ANUPAM SRIVASTAVA
" दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें,
था कल तलक दिमाग जिन्हें ताजो तक्थ का"
आम आदमी पार्टी की दिल्ली में धमाकेदार जीत ने एक बार फिर निराश आमजन के लिए आशा की रोशनी दिखाई है। केजरीवाल के लिए यह जिंदगी का सबसे सुखद क्षण होगा वही जब चुनाव सर्वे का आंकड़ा देने वाली संस्थाओं के द्वारा गोलमोल जवाब देना उनके लिए एक जोरदार झटका वह भी धीरे से..? भारतीय लोकतंत्र के दो भाईयों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि दिल्ली में भाजपा जैसी राजनीतिक खिलाड़ी की पराजय होगी। आप ने जिस तरह दिल्ली में अपनी जोरदार आमद दिखाई है। वह हैरत अंगेज ही है। बीबीसी ने इसे भारतीय इतिहास का सबसे रोचक क्षण कहां है। केजरीवाल ने कहा कि यह जीत दिल्ली की जनता लोकतंत्र और भारत की जीत है। भाजपा कहती हैं देश बदल रहा है लेकिन 2020 की दिल्ली बदल रही हैं।
केजरीवाल ने 2 अक्टूबर 2012 को जब आम आदमी पार्टी की नींव रखी तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि इतनी बड़ी कामयाबी केजरीवाल व उनकी पार्टी को इस मुकाम पर ला खड़ा करेगी।केजरीवाल ने लोकतंत्र में सत्ता पर काबिज होकर ही परिवर्तन लाने की बात पार्टी को फायदा करते समय कार्यकर्ताओं व लोगों के सम्मुख रखा था। उसमें अपने वह दूसरों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। यहां तक कि पार्टी बनाकर राजनीति करने के खिलाफ समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी केजरीवाल का साथ छोड़ दिया था। प्रमुख आंदोलन के प्रमुख साथी भी उनसे किनारा कर गए थे। उस समय उनके अंदर एक ही बात घर कर गई थी कि केजरीवाल राजनीतिक पार्टी बनाकर अपना कदम बढ़ाना चाहते हैं लेकिन पार्टी बनाने को लेकर कुछ लोग उनसे दूर हुए तो कुछ लोग उनसे जुड़े भी।
दरअसल पिछले दो दशक से राजनीतिक पार्टियों और राजनेताओं से लोगों को बड़े पैमाने पर निराशा और विरक्त पैदा हुई थी यहां तक कि लोग सामाजिक कार्यकर्ताओं को शक के नजरिए से देखते थे। क्योंकि उन लोगों ने सामाजिक कार्य को भी कमाई का जरिया बना लिया था। जिससे लोग यही मानते रहे कि या तो नेता बनना चाहता है या अपनी कमाई का साधन ढूंढ रहा है आम आदमी पार्टी ने इस धारणा को बहुत हद तक तोड़ा और अपने अच्छे कार्यों से वह इसे समाप्त भी कर दिया।
दिल्ली में आपका एक बड़े स्तर पर उभार मतदान मतदाताओं की राजनीतिक परिपक्वता का उदाहरण भी कहा जा सकता है। बड़े-बड़े दिग्गज नेता बाहुबली और पूंजीपतियों के लिए ही जो चुनाव बन गए थे। आप की इस दस्तक ने लोगों की आंखों से बकायदा पर्दा उठा दिया आने वाला समय ऐसे राजनेताओं और पार्टियों के लिए खतरे की घंटी साबित होगा। अब तक चुनाव में बाहुबल धनबल व गनबल को लोग जीत के नजरिए से देखते थे। चुनाव में जीत की सबसे बड़ी गारंटी शराब बांटना, रुपए बांटना लाभकारी योजनाओं को घोषणा और कई माध्यमों से जनता को आकर्षित करने का काम पार्टियां और नेताओं द्वारा किया जाता था। लेकिन दिल्ली में केजरीवाल की जीत ने इसे भी गलत साबित कर दिया। अब एक बार फिर लोगों को यह यकीन दिलाया जा सकता है कि आज भी एक ईमानदार व अच्छा व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है और जीत भी सकता है। शताब्दी का नया इतिहास रचने वाली दिल्ली का वोटर वास्तव में धन्यवाद का पात्र है।
सट्टा के सेमीफाइनल में सबसे चौंकाने वाला परिणाम दिल्ली का ही रहा। अब तक जिस तूफान से पहले की शांति को कांग्रेस और भाजपा भाप नहीं पा रही थी उस तूफान ने दोनों दलों की बरगदी जड़ों को हिला दिया है। दिल्ली में जिस तरह से आप की आंधी चल रही है। आज दिल्ली में अगर जश्न है तो केवल आप को लेकर चर्चा है तो केवल केजरीवाल की। केंद्रीय मदारी के इशारों पर नाचने वाला बंदर टीवी और गोदी मीडिया भी आपकी सफलता पचा नहीं पा रही है।
