9.3.20

2022 के विधान सभा चुनाव के चलते चचा-भतीजा आएंगे करीब!

अजय कुमार, लखनऊ
कोरोना के चलते तमाम दलों के नेतागण अबकी बार होली मनाने और होली कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रहे हैं। पीएम मोदी सहित तमाम नेताओं ने अबकी से होली नहीं मनाने की घोषणा कर दी है,लेकिन ऐसा नहीं है कि इन नेताओं के घरों में भी होली के रंग नहीं बिखरेंगे। यह नेता भले ही सार्वजनिक रूप से रंगों के इस त्योहार पर नजर नहीं आएंगे,लेकिन परिवार और नातेदारों के बीच तो इन्हें जाना ही पड़ेगा। ऐसे में सबकी नजर इस बात पर लगी है कि अबकी से समाजवादी परिवार होली का त्योहार कैसे मनाएगा।

परिवार से सियासत हावी रहेगी या फिर परिवार और सियासत अलग-अगल मुकाम पर खड़े नजर आएंगे। 2022 में विधान सभा चुनाव होने हैं। इससे पहले अगर चचा-भतीजे एक हो जाएं तो समाजवादी पार्टी की सियायत में बड़ा परिर्वतन देखने को मिल सकता है। अब जबकि मुलायम सिंह यादव स्वास्थ्य कारणों से सक्रिय राजनीति में ज्यादा नहीं दिखाई पड़ रहे हैं तब अखिलेश के लिए चचा शिवपाल यादव बड़ा सहारा बन सकते हैं। वैसे भी पिछले कुछ समय से अखिलेश और शिवपाल दूरियां कम करने की बात करते सुने जा चुके है।समाजवादी पार्टी से अलग होने के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने वाले शिवपाल एक तरफ सपा से गठजोड़ की बात कर रहे हैं, वहीं है अखिलेश के करीबी सूत्रों के अनुसार अखिलेश सपा-प्रसपा के विलय की पक्षधर बताए जाते हैं। ऐसे में दोनों दल किस हद तक व कब तक करीब आते हैं, यह बड़ा सवाल है।

असल में पिछले वर्ष हुए विधान सभा उपचुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहा था। इसी वजह से 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा को बेहतर प्रदर्शन की खासी उम्मीदें हैं। सपा आलाकमान ने 351 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बेशक यह बहुत बड़ा लक्ष्य है लेकिन कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के लिए पार्टी इसे जरूरी मान रही है। इसीलिए एक ओर उसने अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। साथ ही अब यह राय बन रही है जो पार्टी छोड़कर चले गए वह वापस लौट आएं। समाजवदी पार्टी आजम के जेल जाने के बाद नई मुस्लिम लीडरशिप भी तैयार करने की कोशिश में लगे हैं।

खैर,बा शिवपाल यादव की कि जाए तो उन्होने कहा है कि परिवार में कोई मतभेद व विवाद नहीं है, पर दोनों अलग पार्टी हैं। अगली बार मिलकर लड़ने को तैयार हैं। जानकार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद सपा व शिवपाल दोनों को अहसास हो गया कि अलग होने से किसी को कोई फायदा नहीं हुआ। सपा को बसपा से गठजोड़ करने से नुकसान हुआ तो शिवपाल की पार्टी भी अलग लड़कर कुछ खास नहीं कर पाई। अलबत्ता सपा में फूट व परिवार में बढ़ी दूरी के चलते पार्टी के मूल वोट बैंक में भी थोड़ी गिरावट देखने को मिली है। फिर भी सपा ने किसी भी दल से मिल कर चुनाव लड़ने से इंकार किया है,तो इसकी कई वजह हैं।

जाहिर तौर पर इसमें कांग्रेस व बसपा प्रमुख हैं। कांगे्रस-बसपा ही नहीं अब तो अखिलेश छोटे-छोटे दलों से भी समझौता करने के मूड में नजर नहीं आ रहे हैं। अगर चचा-भतीजे एक नहीं हो पा रहे हैं तो इसकी वजह सिर्फ यह है कि अखिलेश की मंशा है कि प्रसपा गठजोड़ के बजाए विलय करें जबकि शिवपाल चाहते हैं कि प्रसपा व सपा गठबंधन कर भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ें। कुछ समय पहले भी अखिलेश ने बिना अपने चाचा  शिवपाल यादव का नाम लिए बिना कहा था कि पार्टी में सभी के लिए दरवाजे खुले हैं।

बात होली पर समाजवादी परिवार के जुटने की कि जाए तो मुलायम सिंह यादव के पैतृक गांव सैफई में होली पर इस बार पूरा कुनबा एकजुट होगा। मुलायम सिंह सैफई पहुंच गए हैं, प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव पहले से ही इटावा में हैं। अखिलेश का भी आना तय है। जानकार बताते हैं कि व्यक्तिगत तौर पर अखिलेश यादव अपने चाचा का सम्मान करते हैं तो शिवपाल ने भी उन पर प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की। पहले भी होली पर सैफई में अखिलेश ने शिवपाल के चरण स्पर्श किए और उन्हें आशीर्वाद मिला। इसके बाद बीच-बीच में आते-जाते वक्त दोनों की मुलाकातें भी होती रहीं हैं।

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