कृष्णमोहन झा
देश में कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लाक डाउन लागू करने की घोषणा की तो अधिकांश आबादी की ज़िन्दगी घर की चहार दीवारी के भीतर सिमट कर रह गई और जब देश के विभिन्न राज्यों में इस वायरस के संक्रमण का दायरा बढने लगा तो यह जानने के लिए लोगों की अधीरता भी बढने लगी कि देश के किस राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण की क्या स्थिति है | लोगों की यह अधीरता अभी भी बरकरार है बल्कि अगर यह कहें कि कोरोना को लेकर देश दुनिया के हालात जानने की यह उत्सुकता पहले से भी अधिक बढ़ गई है तो गलत नहीं होगा |
हमारी इस उत्सुकता को शांत करने मे इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिन्ट मीडिया, दोनों ही अहम भूमिका निभा रहे हैं | सुबह शाम अगर हमें अगर दैनिक समाचार पत्रों की अधीरता से प्रतीक्षा करते हैं तो दिन मेंअधिकांश समय या तो हम दूरदर्शन के सामने बैठे रहते हैं अथवा मोबाइल के माध्यम से कोरोना संक्रमण के बारे में नवीनतम जानकारी हासिल करके अपनी उत्सुकता को शांत करने का प्रयास करते हैं |इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से जुड़े लोग कोरोना वायरस के प्रकोप के बारे में नवीनतम जानकारी हम तक पहुंचाने के लिए जिस समर्पण भावना के साथ रात दिन अपने काम में जुटे हुए है उसके लिए वे निसंदेह समाज से सराहना पाने के हकदार हैं | ये लोग भी कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से पूरे साहस के साथ जूझते हुए अपने काम में कुछ इस तरह जुटे रहते हैं कि उस समय बाकी सुख सुविधाएं उनके लिए कोई मायने नहीं रखतीं | चूंकि हम मीडिया के लोगों के सीधे संपर्क में नहीं रहते इसलिए हम उनकी कठिनाईयों से अवगत नहीं हो पाते |मीडिया कोरोना वायरस के संक्रमण के बारे में लोगों को सचेत एवं जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है |लाक डाउन के कारण अगर कहीं गरीब तबके के लोगों को कठिनाई हो रही है तो कई. बार मीडिया के माध्यम से ही सरकारों को उसकी जानकारी मिली है और सरकार ने उन कठिनाईयों को दूर किया है |
विगत दिनों ऐसा ही एक उदाहरण दिल्ली में देखने को. मिला था |लाकडाउन के कारण दिल्ली में बहुत से गरीब मजदूर यमुना नदी पर पुल के नीचे दयनीय हालत में दिन गुजार रहे थे, |उन्हें पेट भरने के लिए ठीक से भोजन भी नसीब नहीं हो रहा था | एक समाचार चैनल द्वारा इस खबर को प्रसारित किए जाने के. बाद कुछ ही घंटों के अन्दर सरकार की बसें वहाँ पहुंच गई और उनके द्वारा मजदूरों की सुरक्षित स्थानों पर न केवल रहने की व्यवस्था कर दी गई बल्कि उन्हें नियमित भरपेट भोजन भी मिलने लगा इसलिए यह सोचना गलत है कि मीडिया केवल आलोचना करता है | देश के विभिन्न हिस्सों में विस्थापित गरीब मजदूरों की कठिनाईयों को दूर करने में मीडिया महत्व पूर्ण भूमिका रहा है | कोरोनावायरस
के संक्रमण के खतरों के प्रति लोगों को सचेत करने में मीडिया सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है|कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण अनेक राज्यों के कई शहरों ,जिलों यहां तक कि राज्यों की सीमाओं को भी सील कर दिया गया है ऐसे स्थानों पर मीडिया कर्मियों को जाने की अनुमति है ताकि वे मौके पर मौजूद रहकर वहां की वास्तविक स्थिति की जानकारी एकत्र करके उसे समाचार पत्रों अथवा दूरदर्शन के माध्यम से हम तक पहुंचा सकें | रेड जोन औरआरेंज जोन में आने वाले