भाजपा शाहीनबाग,सीएए और नागरिकता तमाम ऐसे हथकंडे अपनाए लेकिन दाल गली नहीं। 28 केबिनेट मंत्री,6 पूर्व मुख्यमंत्री और 5 मुख्यमंत्री और एक लाख से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं को चुनाव में उतारी थी। लेकिन जनता ने नकार दिया। और मुंह की खानी पड़ी।
अरविंद केजरीवाल ने 2013,2015 और आज फिर तीसरी बार 2020 में ऐतिहासिक जीत हासिल की।
दिल्ली की जनता ने तानाशाहों को उनकी औकात बता दिया और संदेश दिया कि देश में हिंदू-मुस्लिम की राजनीति नहीं चलेगी।
दिल्ली का यह चुनाव इस बार एक लिटमस टेस्ट के अनुसार हुआ है। ध्रुवीकरण की राजनीति करने वालों का अंत हुआ है।
केजरीवाल ने दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी के लिए जो किया है वह किसी से छुपा नहीं है।
दिल्ली के चुनाव में अगर कोई समझदार साबित हुआ है तो वह सिर्फ मतदाता है जनता ने केजरीवाल की पार्टी को हाथों-हाथ लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय दलों को तल्ख संदेश दिया है कि वह बासी राजनीति की सड़न से ऊब चुकी है अगर उन्हें कोई बेहतर विकल्प मिलेगा तो उसे अपनाने में तनिक भर देर नहीं करेगी। आपकी जीत का विश्लेषण इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस पार्टी का जन्म किसी परंपरागत धर्म, संप्रदाय, जाति या क्षेत्रियता जैसे ढकोसला की कोख से नहीं हुआ है। आप का अवतरण "देश की अर्थव्यवस्था और राजनीति को खोखला करने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए गए जन आंदोलन के गर्भ से हुआ है।
याद कीजिए अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल का हुआ लोकपाल आंदोलन जिसने देश में एक नई जनक्रांति का उबाल पैदा कर दिया भ्रष्टाचार को लेकर जब सब मान चुके थे कि इस देश में अब कुछ नहीं हो सकता भ्रष्टाचार नियति है इससे छुटकारा संभव नहीं लेकिन इंडिया अगेंस्ट करप्शन की छतरी के नीचे अन्ना और केजरीवाल के नेतृत्व में लोकपाल आंदोलन ने देश की राजधानी दिल्ली के मध्य वर्ग वर्षीय युवाओं में ऐसी एनर्जी पैदा की कि सरकार को भी टीम अन्ना के सामने बातचीत के लिए झुकना पड़ा। हालांकि हुआ वही जिसका डर था टीम अन्ना और जन दबाव के बावजूद सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ भी फोर्स नहीं कर पाई लेकिन उस आंदोलन का एक फायदा यह जरूर हुआ कि जब भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ नहीं हो सकता है वाली लोगों की सोच बदली इसका प्रमाण है कि अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे के रास्ते अलग होने के बाद भी केजरीवाल पर से युवाओं का भरोसा नहीं हटा और केजरीवाल के अनशन को मिली सफलता से उन पर लगे दाग कि अन्ना के बिना उनका वजूद नहीं है भी धुल गया। अपने ऊपर युवाओं के इस भरोसे ने अरविंद केजरीवाल की हिम्मत बढ़ा दी उन्होंने राजनीतिक विकल्प देने का संकल्प लिया इस तरह भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल आंदोलन ने टीम केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी आप को जन्म दिया।
कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी की जीत ने एक बार फिर से साफ कर दिया है कि किसी भी आंदोलन की कामयाबी उसकी नैसर्गिकता और लोगों के काम पर निर्भर करती है।
केजरीवाल की राजनीति लोकतंत्र की नई धारा है कोई भी उनका विरोध कर सकता है। उनके विचार का विरोध हो सकता है। लेकिन अब कोई भी उन्हें और आम आदमी पार्टी को खारिज नहीं कर सकता उनकी सफलता कारपोरेट और राजनीति के घातक गठजोड़ के समानांतर एनजीओ और राजनीति के नए गठजोड़ के पनपने की राह भी बन सकती है। इसलिए ऐसे जननायक को उनके मजबूत जज्बे के लिए पूरा देश सलाम करता है और मैं फिर एक बार कहना चाहता हूं "नायक" तुझे सलाम
