उमड़ते घुमड़ते मेघ बेशुमार,
भीनी भीनी बारिश की फुहार,
दर्शन, पूजन, वंदन, मंत्रोच्चार,
पवित्र सावन का प्रथम सोमवार,
दोनों ओर यमुना की अविरल धार
मध्य में गूंजती शिव की जयकार,
प्रकृति का ये है अनुपम चमत्कार
कीजिए हमारे साथ भीटा का दीदार...
श्रावण के पवित्र माह में प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण व भगवान शंकर की पवित्र धरा 'भीटा' से साक्षात्कार करने हम और यशार्थ भारद्वाज बारिश की हल्की फुहारों के बीच बाइक से निकल गए। मद्धम रफ्तार और सुंदर मौसम व स्थल तक पहुंचने के रोमांच के कारण इलाहाबाद विश्वविद्यालय से नैनी हैंगिग ब्रिज होते हुए भीटा तक का सफर महज कुछ घण्टों में पूरा हो गया। पद्म माधव (विख्यात नाम सुजावन देव) मंदिर के निकट पहुंचते ही मनकवार की पहाड़ियां दिखना शुरू हो जाती हैं। सामने लहराती विशाल यमुना किसी को भी सहज ही आकर्षित कर सकती है। किनारे से ही यमुना के बीच स्थित 100 फ़ीट ऊंचा पहाड़ीनुमा टीला दिखने लगता है। यहीं पर स्थित है प्रसिद्ध सुजावन देव का मंदिर।
बुजुर्ग बताते हैं कि पहले यहाँ नाव से ही जाना पड़ता था, क्योंकि यह चारों से यमुना से घिरा हुआ था। अब पानी कुछ कम हो गया है तथा यहां तक पहुंचने के लिए एक संकरा रास्ता बना दिया गया है। अतः अब मंदिर तक पैदल भी जाया जा सकता है।
पवित्र यमुना नदी धारा के मध्य पत्थरों की चोटी के ऊपर विराजमान हैं सुजावन देव। लोग इस स्थान को श्री पद्म माधव के नाम से भी जानते हैं। यह नदी के मध्य में स्थित व संरचना में क्षेत्र का अद्वितीय धर्मस्थल है।
यह क्षेत्र बौध्द धर्म स्थली के रूप में भी महत्वपूर्ण है।
ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भीटा अत्यंत महत्वपूर्ण है। उत्खनन के दौरान यहां मौर्यकालीन विशाल ईंटें, परवर्तिकाल की मूर्तियाँ, मिट्टी की मुद्राएँ तथा अनेक अभिलेख प्राप्त हुए हैं। जिनसे सिद्ध होता है कि मौर्यकाल से लेकर गुप्त काल तक यह नगर काफ़ी समृद्धशाली था। यहाँ से प्राप्त सामग्री लखनऊ के संग्रहालय में है। भीटा के समीप ही मानकुँवर ग्राम से एक सुन्दर बुद्ध प्रतिमा मिली थी, जिस पर महाराजाधिराज कुमारगुप्त के समय का एक अभिलेख उत्कीर्ण है।
पावन कालिंदी की धारा के मध्य अवस्थित मुख्य मंदिर के गर्भगृह में लगभग 100 फ़ीट ऊंची सीढ़ियों द्वारा पहुंचा जा सकता है। मंदिर के उच्चतम बिंदु पर शिवलिंग, पताका तथा प्रदक्षिणा पथ है। मंदिर के अन्य भागों में श्री हनुमान जी की प्रतिमा, चट्टाने व गुफा मौजूद हैं। गर्भ गृह से संपूर्ण भीटा का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। भाई दूज के उपलक्ष्य में यहाँ पर मेले का भी आयोजन होता है।
भीटा के सम्पूर्ण क्षेत्र में बौद्ध, जैन व सनातन धर्म के कई प्रतीक दृश्यमान होते हैं।
बाढ़ की स्थिति को छोड़कर यहाँ हर मौसम में जाया जा सकता है। सावन माह में यहाँ के दर्शन का विशेष महत्व है।
भीटा प्रयागराज शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर घूरपुर बाजार से दो किलो मीटर पश्चिम प्रतापपुर मार्ग के किनारे स्थित है।
यहां से निकटतम हवाई अड्डा बमरौली (प्रयागराज) है। नैनी जंक्शन निकटस्थ रेलवे स्टेशन है। राष्ट्रीय राजमार्ग 30 से भी यह स्थान जुड़ा हुआ है। साफ है किसी भी साधन से आप यहाँ आसानी से पहुंच सकते हैं।
लोग ऐसा कहते हैं
शिव जी यहाँ रहते हैं।
आप भी यहाँ जा सकते हैं,
भोले के दर्शन पा सकते हैं,
अब यात्रा की योजना बनाइये,
और भीटा को देखने जरूर जाइए।
Saksham Dwivedi
सक्षम द्विवेदी
रिसर्च ऑन डायस्पोरिक सिनेमा,
20 नया कटरा, दिलकुशा पार्क, प्रयागराज।
मोबाइल- 7380662596
sakshamdwivedi62@gmail.com
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