5.9.20

केवल ट्रेनों का संचालन ही काफी नहीं बल्कि जन सहयोग भी बहुत जरूरी है


कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों  की घर वापसी का संकट देखते हुए राज्य सरकारों के अनुरोध पर श्रमिक ट्रेनें जरूर चलाई गईं, वह भी मौके की नजाकत को देखते हुए। इन ट्रेनों से लाखों प्रवासी मजदूरों को अपने गांव, अपने घर पहुंचने में काफी मदद मिली। अब जबकि लॉकडाउन अनलॉक हो चुका है। दिल्ली और देशभर में मैट्रो ट्रेनों को चलाने का ऐलान किया जा चुका है तो भारतीय रेलवे भी कोरोना काल से पूर्व की तरह ट्रेनों के संचालन की तैयारी कर रहा है। इतने बड़े नेटवर्क को लम्बे अर्से तक ठप्प करके नहीं रखा जा सकता। जल्द ही गाड़ी बुला रही है, सीटी बजा रही है-गीत फिर लोगों की जुबां पर आएगा। कोरोना वायरस महामारी के कारण इस वर्ष मार्च में 1.78 करोड़ से ज्यादा टिकट रद्द किए गए और 2727 करोड़ के लगभग रकम वापस की गई। रेलवे ने 25 मार्च से ही अपनी यात्री ट्रेनें स्थगित कर दी थीं। पहली बार रेलवे ने  टिकट बुकिंग से जितनी आमदनी हुई उससे ज्यादा रकम वापस की।


कोरोना से मुक्ति कब मिलेगी यह तो कहना मुश्किल है लेकिन इतना तो जरूर है कि कोरोना ने जिन्दगी जीने को लेकर यात्रा करने के तौर-तरीकों तक सब कुछ बदल कर रख दिया है। भारतीय रेलवे ने कोरोना काल के बाद से रेलवे के सफर को सुरक्षित  बनाने के मकसद से नए रेल कोच तैयार किए हैं। रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला ने जो नए डिब्बे तैयार किए हैं, उनमें कई तरह के बदलाव किए गए हैं। नए कोचों में हैंड्स फ्री सुविधाएं लगाई गई हैं। अब पानी की टंकी का टैप, डोर, हैंडल आदि छूने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हैंडल पर कॉपर कोटिंग की गई है। कॉपर पर कोराेना वायरस का प्रभाव बहुत जल्द खत्म हो जाता है। कोच की हर उस जगह या सतह, जिससे यात्रियों का सम्पर्क होता है, पर टाइटेनियम डाईआक्साइड की कोटिंग की गई है। यह वायरस को जल्द खत्म करता है। और भी आवश्यक बदलाव किए गए हैं। अब रेलवे की सबसे बड़ी चुनौती ट्रेन सेवाओं को सुरक्षित ढंग से चलाना और रेलवे के राजस्व घाटे की भरपाई करना है। रेलवे ने कोरोना काल से पहले की ही तरह 500 ट्रेनों को चलाने और 10 हजार ठहरावों को कवर करने की समय सारिणी तैयार कर ली है। रेलवे ने इस वर्ष नए टाइम टेबल से 1500 करोड़ की अतिरिक्त आय का लक्ष्य रखा है। मालगाड़ियों काे 15 प्रतिशत अधिक चलाने की योजना है और यात्री ट्रेनों की गति भी बढ़ाई जाएगी ताकि ज्यादा फेरे लगाए जा सकें। लम्बी दूरी की ट्रेनों को 200 किलोमीटर के दायरे में नहीं रोका जाएगा जब तक कि मध्य में कोई बड़ा शहर न पड़ जाए। उम्मीद है कि रेलवे को पुनः मजबूत बनाने के लिए नए तौर-तरीकों के साथ यात्रियों के सामने खुुद को पेश करना होगा। देश भर में स्थितियां सामान्य बनाने के लिए केवल ट्रेनों का संचालन ही काफी नहीं बल्कि जन सहयोग भी बहुत जरूरी है। जन-जन को ट्रेन को अपनी सम्पत्ति समझकर अपना कुशल व्यवहार दिखाना होगा ताकि ट्रेनें स्वच्छ और शानदार बनी रहें।

अशोक भाटिया, A /0 0 1  वेंचर अपार्टमेंट ,वसंत नगरी,वसई पूर्व ( जिला पालघर-401208) फोन/  wats app  9221232130     

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