ऐसे संवेदनशील इलाकों में भी जाने से मीडिया कर्मी परहेज नहीं करते जहां पुलिस, चिकित्सक, पेरामेडिकल स्टाफ के सदस्य भी इस आशंका के साथ जाते हैं कि उन पर वहां हमला भी हो सकता है | चिकित्सकों, पेरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों और पुलिस बल की भांति मीडिया कर्मी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन एक मिशन के रूप में कर रहे हैं | ऐसा नहीं है कि उनको अपनी जिम्मेदारियों के निष्ठापूर्वक निर्वहन के मार्ग में किन्हीं कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड रहा है परंतु अपने कर्तव्य पालन के प्रति समर्पण की भावना उन्हें बड़े से बड़े जोखिम उठाने का साहस औरआत्मविश्वास भी प्रदान करती है |
मीडिया जब यह तय कर लेता है कि वह सच रहेगा और सच के सिवा कुछ नहीं करेगी तो उसके जोखिमों में इजाफा हो जाता है|समाचार पत्र में पूरा सच छापना और दूरदर्शन पर पूरा सच दिखाने के रास्ते में अनेक जोखिम आड़े आते हैं और कोरोना वायरस के संक्रमण से संबंधित सच को उजागर करने में भी कम जोखिम नहीं हैं परंतु मीडिया को कोई भी जोखिम अभी तक विचलित नहीं कर सका है |गौर तलब है कि हाल में ही मीडिया कर्मियों को उन लोगों अथवा संगठनों की ओर से धमकियां मिल चुकी हैं जिन्हें अपने बारे में सच दिखाया जाना सहन नहीं हुआ | कहीं कहीं मीडिया कर्मियों पर हमले भी हुए हैं परंतु किसी भी धमकी अथवा हमले से मीडिया का मिशन कमजोर नहीं पड़ा |
लाक डाउन लागू होने के बाद विगत एक माह के दौरान देश के अनेक भागों से चिकित्सको , पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों एवं पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों के समान ही अनेक मीडिया कर्मियों के भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाने के समाचार मिल रहे हैं |हाल में ही मुंबई में पत्रकारों के एक संगठन ने मीडिया कर्मियों के लिए एक कोरोना जांच शिविर काआयोजन किया था उसमें 167 पत्रकारों का परीक्षण क्या गया जिनमें से 53 पत्रकारों. को कोरोना पाजिटिव पाया गया | 114पत्रकारों की रिपोर्ट नेगेटिव आई |कोरोना पाजिटिव पत्रकारों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और अब यह पता लगाया जा रह़ा है कि जिन पत्रकारों की रिपोर्ट पाजिटिव आई है वे विगत एक माह के दौरान किन किन लोगों के संपर्क में आए थे|मुंबई में इतनी अधिक संख्या में पत्रकारों के कोरोना संक्रमित हो जाने के बाद अब अन्य प्रदेशों की सरकारों ने भी मीडिया कर्मियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए शिविर लगाने का फैसला किया है और सबसे पहले इस काम के लिए पंजाब और दिल्ली की सरकारें आगे आई हैं |
उचित तो यही होगा कि केन्द्र सरकार इस संबंध में एक गाइड लाइन जारी करे और संपूर्ण देश में फील्ड में काम करने वाले मीडिया कर्मियों को पी पी ई किट प्रदान करने केलिए सभी राज्य सरकारों को निर्देशित करे |पाजिटिव पाए जाने के पूर्व मध्य प्रदेश में एक पत्रकार को कोरोना पाया गया था राज्य सरकारों को निर्देशित कर दे | गौर तलब है कि मुंबई में 53 पत्रकारों के कोरोना.पाजिटिव पाए जाने के पूर्व मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी एक पत्रकार को कोरोना पाजिटिव पाया गया था |यह तब की बात है जबकि राज्य में कोरोनावायरस का संक्रमण बहुत अधिक नहीं फैला था | देश के कई अन्य हिस्सों में मीडिया कर्मियों के कोरोना संक्रमित होने की बढती खबरों ने केन्द्र सरकार का भी ध्यान आकर्षित किया है और अबउसकीओर से प्रिन्ट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए एक एडवायजरीजारी की गई है जिसमें रिपोर्टर केमरामेन और फोटोग्राफर आदि मीडिया कर्मियों को हाट स्पाट, कोरोना संक्रमित क्षेत्रों,हाटॉ स्पाट और कोविड19 से प्रभावित अन्य इलाकों में जाते समय स्वास्थ्य संबंध सभी आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है|
