृति का धुमिल नहीं होने देंगे।

भले ही मोदी को विश्व बैंक से कर्जा लेने पड़े, भले ही लोगों को रोटी न मिले, भले ही देश में भुखमरी फैलने की पूरी आशंका हो पर ट्रंप के रोड शो के लिए मोदी ने अहमदाबाद हवाईअड्डे से साबरमती आश्रम तक 10 किलोमीटर तक के रास्ते को पूरी तरह से सजाने की व्यवस्था कर दी है। विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति जो आ रहे हैं भाई। भले ही साबरमती आश्रम संघर्ष का प्रतीक रहा हो, भले ही महात्मा गांधी के यहां ठहरने के दौरान यह देश के स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र बना रहा हो पर मोदी इस आश्रम का भ्रमण कराकर किसान और मजदूर को काम दिलाने की बात ट्रंप से करेंगे।

आखिरकार गांधी जी का हर किसी को काम मिले का सपना जो पूरा करना है। वह बात दूसरी है कि मोदी और ट्रंप की इस डील से देश का किसान और मजदूर निजी संस्थाओं के चंगुल में फंसकर बंधुआ बनकर रह जाए। अब जब फकीरी का प्रमाण देते हुए देश में पीएम ने एक बड़ी बेरोजगारों की फौज तैयार की है तो इसकी ताकत तो दिखानी ही है। इसकी ताकत वह ट्रंप की होने वाली सभा में दिखाएंगे। मतलब इस सभा में मोदी के 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम से एकदम दोगुनी से भी ज्यादा भीड़। मतलब एक लाख से ज्यादा लोगों के वहां एकत्रित करनेकी व्यवस्था मोदी ने कर दी है।

भाई ट्रंप का एहसान जो उतारना है। जैसा कार्यक्रम ट्रंप ने 'हाउडी, मोदी' किया था। मोदी इससे भी बढ़िया कार्यक्रम ट्रंप के लिए करेंगे। पैसे की कोई चिंता नहीं है। कर्जा लेकर भी मेहमानों का आदर सत्कार करने की हमारी परंपरा रही है। वह बात दूसरी है कि यह पैसा जनता का होगा। इससे क्या फर्क पड़ता है। प्रधानमंत्री भी तो जनता के ही हैं। जनता के पैसे पर उनका पूरा हक है।

आखिरकार हम लोगों द्वारा चुनकर भेजे गये सांसदों ने ही तो उन्हें प्रधानमंत्री बनाया है। जैसे मोदी और ट्रंप ने गत साल सितंबर में ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में मंच साझा किया था। कार्यक्रम में मोदी 50,000 भारतीय-अमेरिकियों की भीड़ को संबोधित किया था। तो मोदी ने एक दम डबल भीड़ जुटाने की व्यवस्था कर दी है। वह बात दूसरी है कि यह सब भीड़ भारतीयों की हो। आखिरकार लोकतंत्र के हम बड़े देश जो ठहरे। मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति के इस दौरे को 'केम छो, ट्रंप' कार्यक्रम नाम दिया है।

ऐसी जानकारी मिल रही है कि दोनों देशों की निजी संस्थाओं के बीच आपसी सहयोग के जरिए मेक इन इंडिया प्रोग्राम को बढ़ावा देने में ट्रंप मदद करेंगे। मतलब देश के किसान और मजबूर के साथ ही मजबूर की कुर्बानी फकीर पीएम के हित में मांगी जा सकती है। विश्व के सबसे ताकतवर राष्ट्रवपति की मेहमानवाजी के लिए फकीर पीएम के सहयोग के लिए जनता को इतना तो करना पड़ेगा ही। आखिरकार देश के उद्धारक पीएम जो ठहरे।

CHARAN SINGH RAJPUT

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