इंडिया न्यूज़ की हालात बहुत बुरी हैं। टीआरपी के नाम पर भी। और आर्थिक मामले में भी (क्योंकि सैलरी नहीं दे पा रहा हैं)। लेकिन कर्मचारियों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने में और सैलरी देरी से देने के नाम पर मीडिया इंडस्ट्री में सबसे आगे खड़ा है।
अभी मई चल रहा है। लेकिन बेचारे इंडिया न्यूज के कर्मचरियों का बैंक अकाउंट अभी फ़रवरी की सैलरी के लिए राह देख रहा है। मतलब, किसी चीज में हद पार करने की सीमा सीखनी हो तो, इंडिया न्यूज़ के एचआर और मालिक कार्तिकेय शर्मा से सीखे।
हाल ही में खबर आई थी कि इंडिया न्यूज का कैब ड्राइवर Covid-19 पॉजिटिव पाया गया था। ऐसे में स्वाभाविक हैं, बाकी कर्मचारियों को भी खतरा पैदा होता है। लेकिन कई कर्मचारी जान दांव पर लगा कर रोज इंडिया न्यूज़ की कैब से ऑफिस आते हैं।
अब सोचिए जरा, फिर भी 3 महीने से सैलरी नहीं मिली है। ऐसे में कर्मचारी, मालिक और एचआर को बददुआ ना दे , तो क्या दे। क्योंकि बस एक यही चारा हैं।
सैलरी लेटलतीफी का खेल कई महीनों से पूरे आईटीवी नेटवर्क में चल रहा है। जिसमे नेशनल चैनल से लेकर रीजनल चैनल (इंडिया न्यूज़ हरियाणा, इंडिया न्यूज़ राजस्थान, इंडिया न्यूज़ उत्तर प्रदेश उत्तराखंड, इंडिया न्यूज़ मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़, इंडिया न्यूज़ पंजाब) चपेट में हैं।
मार्च में ही सारे चैनल के ऑफिस को एक ही छत के नीचे लाया गया। अब नया ठिकाना ओखला मंडी के पास मीडिया हाउस हैं। तब इंडिया न्यूज के हर कर्मचारी के मन में एक नई उम्मीद की किरण जगी थी, कि अब सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन हालात ठीक होने के बजाय और बिगड़ते जा रहे हैं।
मुझे भी पहले गर्व होता था कि एक अच्छे खासे नेटवर्क में हूं। लेकिन अब तो इंडिया न्यूज में नौकरी के नाम पर धब्बा लग रही हैं। किसी को अपनी पीड़ा को बताने में भी शर्म आ रही हैं। ऐसे में रोजमर्रा की आवश्यकता को पूरा करने में दिक्कत हो रही हैं।
सैलरी कब आएगी, कुछ पता नहीं हैं। न एचआर की तरफ से मेल, ना ही चैनल हेड के पास जवाब। सब एक दूसरे के मुंह ताकते रहते हैं।
मेरी एमडी सर कार्तिकेय शर्माजी से हाथ जोड़ निवेदन हैं कि या तो टाइम से सारी सैलरी दे दे। या फिर सारे नेटवर्क को ही बंद कर दे। ताकि हम मीडियाकर्मी नौकरी के नाम प्रताड़ित ना हो।
फिर तो घर भी बैठेंगे, कोई शर्म नहीं आएगी। कम से कम यह तो कह सकेंगे कि चैनल ही बंद हो गया।
- इंडिया न्यूज़ में कार्यरत एक मीडियाकर्मी की भड़ास
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