इस एडवायजरी में मीडिया घरानों के प्रबंधन से भी फील्ड एवं कार्यालय में काम करने वाले अपने कर्मचारियों की देख रेख करने का अनुरोध किया गया है | दरअसल आवश्यकता तो इस बात की है कि जिस तरह मीडियाकर्मियों के कोरोना संक्रमित होने की खबरें सामने आ रही हैं एवं निष्पक्ष समाचारों के प्रसारण के कारण उन्हें जो धमकियां मिल रही हैं उसे देखते हुए उनका भी बीमा कराया जाना चाहिए |मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी राज्य की शिवराजसरकार से मीडिया कर्मियों को पी पी ई किट प्रदान करने एवं उनका बीमा कराने की मांग की है| मीडिया कर्मियों को न तो कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा कर्तव्य पालन के मार्ग से विचलित कर पा रहा है और न ही वे किसी भी तरह की धमकियों से भयभीत हैं वे पूर्ण समर्पण की भावना के साथ निर्भय होकर अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह कर रहे हैं|
चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों और पुलिस बल के समान मीडियाकर्मी भी जिस तरह निष्ठापूर्वक अपना कर्तव्य पालन कर रहे हैं वह निसंदेह सराहनीय है परंतु दूसरी ओर ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि कुछ मीडिया घरानों का प्रबंधन लाक डाउन के कारण आर्थिक संकट की दुहाई देकर अपने कुछ कर्मचारियों को नौकरी से हटाने में भी संकोच नहीं कर रहा है |गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत दिनों राष्ट्र के नाम संदेश में समाज के सभी वर्गों से जिस सप्तपदी को जीवन में उतारने की अपील की थी उसमें एक सूत्र यह भी था कि इस कठिन समय में किसी भी संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों को उसका प्रबंधन नौकरी से न निकाले परंतु कई मीडिया घरानों के प्रबंधकों ने अपने संस्थान में कार्यरत कुछ कर्मचारियों को या तो नौकरी से हटा दिया है अथवा उन्हें खुद ही नौकरी छोड़ने पर विवश कर दिया है | कुछ संस्थानों ने अपने कुछ कर्मचारियों को जबरिया अवकाश पर भेज दिया है |कुछ संस्थानों में मीडियाकर्मियों के वेतन में कटौती करने अथवा उनका वेतन रोक लिए जाने की खबरें मिली हैं|
अब जबकि लाकडाउन. का एक माह बीत चुका है, मीडियाकर्मियों की कठिनाईयों की ओर ध्यान भी दिए जाने की आवश्यकता है | मीडिया कर्मी भी कोरोना फाइटर्स जैसा सम्मान पाने के अधिकारी हैं कोरोना संक्रमण की परवाह किए बिना वे जिस तरह समर्पित भाव से अपने काम में जुटे हुए हैं उसका सही मूल्यांकन किया जाना चाहिए | जो मीडियाकर्मी फील्ड में काम कर रहे हैं उन्हें पी पी ई किट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही उनका कम से कम 50 लाख का बीमा भी कऱाया जाना चाहिए |सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी मीडिया संस्थान में कर्मचारियों को प्रबंधन की मनमानी का शिकार न बनना पड़े|
लेखक कृष्णमोहन झा IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के सलाहकार हैं.
