31.7.20
नेपालियों को देश से खदेड़ने की धमकी देने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री कंप्यूटर बाबा के खिलाफ एमपी पुलिस नहीं दर्ज कर रही शिकायत
नेपाल सरकार और वहां के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के हाल के कदमों और बयानों के बाद भारत में रह रहे नेपालियों को अलग-अलग तरीकों से निशाना बनाए जाने के समाचार मिल रहे हैं जिससे इस समुदाय में डर का माहौल है. अलग-अलग राज्यों के नेपाली उन पर मनोविज्ञानिक हिंसा (धमकी देने, तंज कसने, चिढ़ाने, उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाने) की बात बता ही रहे हैं कि इस बीच 16 जुलाई को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से खबर आई थी कि कुछ गुंडों ने एक नेपाली का सिर मुंडन कर उससे जबरन नेपाल और ओली विरोधी नारे लगवाए. इन गुंडों का मुखिया तरुण पाठक है जो खुद को विश्व हिंदू सेना का प्रमुख बताता है. नेपाली का मुंडन करने के बाद पाठक ने बयान जारी कर अपने कार्यकर्ताओं के कदम का बचाव किया था और धमकी दी कि अगर ओली ने ऐसा बयान दिए तो बनारस में रह रहे नेपालियों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. हालांकि पुलिस ने उनमें से कुछ बदमाशों को पकड़ लिया है लेकिन उनका सरगना पाठक अब तक फरार है.
पाठक के बाद मध्य प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और कांग्रेस के नेता नामदेव त्यागी उर्फ कंप्यूटर बाबा ने भी खुलेआम नेपालियों को भारत से खदेड़ देने की धमकी दी है.
16 जुलाई को मध्य प्रदेश के इंदौर में कंप्यूटर बाबा ने नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए उनका पुतला फूंका और मीडिया को संबोधित करते हुए धमकी दी कि यदि ओली बयान वापस नहीं लेंगे तो भारत में रह रहे नेपालियों को देश से खदेड़ दिया जाएगा. उन्होंने कहा था, “प्रधानमंत्री ओली ने जो वक्तव्य दिया था कि अयोध्या में राम नहीं, नेपाल में राम हैं. जिस ढंग से ओछी हरकत की है. इसलिए मध्य प्रदेश के संतों ने इंदौर में एक पुतला बनाया प्रधानमंत्री ओली का और हम लोगों ने उन पर जूते बरसाए और उनका पुतला दहन किया और संदेश दिया है कि नेपाल के प्रधानमंत्री आप अपने वक्तव्य को वापस लें अन्यथा पूरा संत समाज सड़कों पर उतरेगा और यदि आपने नहीं कहा अयोध्या में ही राम हैं, तो जितने नेपाली हैं भारत में सारे नेपालियों को खदेड़ दिया जाएगा, नेपाल भेज दिया जाएगा. यहां रोटी खा रहे हैं, कमा रहे हैं और बात नेपाल की कर रहे हैं.”
कंप्यूटर बाबा के इस बयान से भारत में रह रहे नेपालियों का डर बढ़ गया है क्योंकि ऐसा पहली बार हुआ है कि बीजेपी और कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियों के मंत्री रहे नेता ने खुले आम “नेपालियों को खदेड़ने” की बात की है. कंप्यूटर बाबा को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों और कांग्रेस पार्टी ने प्रभावशाली नेताओं, दिगविजय सिंह और कमलनाथ, का खासमखास माना जाता है. जब तक एमपी में कमलनाथ की सरकार थी त्यागी बहुत शक्तिशाली माने जाते थे.
अप्रैल 2018 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कंप्यूटर बाबा को कैबिनेट बनाया था लेकिन छह महीने बाद ही कंप्यूटर बाबा चौहान से नाराज होकर कांग्रेस खेमे में चले गए. उन्होंने आरोप लगाया था कि चौहान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े साधुओं को संरक्षण देते हैं.” बाद में कंप्यूटर बाबा ने प्रदेश भर में घूम-घूम कर साधुओं को कांग्रेस के पक्ष में करने में बड़ी भूमिका निभाई थी. जब प्रदेश में कमलनाथ की सरकार बनी तो बतौर ईनाम उन्हें नर्मदा नदी न्यास बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया. फिलहाल वह मध्य प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों में होने जा रहे उपचुनावों में लोकतंत्र बचाओ यात्रा निकालने की तैयारी में लगे हैं. ये सीटें वे हैं जिनसे ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने पर इस्तीफा दिया था.
