31.7.20

RIP TARUN BHAI


तरुण हो या वरुण किसी के जाने से कुछ नहीं बदलेगा क्योंकि हमें बदलना होगा

तरुण सिसोदिया ने सुसाइड किया या उनकी हत्या हुई इस बात का जवाब जानने के लिए हमें और आप दोनों को ही इंतजार है। लेकिन, क्या इस केस को भी सुशातं सिंह केस की तरह हम याद रखेंगे और nepotism वर्ड की तरह मीडिया इंडस्ट्री के अंदर मौजूद मोजूद चाटुकारिता वर्ड का विरोध करेंगे।

जी हां मैं ऐसा इसलिए बोल रहा हूं क्योंकि मैं इस गंदगी में नौकरी कर चुका हूं। हालांकि, मेरी किस्मत अच्छी रही इसलिए मुझे मौका मिला और यहां से निकल गया आज इस गंदगी से दूर हूं और सच कहूं तो खुश हूं। तरुण के साथ मैंने काम किया है नेटवर्क 18 जैसे बड़े संस्थान में जहां उस समय मौजूद थे श्री श्री अलोक कुमार जी। श्री श्री इसलिए लगया क्योंकि यह बहुत बड़े वाले थे उन्होंने शायद ही किसी को छोड़ा हो, जिनसे पैसे न लिए हों और वापिस का तो खैर छोड़ ही दें उनमें से एक तरुण भाई भी थे।

यह बात इस समय बताना इसलिए जरुरी है क्योंकि मीडिया में उन्हीं की नौकरी सलामत रहती है जो चाटते हैं। लेकिन, तरुण उनमें से नहीं था काफी अच्छा लिखता था। लेकिन, इस गंदगी में तो अच्छे-अच्छे नहीं छोड़े तो तरुण भाई क्या थे। भगवान आपकी आत्मा को शांती दे तरुण भाई आप आज एक अच्छी जगह हो और मीडिया हाउस में चैनल या वेब में मौजूद उन दरिंदे एडिटर पर हंस रहे होंगे।

शायद यहां यह कभी नहीं बदलेगा। क्योंकि कुछ लोगों को इसकी अदत हो गई है और कुछ लोग ऐसे ही अपने मालिक को खुश रखना चाहते हैं, जिससे प्रतिभा के धनि लोग आज मीडिया से निकल कर गूगल जैसी कंपनियों में थर्ड पार्टि जॉब कर रहे हैं। खैर यहां कुछ नहीं बदलेगा क्योंकि हम नहीं बदलेंगे। काम से काम रखना हमें नहीं आता इसलिए यह नहीं बदलेगा। 8 घंटे की ड्यूटि के बाद भी हम घर नहीं जाएंगे क्योंकि हमें अपने बिहारी बॉस को दिखाना है कि हम आपके सबसे अच्छे से चाटते हैं। इसलिए कुछ नहीं बदलेगा। बदलना है तो सबसे पहले हमें अपने आप को बदलना होगा।

Ravi Singh
ravsin67@gmail.com
   


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