अनुपम श्रीवास्तव
पत्रकार
स्वतंत्र-संदेश
गोरखपुर।
" दिल्ली में आज भीख भी मिलती नहीं उन्हें,
था कल तलक दिमाग जिन्हें ताजो तक्थ का"
आम आदमी पार्टी की दिल्ली में धमाकेदार जीत ने एक बार फिर निराश आमजन के लिए आशा की रोशनी दिखाई है। केजरीवाल के लिए यह जिंदगी का सबसे सुखद क्षण होगा वही जब चुनाव सर्वे का आंकड़ा देने वाली संस्थाओं के द्वारा गोलमोल जवाब देना उनके लिए एक जोरदार झटका वह भी धीरे से..? भारतीय लोकतंत्र के दो भाईयों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि दिल्ली में भाजपा जैसी राजनीतिक खिलाड़ी की पराजय होगी। आप ने जिस तरह दिल्ली में अपनी जोरदार आमद दिखाई है। वह हैरत अंगेज ही है। बीबीसी ने इसे भारतीय इतिहास का सबसे रोचक क्षण कहां है। केजरीवाल ने कहा कि यह जीत दिल्ली की जनता लोकतंत्र और भारत की जीत है। भाजपा कहती हैं देश बदल रहा है लेकिन 2020 की दिल्ली बदल रही हैं।
केजरीवाल ने 2 अक्टूबर 2012 को जब आम आदमी पार्टी की नींव रखी तब किसी ने भी नहीं सोचा था कि इतनी बड़ी कामयाबी केजरीवाल व उनकी पार्टी को इस मुकाम पर ला खड़ा करेगी।केजरीवाल ने लोकतंत्र में सत्ता पर काबिज होकर ही परिवर्तन लाने की बात पार्टी को फायदा करते समय कार्यकर्ताओं व लोगों के सम्मुख रखा था। उसमें अपने वह दूसरों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। यहां तक कि पार्टी बनाकर राजनीति करने के खिलाफ समाजसेवी अन्ना हजारे ने भी केजरीवाल का साथ छोड़ दिया था। प्रमुख आंदोलन के प्रमुख साथी भी उनसे किनारा कर गए थे। उस समय उनके अंदर एक ही बात घर कर गई थी कि केजरीवाल राजनीतिक पार्टी बनाकर अपना कदम बढ़ाना चाहते हैं लेकिन पार्टी बनाने को लेकर कुछ लोग उनसे दूर हुए तो कुछ लोग उनसे जुड़े भी।
दरअसल पिछले दो दशक से राजनीतिक पार्टियों और राजनेताओं से लोगों को बड़े पैमाने पर निराशा और विरक्त पैदा हुई थी यहां तक कि लोग सामाजिक कार्यकर्ताओं को शक के नजरिए से देखते थे। क्योंकि उन लोगों ने सामाजिक कार्य को भी कमाई का जरिया बना लिया था। जिससे लोग यही मानते रहे कि या तो नेता बनना चाहता है या अपनी कमाई का साधन ढूंढ रहा है आम आदमी पार्टी ने इस धारणा को बहुत हद तक तोड़ा और अपने अच्छे कार्यों से वह इसे समाप्त भी कर दिया।
दिल्ली में आपका एक बड़े स्तर पर उभार मतदान मतदाताओं की राजनीतिक परिपक्वता का उदाहरण भी कहा जा सकता है। बड़े-बड़े दिग्गज नेता बाहुबली और पूंजीपतियों के लिए ही जो चुनाव बन गए थे। आप की इस दस्तक ने लोगों की आंखों से बकायदा पर्दा उठा दिया आने वाला समय ऐसे राजनेताओं और पार्टियों के लिए खतरे की घंटी साबित होगा। अब तक चुनाव में बाहुबल धनबल व गनबल को लोग जीत के नजरिए से देखते थे। चुनाव में जीत की सबसे बड़ी गारंटी शराब बांटना, रुपए बांटना लाभकारी योजनाओं को घोषणा और कई माध्यमों से जनता को आकर्षित करने का काम पार्टियां और नेताओं द्वारा किया जाता था। लेकिन दिल्ली में केजरीवाल की जीत ने इसे भी गलत साबित कर दिया। अब एक बार फिर लोगों को यह यकीन दिलाया जा सकता है कि आज भी एक ईमानदार व अच्छा व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है और जीत भी सकता है। शताब्दी का नया इतिहास रचने वाली दिल्ली का वोटर वास्तव में धन्यवाद का पात्र है।
सट्टा के सेमीफाइनल में सबसे चौंकाने वाला परिणाम दिल्ली का ही रहा। अब तक जिस तूफान से पहले की शांति को कांग्रेस और भाजपा भाप नहीं पा रही थी उस तूफान ने दोनों दलों की बरगदी जड़ों को हिला दिया है। दिल्ली में जिस तरह से आप की आंधी चल रही है। आज दिल्ली में अगर जश्न है तो केवल आप को लेकर चर्चा है तो केवल केजरीवाल की। केंद्रीय मदारी के इशारों पर नाचने वाला बंदर टीवी और गोदी मीडिया भी आपकी सफलता पचा नहीं पा रही है।
