जीवन में ऐसे भी मोड आते हैं कि जहां आपके दिल और दिमाग, दोनों की चेतना शून्य हो जाती है..आप न सोच सकते हैं और न ही कुछ कर सकते हैं . उस समय ईश्वर नाम की शक्ति आपका मार्ग दर्शन करती है... मेरे पत्रकारिता जीवन की एक घटना ने मुझे भी शून्य पर लाकर खडा कर दिया था.
यह बात 2007 की है। मैं सहारा टीवी में था। मेरे ब्यूरो चीफ ने महिला दिवस के दिन कहा कि जेल में कुछ ऐसी महिलाएं बंद है जिनके जमानतदार नहीं मिल रहे हैं। महिला दिवस पर यह बेहतरीन स्टोरी थी। सामाजिक संस्थाएं और संगठन महिलाओं के लिए काम कर रही हैं और महिलाएं जेल में बंद हैं, वो भी ज़मानत के आभाव में। उनकी जमानत नहीं हो रही है।
मैं अपने ब्यूरो चीफ के निर्देश पर जब जेल पहुंचा। कई महिलाओं में एक महिला ऐसी दिखी जिसे देख मेरे पैरों की जमीन खिसक गई। उन महिलाओं में वो महिला भी शामिल थी जो मेरे माता-पिता के कत्ल में शामिल थी। मैं खड़ा हो गया, कुछ देर के लिए चुपचाप। मैंने सोचा कि नितिन क्या करना चाहिए? एकदम मेरे मन ने कहा कि इंटरव्यू करो। तुम अपना यहां कर्तव्य पूरा करने आए हो।
मैंने उन महिलाओं का इंटरव्यू लिया। सहारा टीवी पर वो इंटरव्यू चला। दूसरे दिन उस महिला की जमानत हुई। बाद मैं बहुत रोया, बहुत रोया। लेकिन उसके बाद इतनी एनर्जी मिली कि मैं अपने आप को सबसे ताकतवर समझने लगा। आज तक सबसे ताकतवर समझता हूं। मरते दम तक समझता रहूंगा।
नितिन दुबे
सिटी चीफ
दबंग दुनिया
भोपाल
9630130003
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