14.6.20

शादी के रंग में भंग डाल दिया इस कोरोना ने!



अगर ज़िंदगी है तो ख्वाब हर कोई देखता है, हर धड़कते जवां दिलों का भी एक ख्वाब होता है कि उसकी शादी बड़े ही धूमधाम से हो।  वैदिक संस्कृति में सोलह संस्कारों का बहुत महत्व होता है और उन्हीं संस्कारों में से एक संस्कार विवाह का है।  यह बहुत ही अनमोल मौका होता है, जिसका इंतजार लड़का एवं लड़की पक्ष दोनों को होता है।  इस दिन दोनों ही पक्षों में खुशियां ही खुशियां होती हैं। दुल्हा-दुल्हन के साथ ही घरों की साज-सज्जा हो या फिर मंडप में हो रहा फेरा हो, बारात के आगमन से लेकर जयमाल और फिर विदाई तक की हर रस्म खासमखास होती हैं। शादी में बने हुए पकवानों का भी अलग ही महत्व होता है।  हमारे भारत में शादी एक बहुत ही बड़े आयोजनों में से एक है। जिसकी तैयारी महीनों पहले ही शुरू हो जाती है और हफ्ते भर पहले से ही रस्मों का सिलसिला भी शुरु हो जाता है।

भारत में कोरोना वायरस की दस्तक के बाद शादी ब्याह के तरीके भी बदल गए हैं।  अब बारातियों का स्वागत फूलों से नहीं बल्कि सेनिटाइज़र छिड़क कर किया जा रहा है। बारात में भी बारातियों की फौज नहीं बल्कि दुल्हे के सबसे करीबी ही नजर आ रहे हैं, यानी दोस्तों को तो छोड़िए, अब जीजा, बुआ, फुफा, मौसा-मौसी और मामा-मामी में भी कौन बाराती होगा और कौन नहीं इसपर भी खूब माथापच्चियां हो रही हैं।  वर और वधु पक्ष दोनों ही गुणाभाग करके 50 लोगों के नामों पर चर्चा करते हैं तब जाके उन्हीं 50 लोगों की मौजूदगी में शादी करने की परमीशन मिलती है।

हर लड़की का सपना होता है कि उसका राजकुमार खूब गाना, बजाना, धूम-धड़ाका के साथ घोड़ी पर चढ़कर बारात लेकर आएगा और साथ में नागिन डांस करते हुए बारातियों की फौज होगी। लेकिन अफसोस कि कोरोना वायरस ने ऐसा कहर ढ़ाया की इस दौरान जितने भी दुल्हा दुल्हन बने सबके अरमानों पर पानी फिर गया, सबके सपनों को रौंद कर मानो कोरोना ही नाच रहा हो क्योंकि शादी में भी शादी के चर्चे कम कोरोना के चर्चे ज्यादा हैं।

शादी का सबसे खास रस्म सात फेरा भी अब सोशल डिस्टेंस के साथ 2 गज की दूरी बनाकर पूरा किया जा रहा है और दुल्हन भी सोलह श्रृंगारों की जगह 17 श्रृंगारों में नज़र आ रही हैं। अब मास्क 17वां श्रृंगार ही तो है जो कोरोना बाबा ने जरूरी कर दिया है, दुल्हन के चेहरे पर मास्क लगाकर सोलह श्रृंगार पर मानों पानी ही फेर दिया जाता है।

भारत में शादी बड़े ही धूमधाम से होती है।  शादी वाले घर में हफ्ते भर पहले से ही रिश्तेदारों की धमाचौकड़ी शुरू हो जाती है। लेकिन कोरोना काल में हो रही शादी में ये सब कुछ भी संभव नहीं है, क्योंकि सरकार की गाई़डलाइन के मुताबिक शादी के दिन ही सारे मेहमान आएंगे और शादी पूरी होते ही रिश्तेदार भी रुखसत हो जाएंगे. अब भला बिना धमाचौकड़ी के शादी भी कोई शादी है, न नाच-गाना, न फुफाजी का रूठना-मनाना और न ही दुल्हन को देखने वालों का तांता लगना। अब भला दुल्हन भी लंहगा दिखलाए तो किसको दिखलाए।  शादी ब्याह में दुल्हा दुल्हन के दोस्त यार ही तो जान होते हैं पूरी शादी की। अब बिना उन दोस्तों के शादी तो बेरंग दिखनी ही है। अब जो लोग शादी को टाल सकते थे उन लोगों ने तो इसे टाल दिया, लेकिन कुछ बेचारे मजबूर हो गए कोरोना काल में शादी करने को क्योंकि कोरोना पूरी तरह से खत्म होने का इंतजार तो बहुत लंबा होगा।  कोरोना महाराज तो जाने का नाम ही नहीं ले रहे हैं ऐसे में लोगों के शादी के बड़े बड़े अरमानों की खुदा ही खैर करे।

लेखिका
डा0 शमाम फात्मा,
जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

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