अजय कुमार,लखनऊ
मेडिकल सांइस के लिए नई मुसीबत बना जानलेवा कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा है। चीन जहां पहली बार इस वायरस का संक्रमण फैला था,वहां हजारों लोग कोरोना के चलते मौत के मुंह में समा चुके हैं। सवाल यह उठता है कि कोरना वायरस से बचाव कैसे हो तो डाक्टर बस यही कहते सुने जाते हैं इस वायरस से बचाव के लिए सावधानी ही एक मात्र इसका इलाज है।
दिल्ली पहुंच चुका है तो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी कोरोना का लेकर हाई एलर्ट मोड में है। लखनऊ में विदेश से आए 300 यात्री स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लखनऊ स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को ऐसे 300 लोगों की सूची भेजी है,जिनको संदिग्ध मानकर उनकी कोरोना वायरस जांच चल रही है।
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना वायरस को लेकर प्रदेश में हाई अलर्ट जारी किया है। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को कहा है कि कोरोना वायरस को लेकर प्रत्येक जिला चिकित्सालय में बेड सुरक्षित रखे जाएं। इसके साथ ही उन्होंने अस्पतालों को कोरोना वायरस से निपटने के लिए तमाम उपकरण भी तैयार रखने के निर्देश दिए हैं। बता दें, भारत में भी कोरोना वायरस के दो नए मामले सामने आए हैं। कोराना वायरस का पहला पॉजिटिव केस नई दिल्ली में सामने आया है, जबकि दूसरा मामला तेलंगाना में सामने आया है।
उत्तर प्रदेश में करीब 1000 बेड इस वायरस से निपटने के लिए पहले से रिजर्व में रखे गए हैं। एक दूसरे को छूने, खांसने, हाथ मिलाने और पास आने से भी कोरोना वायरस के फैलने का डर बना रहता है। ऐसे में तमाम लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग इस तरह की कवायद भी जारी कर रहा है कि कोरोना वायरस से बचाव के तरीकों पर ध्यान जरूर दिया जाए। उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से पुणे स्थित लैब में अब तक 500 से ज्यादा संदिग्ध कोरोना वायरस के केसों की जांच भी आ चुकी है। अभी तक कोई भी मरीज कोरोना वायरस का नहीं पाया गया है।
दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज मिलने के बाद प्रदेश में भी चैकसी बढ़ा दी गई है। सभी एयरपोर्ट के अलावा नेपाल सीमा पर भी स्वास्थ्य विभाग की टीमों को सतर्क कर दिया गया है। इन्हें साफ कहा गया है कि कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रहे 12 देशों चीन, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, थाईलैंड, साउथ कोरिया, जापान, मलयेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, इटली, इरान और नेपाल से आने वाले लोगों की गहन जांच की जाए। ऐसे लोग गहन जांच के बिना अपने घर नहीं जा सकेंगे। इस बीच अभी तक पूरे प्रदेश में 2220 यात्रियों को ट्रैक किया जा चुका है। इसमें 108 यात्रियों के सैंपल जांच के लिए लैब में भेजे गए थे। 101 की रिपोर्ट निगेटिव आई है, जबकि सात की रिपोर्ट आनी बाकी है।
संचारी रोग निदेशक मिथिलेश चतुर्वेदी ने बताया कि वर्तमान में 12 देशों के यात्रियों की स्क्रीनिंग हो रही है,जिनमें लक्षण नहीं होते, उन्हें निगरानी में रखा जाता है। जो भारतीय इन देशों से घूमकर लौट रहे हैं, उन्हें 14 दिन तक घर में रहने को कहा जाता है। इसके साथ घरवालों को मास्क दिए जा रहे हैं ताकि वे जब भी उस सदस्य से मिलें, तो मास्क लगाए रखें। श्री चतुर्वेदी ने बताया कि संदिग्ध की श्रेणी में सिर्फ वही हैं, जिन्होंने 12 देशों की यात्रा पिछले 14 दिनों में की है। उनमें बुखार, जुकाम, खांसी, सांस से जुड़ी समस्या पाई जा रही हैं तो संदिग्ध की श्रेणी में माना जाता है। ऐसे लोग प्रदेश के कंट्रोल रूम नंबर या जिले के कंट्रोल रूम में संपर्क कर सकते हैं। उनके घर टीम भेजकर सैंपल लिए जाएंगे।
किंग जार्च मेडिकल विश्वविद्यालय लखनऊ की माइक्रोबायॉलजी विभाग की प्रो. शीतल वर्मा ने बताया कि अगर किसी को बुखार, जुकाम, खांसी या सांस की तकलीफ है तो जरूरी नहीं कि कोरोना वायरस ही हो। अगर आपने पिछले 28 दिन में वायरस संक्रमित देशों की यात्रा की है तभी यह खतरा हो सकता है। अगर कहीं की यात्रा नहीं की और ऐसे लक्षण दिख रहे हैं तो यह सामान्य बीमारी हो सकती है।