देश में कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने लाक डाउन लागू करने की घोषणा की तो अधिकांश आबादी की ज़िन्दगी घर की चहार दीवारी के भीतर सिमट कर रह गई और जब देश के विभिन्न राज्यों में इस वायरस के संक्रमण का दायरा बढने लगा तो यह जानने के लिए लोगों की अधीरता भी बढने लगी कि देश के किस राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण की क्या स्थिति है | लोगों की यह अधीरता अभी भी बरकरार है बल्कि अगर यह कहें कि कोरोना को लेकर देश दुनिया के हालात जानने की यह उत्सुकता पहले से भी अधिक बढ़ गई है तो गलत नहीं होगा |
हमारी इस उत्सुकता को शांत करने मे इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिन्ट मीडिया, दोनों ही अहम भूमिका निभा रहे हैं | सुबह शाम अगर हमें अगर दैनिक समाचार पत्रों की अधीरता से प्रतीक्षा करते हैं तो दिन मेंअधिकांश समय या तो हम दूरदर्शन के सामने बैठे रहते हैं अथवा मोबाइल के माध्यम से कोरोना संक्रमण के बारे में नवीनतम जानकारी हासिल करके अपनी उत्सुकता को शांत करने का प्रयास करते हैं |इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से जुड़े लोग कोरोना वायरस के प्रकोप के बारे में नवीनतम जानकारी हम तक पहुंचाने के लिए जिस समर्पण भावना के साथ रात दिन अपने काम में जुटे हुए है उसके लिए वे निसंदेह समाज से सराहना पाने के हकदार हैं | ये लोग भी कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से पूरे साहस के साथ जूझते हुए अपने काम में कुछ इस तरह जुटे रहते हैं कि उस समय बाकी सुख सुविधाएं उनके लिए कोई मायने नहीं रखतीं | चूंकि हम मीडिया के लोगों के सीधे संपर्क में नहीं रहते इसलिए हम उनकी कठिनाईयों से अवगत नहीं हो पाते |मीडिया कोरोना वायरस के संक्रमण के बारे में लोगों को सचेत एवं जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है |लाक डाउन के कारण अगर कहीं गरीब तबके के लोगों को कठिनाई हो रही है तो कई. बार मीडिया के माध्यम से ही सरकारों को उसकी जानकारी मिली है और सरकार ने उन कठिनाईयों को दूर किया है |
विगत दिनों ऐसा ही एक उदाहरण दिल्ली में देखने को. मिला था |लाकडाउन के कारण दिल्ली में बहुत से गरीब मजदूर यमुना नदी पर पुल के नीचे दयनीय हालत में दिन गुजार रहे थे, |उन्हें पेट भरने के लिए ठीक से भोजन भी नसीब नहीं हो रहा था | एक समाचार चैनल द्वारा इस खबर को प्रसारित किए जाने के. बाद कुछ ही घंटों के अन्दर सरकार की बसें वहाँ पहुंच गई और उनके द्वारा मजदूरों की सुरक्षित स्थानों पर न केवल रहने की व्यवस्था कर दी गई बल्कि उन्हें नियमित भरपेट भोजन भी मिलने लगा इसलिए यह सोचना गलत है कि मीडिया केवल आलोचना करता है | देश के विभिन्न हिस्सों में विस्थापित गरीब मजदूरों की कठिनाईयों को दूर करने में मीडिया महत्व पूर्ण भूमिका रहा है | कोरोनावायरस
के संक्रमण के खतरों के प्रति लोगों को सचेत करने में मीडिया सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है|कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण अनेक राज्यों के कई शहरों ,जिलों यहां तक कि राज्यों की सीमाओं को भी सील कर दिया गया है ऐसे स्थानों पर मीडिया कर्मियों को जाने की अनुमति है ताकि वे मौके पर मौजूद रहकर वहां की वास्तविक स्थिति की जानकारी एकत्र करके उसे समाचार पत्रों अथवा दूरदर्शन के माध्यम से हम तक पहुंचा सकें | रेड जोन औरआरेंज जोन में आने वाले ऐसे