28.9.20

रिपब्लिक में पत्रकार नहीं, जोकर और एक्टर भर दिए गए हैं

रिपब्लिक का जोकर प्रदीप बोला- चाय बिस्किट वाले हैं मुंबई के पत्रकार,  जोकर को मीडियाकर्मियों ने धुना...  देश के मुख्यधारा के इलेक्ट्रानिक मीडिया में अब पत्रकार नहीं हैं। पत्रकार रूपी एक्टर और जोकर भर गए हैं। अधिकांश न्यूज चैनलों के एंकर और पत्रकार सर्कस के जोकर लगते हैं, क्योंकि अब न्यूज चैनलों का फंडा पत्रकारिता करना नहीं है, बल्कि जनता का इंटरटेंनमेंट करना है। 

स्टूडियों में एक मुख्य जोकर चार अन्य चिल्लाने वाले जोकरों को बुलाकर मुर्गा फाइट कराता है। सब अजीब-अजीब से हास्यापद टॉपिक होते हैं। भारत की बुनियादी समस्याओं से कहीं अधिक चीन और पाकिस्तान की बर्बादी दिखाई जाती है। रोजी-रोटी की बात न कर हिन्दू-मुसलमान की बात की जाती है। कारण यह भी है कि कारपोरेट घरानों के एक विशेष वर्ग ने मीडिया पर कब्जा कर लिया है और वो नहीं चाहता है कि मीडिया सत्ताविरोधी या जनपक्षधरता की बात करे।

दूसरी बात न्यूज चैनलों को टीआरपी के लिए इतनी मेहनत करने के बाद पता चलता है कि स्टार और सोनी जैसे चैनल उनसे पांच से दस गुणा अधिक देखे जा रहे हैं और विज्ञापनों का अधिकांश हिस्सा भी वहीं ले जाते हैं तो चैनलों के आकाओं ने उन्हें कह दिया है कि जोकरी करो, एंकरिंग करो, लेकिन पत्रकारिता नहीं। इसी का परिणाम रिपब्लिक के जोकर प्रदीप भंडारी की पिटाई के रूप में हुई है। देखिए अभी तो बहुत इंटरटेनमेंट बाकी है।

ज्ञात हो कि मुंबई में एनसीबी के आफिस के आगे मुंबई के पत्रकारों ने रिपब्लिक भारत के जोकर प्रदीप भंडारी को धो डाला था। कारण, प्रदीप लाइव कवरेज करते हुए कैमरा घुमाकर अन्य पत्रकारों को दिखाते हुए बोला कि ये चाय-बिस्किट वाले पत्रकार हैं। ये क्या सच दिखाएंगे, हम आपको सच दिखाएंगे। इसका विरोध करने पर प्रदीप ने एनडीटीवी और एवीपी के पत्रकारों के साथ अभद्रता की तो पत्रकारों ने प्रदीप को धुन दिया। प्रदीप ने भी ट्वीट कर मारपीट की बात कही है।

[वरिष्‍ठ पत्रकार गुणानंद जखमोला की फेसबुक वॉल से साभार]

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