सुरेशचंद्र रोहरा
gandhishwar.rohra@gmail.com
यह हौलनाक दृश्य देखकर हृदय कांप उठा है। 21वीं शताब्दी में जब दुनिया विकास तरक्की प्रगति और चांद तारे तोड़ लाने की बात कर रही है ऐसे में हमारे छत्तीसगढ़ के एक गांव का सच यह भी है जो आज हमारे सामने आ गया है।एक वीडियो आज हमने देखा जिसमें एक पालकी बल्कि यह कहना सही नहीं है एक खाट... खटिया को उल्टा करके उस पर एक वृद्ध को बीमार को सुला करके 4-6 लोग धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे है।
यह दृश्य देखकर ऐसा प्रतीत होता है मानो किसी कलात्मक फिल्म का दृश्य हो।मगर नहीं, यह सच्चाई है! इस दृश्य में हम देखते हैं वह लोग धीरे धीरे आगे बढ़ रहे हैं उनके हाथों में मसाले हैं रात का समय है रात के सन्नाटे में झींगुर बोल रहे हैं मगर वह लोग बीमार शख्स को खाट पर उठा धीरे-धीरे पैदल आगे बढ़ रहे हैं। यह लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर बीमार शख्स को हॉस्पिटल एंबुलेंस तलक लिए जा रहे हैं।
यह सच्चाई है। यह दृश्य हमारे छत्तीसगढ़ का है।ऐसा छत्तीसगढ़ जिसके निर्माण को 20 वर्ष हो चले हैं और जब छत्तीसगढ़ राज्य बना था तो यह स्वप्न में देखा गया था यहां का आम आदमी छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद आनंद और सुख की जिंदगी जिएगा उसे खुशियां मिलेंगी। उसका अधिकार मिलेगा उसे स्वास्थ्य मिलेगा। उसे मकान, पानी, सड़क और बिजली मिलेगी। मगर यह दृश्य देखकर हृदय कांप उठता है हाहाकार करने लगता है की हाय कहां है हमारा छत्तीसगढ़ और कहां हम। गरीबी, बदइंतजामी का दंश हम झेल रहे है।
यह दृश्य संपूर्ण व्यवस्था को नंगा करके रख देता है। बताता है कि हमारा लोकतंत्र ढांचा किस तरह खोखला हो चुका है और यह मरणासन्न है धीरे-धीरे मौत की और बढ़ रहा है। संपूर्ण व्यवस्था का आनंद लोकतंत्र की खुशियां कुछ चंद घरों में कैद हो गई है उनके लिए सारी व्यवस्था है पंच सितारा हॉस्पिटल है दिल्ली और अमेरिका की स्वास्थ्य सेवाएं हैं मगर हमारे आम गरीब दुखी आदमी के लिए एक पदक एंबुलेंस भी नहीं है और हम बड़ी-बड़ी बातें करते हैं हम सफेद खादी पहनकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हैं और देश के शहीदों को याद करते हुए कहते हैं कि आपका बड़ा शुक्रगुजार है और माला पहनाने के बाद खुद ही माला पहन लेते हैं। हमें घिन आती है गरीब लाचार लोगों को देखकर जब हम कुर्सी पर बैठ जाते हैं तो स्वयं को इंद्र से कम नहीं समझते और दोनों हाथों से पूरी सत्ता का लाभ उठाने से कभी नहीं चुकते। मगर यह नहीं सोचते की लोकतंत्र का निर्माण इसलिए किया गया था की गरीब लोगों की सेवा हो सके। पंचवर्षीय शासन पद्धति इसलिए निर्मित की गई थी कि जो लोग सत्ता की बागडोर संभालें वे स्वयं को जनता का सेवक समझे मगर यह भावना कहीं नहीं दिखाई देती और उसी का सच है कि आज हम देखते हैं कि छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में आज भी बदहाली है।
स्वास्थ्य सेवा काश! आज हम आज इस वीडियो में देख रहे हैं जो हमें बता रहा है कि अरबों रुपए के खर्च के बावजूद स्वास्थ्य की सुविधा लोगों तक नहीं पहुंच पाई है हम कह सकते हैं कि यही हालात सारी व्यवस्था की है सारी व्यवस्था को पतीला लगा हुआ है। एक छोटे से छोटे सरकार के दफ्तर में भी लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है वही आदमी सर उठा कर सरकारी दफ्तर में जा सकता है जिसकी जेब में पैसा रिश्वत देने के लिए हो अन्यथा उसे दुत्कार दिया जाता है।
आदिवासी अंचल मैं आज भी स्वास्थ्य सुविधा नहीं पहुंची हैं वहां आज भी गरीब आदमी अपने भाग्य से जीता है वहां के हॉस्पिटल, आंगनबाड़ी वहां के स्कूल देखकर सर शर्म से झुक जाता है इतने इतने वर्षों बाद भी गांव खासकर आदिवासी अंचल के गांव भीषण विषमता के पर्याय बने हुए हैं यही सच है कि यह वीडियो आज नई तकनीक होने के कारण हमें वह सच दिखा रहा है जिसे हम कभी महसूस नहीं कर सकते हैं इस वीडियो में जो दृश्य दिखाई दे रहा है उसे देख कर के क्या हमारी व्यवस्था का सर नीचा नहीं हो जाता। क्या हमें वह हमारे सत्ताधीश राजनेताओं को यह चिंतन करने का एक मौका नहीं देता कि हम सोचे की इस सारी व्यवस्था का दोषी कौन है।आज जब यह हालात अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच चुके हैं हमें यह विचार करना होगा की जितना जल्द हो सके इसमें सुधार किया जाए आज शिक्षा धीरे-धीरे ही सही अपनी रोशनी फैला रही है आज सोशल मीडिया लोगों को सब कुछ बता रहा है दिखा रहा है। यही नहीं उन्हें जागरूक कर रहा है यह सब लंबे समय तक नहीं चल सकता इसका विरोध कब भयावह रूप ले लेगा कौन जानता है?
No comments:
Post a Comment