संवेदनशील इलाकों में भी जाने से मीडिया कर्मी परहेज नहीं करते जहां पुलिस, चिकित्सक, पेरामेडिकल स्टाफ के सदस्य भी इस आशंका के साथ जाते हैं कि उन पर वहां हमला भी हो सकता है | चिकित्सकों, पेरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों और पुलिस बल की भांति मीडिया कर्मी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन एक मिशन के रूप में कर रहे हैं | ऐसा नहीं है कि उनको अपनी जिम्मेदारियों के निष्ठापूर्वक निर्वहन के मार्ग में किन्हीं कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड रहा है परंतु अपने कर्तव्य पालन के प्रति समर्पण की भावना उन्हें बड़े से बड़े जोखिम उठाने का साहस औरआत्मविश्वास भी प्रदान करती है |
मीडिया जब यह तय कर लेता है कि वह सच रहेगा और सच के सिवा कुछ नहीं करेगी तो उसके जोखिमों में इजाफा हो जाता है|समाचार पत्र में पूरा सच छापना और दूरदर्शन पर पूरा सच दिखाने के रास्ते में अनेक जोखिम आड़े आते हैं और कोरोना वायरस के संक्रमण से संबंधित सच को उजागर करने में भी कम जोखिम नहीं हैं परंतु मीडिया को कोई भी जोखिम अभी तक विचलित नहीं कर सका है |गौर तलब है कि हाल में ही मीडिया कर्मियों को उन लोगों अथवा संगठनों की ओर से धमकियां मिल चुकी हैं जिन्हें अपने बारे में सच दिखाया जाना सहन नहीं हुआ | कहीं कहीं मीडिया कर्मियों पर हमले भी हुए हैं परंतु किसी भी धमकी अथवा हमले से मीडिया का मिशन कमजोर नहीं पड़ा |
लाक डाउन लागू होने के बाद विगत एक माह के दौरान देश के अनेक भागों से चिकित्सको , पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों एवं पुलिस अधिकारियों कर्मचारियों के समान ही अनेक मीडिया कर्मियों के भी कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाने के समाचार मिल रहे हैं |हाल में ही मुंबई में पत्रकारों के एक संगठन ने मीडिया कर्मियों के लिए एक कोरोना जांच शिविर काआयोजन किया था उसमें 167 पत्रकारों का परीक्षण क्या गया जिनमें से 53 पत्रकारों. को कोरोना पाजिटिव पाया गया | 114पत्रकारों की रिपोर्ट नेगेटिव आई |कोरोना पाजिटिव पत्रकारों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है और अब यह पता लगाया जा रह़ा है कि जिन पत्रकारों की रिपोर्ट पाजिटिव आई है वे विगत एक माह के दौरान किन किन लोगों के संपर्क में आए थे|मुंबई में इतनी अधिक संख्या में पत्रकारों के कोरोना संक्रमित हो जाने के बाद अब अन्य प्रदेशों की सरकारों ने भी मीडिया कर्मियों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए शिविर लगाने का फैसला किया है और सबसे पहले इस काम के लिए पंजाब और दिल्ली की सरकारें आगे आई हैं |
उचित तो यही होगा कि केन्द्र सरकार इस संबंध में एक गाइड लाइन जारी करे और संपूर्ण देश में फील्ड में काम करने वाले मीडिया कर्मियों को पी पी ई किट प्रदान करने केलिए सभी राज्य सरकारों को निर्देशित करे |पाजिटिव पाए जाने के पूर्व मध्य प्रदेश में एक पत्रकार को कोरोना पाया गया था राज्य सरकारों को निर्देशित कर दे | गौर तलब है कि मुंबई में 53 पत्रकारों के कोरोना.पाजिटिव पाए जाने के पूर्व मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी एक पत्रकार को कोरोना पाजिटिव पाया गया था |यह तब की बात है जबकि राज्य में कोरोनावायरस का संक्रमण बहुत अधिक नहीं फैला था | देश के कई अन्य हिस्सों में मीडिया कर्मियों के कोरोना संक्रमित होने की बढती खबरों ने केन्द्र सरकार का भी ध्यान आकर्षित किया है और अबउसकीओर से प्रिन्ट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए एक एडवायजरीजारी की गई है जिसमें रिपोर्टर केमरामेन और फोटोग्राफर आदि मीडिया कर्मियों को हाट स्पाट, कोरोना संक्रमित क्षेत्रों,हाटॉ स्पाट और कोविड19 से प्रभावित अन्य इलाकों में जाते समय स्वास्थ्य संबंध सभी आवश्यक सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है|