भाजपा शाहीनबाग,सीएए और नागरिकता तमाम ऐसे हथकंडे अपनाए लेकिन दाल गली नहीं। 28 केबिनेट मंत्री,6 पूर्व मुख्यमंत्री और 5 मुख्यमंत्री और एक लाख से ज्यादा भाजपा कार्यकर्ताओं को चुनाव में उतारी थी। लेकिन जनता ने नकार दिया। और मुंह की खानी पड़ी।
अरविंद केजरीवाल ने 2013,2015 और आज फिर तीसरी बार 2020 में ऐतिहासिक जीत हासिल की।
दिल्ली की जनता ने तानाशाहों को उनकी औकात बता दिया और संदेश दिया कि देश में हिंदू-मुस्लिम की राजनीति नहीं चलेगी।
दिल्ली का यह चुनाव इस बार एक लिटमस टेस्ट के अनुसार हुआ है। ध्रुवीकरण की राजनीति करने वालों का अंत हुआ है।
केजरीवाल ने दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, पानी के लिए जो किया है वह किसी से छुपा नहीं है।
दिल्ली के चुनाव में अगर कोई समझदार साबित हुआ है तो वह सिर्फ मतदाता है जनता ने केजरीवाल की पार्टी को हाथों-हाथ लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय दलों को तल्ख संदेश दिया है कि वह बासी राजनीति की सड़न से ऊब चुकी है अगर उन्हें कोई बेहतर विकल्प मिलेगा तो उसे अपनाने में तनिक भर देर नहीं करेगी। आपकी जीत का विश्लेषण इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस पार्टी का जन्म किसी परंपरागत धर्म, संप्रदाय, जाति या क्षेत्रियता जैसे ढकोसला की कोख से नहीं हुआ है। आप का अवतरण "देश की अर्थव्यवस्था और राजनीति को खोखला करने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए गए जन आंदोलन के गर्भ से हुआ है।
याद कीजिए अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल का हुआ लोकपाल आंदोलन जिसने देश में एक नई जनक्रांति का उबाल पैदा कर दिया भ्रष्टाचार को लेकर जब सब मान चुके थे कि इस देश में अब कुछ नहीं हो सकता भ्रष्टाचार नियति है इससे छुटकारा संभव नहीं लेकिन इंडिया अगेंस्ट करप्शन की छतरी के नीचे अन्ना और केजरीवाल के नेतृत्व में लोकपाल आंदोलन ने देश की राजधानी दिल्ली के मध्य वर्ग वर्षीय युवाओं में ऐसी एनर्जी पैदा की कि सरकार को भी टीम अन्ना के सामने बातचीत के लिए झुकना पड़ा। हालांकि हुआ वही जिसका डर था टीम अन्ना और जन दबाव के बावजूद सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ भी फोर्स नहीं कर पाई लेकिन उस आंदोलन का एक फायदा यह जरूर हुआ कि जब भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ नहीं हो सकता है वाली लोगों की सोच बदली इसका प्रमाण है कि अरविंद केजरीवाल और अन्ना हजारे के रास्ते अलग होने के बाद भी केजरीवाल पर से युवाओं का भरोसा नहीं हटा और केजरीवाल के अनशन को मिली सफलता से उन पर लगे दाग कि अन्ना के बिना उनका वजूद नहीं है भी धुल गया। अपने ऊपर युवाओं के इस भरोसे ने अरविंद केजरीवाल की हिम्मत बढ़ा दी उन्होंने राजनीतिक विकल्प देने का संकल्प लिया इस तरह भ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल आंदोलन ने टीम केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी आप को जन्म दिया।
कुल मिलाकर आम आदमी पार्टी की जीत ने एक बार फिर से साफ कर दिया है कि किसी भी आंदोलन की कामयाबी उसकी नैसर्गिकता और लोगों के काम पर निर्भर करती है।
केजरीवाल की राजनीति लोकतंत्र की नई धारा है कोई भी उनका विरोध कर सकता है। उनके विचार का विरोध हो सकता है। लेकिन अब कोई भी उन्हें और आम आदमी पार्टी को खारिज नहीं कर सकता उनकी सफलता कारपोरेट और राजनीति के घातक गठजोड़ के समानांतर एनजीओ और राजनीति के नए गठजोड़ के पनपने की राह भी बन सकती है। इसलिए ऐसे जननायक को उनके मजबूत जज्बे के लिए पूरा देश सलाम करता है और मैं फिर एक बार कहना चाहता हूं "नायक" तुझे सलाम
अनुपम श्रीवास्तव
पत्रकार
स्वतंत्र-संदेश
गोरखपुर।
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