मेडिकल सांइस के लिए नई मुसीबत बना जानलेवा कोरोना वायरस पूरी दुनिया में कोहराम मचा रहा है। चीन जहां पहली बार इस वायरस का संक्रमण फैला था,वहां हजारों लोग कोरोना के चलते मौत के मुंह में समा चुके हैं। सवाल यह उठता है कि कोरना वायरस से बचाव कैसे हो तो डाक्टर बस यही कहते सुने जाते हैं इस वायरस से बचाव के लिए सावधानी ही एक मात्र इसका इलाज है।
दिल्ली पहुंच चुका है तो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी कोरोना का लेकर हाई एलर्ट मोड में है। लखनऊ में विदेश से आए 300 यात्री स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने लखनऊ स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को ऐसे 300 लोगों की सूची भेजी है,जिनको संदिग्ध मानकर उनकी कोरोना वायरस जांच चल रही है।
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना वायरस को लेकर प्रदेश में हाई अलर्ट जारी किया है। स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को कहा है कि कोरोना वायरस को लेकर प्रत्येक जिला चिकित्सालय में बेड सुरक्षित रखे जाएं। इसके साथ ही उन्होंने अस्पतालों को कोरोना वायरस से निपटने के लिए तमाम उपकरण भी तैयार रखने के निर्देश दिए हैं। बता दें, भारत में भी कोरोना वायरस के दो नए मामले सामने आए हैं। कोराना वायरस का पहला पॉजिटिव केस नई दिल्ली में सामने आया है, जबकि दूसरा मामला तेलंगाना में सामने आया है।
उत्तर प्रदेश में करीब 1000 बेड इस वायरस से निपटने के लिए पहले से रिजर्व में रखे गए हैं। एक दूसरे को छूने, खांसने, हाथ मिलाने और पास आने से भी कोरोना वायरस के फैलने का डर बना रहता है। ऐसे में तमाम लोगों के लिए स्वास्थ्य विभाग इस तरह की कवायद भी जारी कर रहा है कि कोरोना वायरस से बचाव के तरीकों पर ध्यान जरूर दिया जाए। उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से पुणे स्थित लैब में अब तक 500 से ज्यादा संदिग्ध कोरोना वायरस के केसों की जांच भी आ चुकी है। अभी तक कोई भी मरीज कोरोना वायरस का नहीं पाया गया है।
दिल्ली में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज मिलने के बाद प्रदेश में भी चैकसी बढ़ा दी गई है। सभी एयरपोर्ट के अलावा नेपाल सीमा पर भी स्वास्थ्य विभाग की टीमों को सतर्क कर दिया गया है। इन्हें साफ कहा गया है कि कोरोना वायरस का प्रकोप झेल रहे 12 देशों चीन, हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, थाईलैंड, साउथ कोरिया, जापान, मलयेशिया, इंडोनेशिया, वियतनाम, इटली, इरान और नेपाल से आने वाले लोगों की गहन जांच की जाए। ऐसे लोग गहन जांच के बिना अपने घर नहीं जा सकेंगे। इस बीच अभी तक पूरे प्रदेश में 2220 यात्रियों को ट्रैक किया जा चुका है। इसमें 108 यात्रियों के सैंपल जांच के लिए लैब में भेजे गए थे। 101 की रिपोर्ट निगेटिव आई है, जबकि सात की रिपोर्ट आनी बाकी है।
संचारी रोग निदेशक मिथिलेश चतुर्वेदी ने बताया कि वर्तमान में 12 देशों के यात्रियों की स्क्रीनिंग हो रही है,जिनमें लक्षण नहीं होते, उन्हें निगरानी में रखा जाता है। जो भारतीय इन देशों से घूमकर लौट रहे हैं, उन्हें 14 दिन तक घर में रहने को कहा जाता है। इसके साथ घरवालों को मास्क दिए जा रहे हैं ताकि वे जब भी उस सदस्य से मिलें, तो मास्क लगाए रखें। श्री चतुर्वेदी ने बताया कि संदिग्ध की श्रेणी में सिर्फ वही हैं, जिन्होंने 12 देशों की यात्रा पिछले 14 दिनों में की है। उनमें बुखार, जुकाम, खांसी, सांस से जुड़ी समस्या पाई जा रही हैं तो संदिग्ध की श्रेणी में माना जाता है। ऐसे लोग प्रदेश के कंट्रोल रूम नंबर या जिले के कंट्रोल रूम में संपर्क कर सकते हैं। उनके घर टीम भेजकर सैंपल लिए जाएंगे।
किंग जार्च मेडिकल विश्वविद्यालय लखनऊ की माइक्रोबायॉलजी विभाग की प्रो. शीतल वर्मा ने बताया कि अगर किसी को बुखार, जुकाम, खांसी या सांस की तकलीफ है तो जरूरी नहीं कि कोरोना वायरस ही हो। अगर आपने पिछले 28 दिन में वायरस संक्रमित देशों की यात्रा की है तभी यह खतरा हो सकता है। अगर कहीं की यात्रा नहीं की और ऐसे लक्षण दिख रहे हैं तो यह सामान्य बीमारी हो सकती है।
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