इस एडवायजरी में मीडिया घरानों के प्रबंधन से भी फील्ड एवं कार्यालय में काम करने वाले अपने कर्मचारियों की देख रेख करने का अनुरोध किया गया है | दरअसल आवश्यकता तो इस बात की है कि जिस तरह मीडियाकर्मियों के कोरोना संक्रमित होने की खबरें सामने आ रही हैं एवं निष्पक्ष समाचारों के प्रसारण के कारण उन्हें जो धमकियां मिल रही हैं उसे देखते हुए उनका भी बीमा कराया जाना चाहिए |मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी राज्य की शिवराजसरकार से मीडिया कर्मियों को पी पी ई किट प्रदान करने एवं उनका बीमा कराने की मांग की है| मीडिया कर्मियों को न तो कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा कर्तव्य पालन के मार्ग से विचलित कर पा रहा है और न ही वे किसी भी तरह की धमकियों से भयभीत हैं वे पूर्ण समर्पण की भावना के साथ निर्भय होकर अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह कर रहे हैं|
चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ के सदस्यों और पुलिस बल के समान मीडियाकर्मी भी जिस तरह निष्ठापूर्वक अपना कर्तव्य पालन कर रहे हैं वह निसंदेह सराहनीय है परंतु दूसरी ओर ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि कुछ मीडिया घरानों का प्रबंधन लाक डाउन के कारण आर्थिक संकट की दुहाई देकर अपने कुछ कर्मचारियों को नौकरी से हटाने में भी संकोच नहीं कर रहा है |गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत दिनों राष्ट्र के नाम संदेश में समाज के सभी वर्गों से जिस सप्तपदी को जीवन में उतारने की अपील की थी उसमें एक सूत्र यह भी था कि इस कठिन समय में किसी भी संस्थान में कार्यरत कर्मचारियों को उसका प्रबंधन नौकरी से न निकाले परंतु कई मीडिया घरानों के प्रबंधकों ने अपने संस्थान में कार्यरत कुछ कर्मचारियों को या तो नौकरी से हटा दिया है अथवा उन्हें खुद ही नौकरी छोड़ने पर विवश कर दिया है | कुछ संस्थानों ने अपने कुछ कर्मचारियों को जबरिया अवकाश पर भेज दिया है |कुछ संस्थानों में मीडियाकर्मियों के वेतन में कटौती करने अथवा उनका वेतन रोक लिए जाने की खबरें मिली हैं|
अब जबकि लाकडाउन. का एक माह बीत चुका है, मीडियाकर्मियों की कठिनाईयों की ओर ध्यान भी दिए जाने की आवश्यकता है | मीडिया कर्मी भी कोरोना फाइटर्स जैसा सम्मान पाने के अधिकारी हैं कोरोना संक्रमण की परवाह किए बिना वे जिस तरह समर्पित भाव से अपने काम में जुटे हुए हैं उसका सही मूल्यांकन किया जाना चाहिए | जो मीडियाकर्मी फील्ड में काम कर रहे हैं उन्हें पी पी ई किट की उपलब्धता सुनिश्चित करने के साथ ही उनका कम से कम 50 लाख का बीमा भी कऱाया जाना चाहिए |सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी मीडिया संस्थान में कर्मचारियों को प्रबंधन की मनमानी का शिकार न बनना पड़े|
लेखक कृष्णमोहन झा IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के सलाहकार हैं.
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