7.6.20

प्रकृति के साथ खिलवाड़ बंद हो


 सोनम लववंशी
आज की परिस्थितियों को देख कर लग रहा है , मानो दुनिया में संकटों का दौर चल रहा है। कोरोना का कहर अभी थमा भी नही था कि भारत के पूर्वी तट पर अम्फान ने तो पश्चिमी तट पर निसर्ग तूफान ने अपना कहर बरपा दिया। कोविड-19 की लड़ाई के बीच अम्फान औऱ अब निसर्ग तूफान पर्यावरण के मायने में तो चिंताजनक है। साथ ही अब एक साथ कई मोर्चो पर जूझना आज के समय की वास्तविकता बन गयी है । यह भले ही विज्ञान की उपलब्धि का ही परिणाम है कि तूफान आने के पूर्व ही सूचना प्राप्त हो जाती है, जिससे संकट को कम करने में मदद मिल जाती है। लेकिन आज भी है, प्राकृतिक आपदाओं को रोकने की कोई तकनीक मानव के पास नही है। यह कठिन समय है जिसमें मानव के संयम औऱ ज्ञान की परीक्षा होती है। देखा जाए तो मानव ने अपनी भोग-विलासता के लिए प्रकृति के साथ जिस तरह का व्यवहार किया है आज उसी का परिणाम है कि संकटों का दौर थमने का नाम नही ले रहा है । पहले बाढ़ और तूफान जैसी घटनाएं दशकों में देखने सुनने को मिलती थी लेकिन पिछले कुछ वर्षों से तो ऐसा लगता है मानो ये घटनाएं रोजाना की हो गई हो। ये सब प्रकृति के साथ किए गए दुर्व्यवहार का ही परिणाम है।

19 वी सदी से अब तक हमनें करीब 41 फीसदी उभयचर प्रजाति को खो दिया है । दुनिया की 10 फीसदी किट प्रजातियां भी विलुप्त हो चुकी है, और तो और समुद्री प्रजातियों को भी हमनें संकट में लाकर छोड़ दिया है। समुद्र से भी लगभग 33 फीसदी कोरल फील को नष्ट कर दिया है। यहां तक कि हमने करीब अनाज की भी 90 फीसदी प्रजाति को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है । एक अनुमान के मुताबिक हम करीब 80 लाख प्रजाति खो चुके है और 10 लाख प्रजातियों को विलुप्ति की कगार पर लाकर छोड़ दिए है। इन आंकड़ो को देख कर लग रहा है मानो हमने प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर अपने विनाश को खुद निमंत्रण दिया है।
  
तभी तो देखिए दिल वालो की दिल्ली में भी आये दिनों भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे है। जो कही न कही प्रकृति के साथ किए गए अनैतिक दुर्व्यवहार का ही परिणाम है। आज मानव को स्वयं अपनी जिम्मेदारी समझना होगा और प्रकृति को महत्व देना होगा। वरना आने वाला समय और गम्भीर मुसीबतों वाला होगा। कोरोनो काल  में मानव को एक साथ कई मोर्चो पर तैयार रहना होगा। जिसकी तस्वीरे अभी से ही दिखाई देने लगी है । चंद दिनों पहले असम में भारी बारिश और भूस्खलन का मंजर देखा गया था। केरल में भी मानसून का असर दिखाई दे रहा है । बारिश से जहां कई राज्यो में तबाही का मंजर होगा तो वही मौसमी बीमारी भी चुनौती बनकर सामने आ जायेगी। ऐसे में एक ओर कोरोना का ख़ौफ़ और दूसरी तरफ मानसून की मार अपने साथ नए संकट लेकर आएगी । जिससे लड़ने के लिए हमें और हमारी व्यवस्था को अभी से क़मर कसनी होगी।

सोनम लववंशी
स्वतंत्र लेखिका

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