आज भारत कोरोना केसेस के मामले में दूसरे नंबर पर आ गया है। रोज 1000 मौतें हो रही हैं । लेकिन कोरोना को लेकर मीडिया में सन्नाटा है। अब कोई तब्लीगी एंगल भी नहीं मिल रहा है। अब तो पूरा देश रियामय हो चुका है। रिया के गाड़ी के पीछे हांफते हुए भागता रिपोर्टर दुनिया का सबसे लाचार इंसान मालूम पड़ता है। काश कि कोई ऐसी टेक्नोलॉजी आ जाती जिससे कि रिपोर्टर का माइक बंद शीशे के अंदर घुस जाता या फिर उसे मिस्टर इंडिया वाली शक्ति मिल जाती तो वह गाड़ी के अंदर घुस कर सीधे रिया की गोद में बैठ जाता। बड़े दुख की बात है की हमारे इंजीनियर अभी ऐसी तकनीक ईजाद नहीं कर पाए हैं।
अद्भुत माहौल है। न्यूज़ चैनल के पास कुछ देवी शक्तियां आ गई वह लगातार 24 घंटे एक ही खबर दिखाते हुए पब्लिक को इंगेज रख सकते हैं। एक ही खबर को अलग-अलग रिपोर्टर अलग अलग अंदाज में प्रस्तुत कर रहा है,कुछ इस तरह की आप रिमोट का बटन भी नहीं दबा पाएंगे। प्रिंट मीडिया में रिपीट ना हो इसका ख्याल रखना पड़ता है लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में रिपीट ही हो इसका ख्याल रखना पड़ता है । जब स्टूडियो में बैठा एंकर यह कहता है कि उसके रिपोर्टर दुनिया की सबसे बड़ी रिपोर्टिंग कर रहे हैं तो वह दयनीय आदमी मालूम पड़ता है।
तमाम रिपोर्टर डीआरडीओ गेस्ट हाउस के बाहर ही चादर तान के सो जाते हैं, तो कुछ रिया के अपार्टमेंट के बाहर फुटपाथ पर ही सो रहे हैं। रिया के फ्लैट की बालकनी में कैमरा फोकस करते हुए कैमरामैन की मानसिक स्थिति पर हंसी आती है। मुझे लगता है की बढ़िया स्टंट बाजी करने वालों को, सर्कस में छलांग लगाकर झूला झूलने वाले जिम्नास्ट को अब कैमरामैन बनाया जाना चाहिए शरीर में इतना लचीलापन हो की जरूरत पड़े तो वह पाइप लाइन के सहारे रिया की खिड़की तक पहुंच सके
कुल मिलाकर 4एजेंसी रिया चक्रवर्ती के पीछे लगी हुई हैं जिसमें चौथी एजेंसी मीडिया एजेंसी है। जो अपने सर्वाधिक पतन के दौर से गुजर रही है। ऐसा मालूम पड़ता है कि सीबीआई के अधिकारी मीडिया की पड़ताल के आधार पर रिया से क्वेश्चन पूछ रहे हैं बढ़िया रहे कि सीबीआई यह केस मीडिया को ट्रांसफर कर दे
मीडिया का चरित्र भी जीडीपी की तरह माइनस में पहुंच चुका है।
कोरोनावायरस ने भी अब रिया वायरस के सामने सरेंडर कर दिया है । उसे पता ही नहीं था की भारतीय मीडिया उसे इतनी आसानी से मार देगी।
पंकज प्रसून, व्यंग्यकार, लखनऊ
kavipankajprasun@gmail.com
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