लेकिन कंप्यूटर बाबा के नेपालियों के खिलाफ संगीन बयान के बावजूद मध्य प्रदेश में पुलिस उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर रही है.
जबलपुर हाई कोर्ट के वकील ऋषि राज पांडे ने बाबा के खिलाफ एफआईआर लिखवाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की. ऋषि ने मुझे फोन पर बताया कि उन्होंने 22 जुलाई को शिकायत दर्ज कराने की कई बार कोशिशें कीं लेकिन अंतः “पुलिस ने एफआईआर दर्ज ना कर सिर्फ आवेदन ही लिया है.” ऋषि ने अपनी शिकायत में, जिसकी कॉपी रिपोर्ट के साथ है, लिखा है, “(कंप्यूटर बाबा ने) बयान दिया है कि श्री राम जन्म स्थान के संबंध में जो बयान नेपाली पीएम ने दिया है यदि उसे वह वापस नहीं लेते हैं एवं क्षमा प्रार्थना नहीं करते हंं तो वह भारत में रह रहे संपूर्ण नेपाली समाज के व्यक्तियों को यहां से खदेड़ देंगे एवं उन्हें यहां रहने नहीं देंगे. एक भी नेपाली समुदाय को भारत में रहने नहीं दिया जाएगा एवं उन्हें यहां से खदेड़ दिया जाएगा.”
शिकायत में आगे लिखा है, “कंप्यूटर बाबा का यह वक्तव्य अत्यंत घृणास्पद है एवं भारत में रह रहे नेपाली मूल वंश के भारतीय नागरिकों एवं नेपाली प्रवासियों को भयकारित करने वाला है एवं उन्हें आतंकित करता है. कंप्यूटर बाबा का यह बयान सोशल मीडिया में प्रसारित हो रहा है जिससे नेपाली मूल वंशीय भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को गंभीर आसन्न संकट उत्पन्न हो गया है.” शिकायत में आगे लिखा है, “कंप्यूटर बाबा के प्रदेश में तथा इस जिले में कई फॉलोअर्स हैं जो उनका अनुसरण करते हैं, जो इस प्रकार उनके बहकावे में आकर किसी अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते हैं.” उन्होंने उल्लेख किया है कि इस प्रकार का वक्तव्य भारत नेपाल मैत्रीपूर्ण संबंधों को खराब करने वाला है और भारतीय दंड संहिता के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है. ऋषि ने शिकायत में निवेदन किया है कि कंप्यूटर बाबा के खिलाफ “आईपीसी की सुसंगत धाराओं जैसे, धारा 124ए, 153, 153बी (1) सी, 505, 506 एवं अन्य सुसंगत धाराओं में कंप्यूटर बाबा उर्फ स्वामी रामदेव के विरुद्ध मामला पंजीबद्ध कर उसे गिरफ्तार करने का कष्ट करें.”
ऋषि ने मुझे बताया कि वह खुद प्रैक्टिसिंग लॉयर हैं लेकिन उनकी शिकायत नहीं ली गई. उन्होंने बताया कि पुलिस ने उनसे कहा, “आप इन मामलों में क्यों पड़ते है वे बड़े लोग है.” पुलिस ने उनसे यह भी कहा, “पहले हम जांच करेंगे फिर आगे देखते है क्या होता है?” जब मैंने पूछा कि उनको क्या लगता है कि शिकायत क्यों नहीं दर्ज की जा रही है तो उन्होंने कहा, “अभी तक तो मैं यही समझ पाया हूं कि बाबा काफी रसूखदार हैं जो प्रत्क्ष्य सबूत होते हुए भी उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई.”
ऋषि ने बताया कि नामदेव का बयान भारत में रह रहे नेपालियों के बारे में उनकी कमजोर समझ को भी दर्शाता है. उन्होंने कहा, “नेपाली कई पढ़ियों से यहां रह रहे हैं. कई तो भारत की आजादी के पहले से रह रहे हैं.” उन्होंने बताया मध्य प्रदेश में रह रहे नेपाली भाषी समुदाय की सामाजिक दशा, खासतौर पर कानून के विषय में, बाकी समुदायों के वनिस्पद बहुत अच्छी नहीं है और भारतीय राजनीति में उनका प्रतिनिधित्व बिल्कुल नहीं हैं.” ऋषि ने बताया कि वह स्वयं नेपाली मूल के हैं और उनके परिवार के लोग अलग-अलग क्षेत्रों में भारत की सेवा कर रहे हैं. उनके परिवार के कई लोग भारतीय सेना में भी रहे हैं.
बिष्णु शर्मा
simplyvishnu2004@yahoo.co.in
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