23.10.20

वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह की पुस्तक ‘क्या है फतेहपुर सीकरी का रहस्य?’ का प्रकाशन


आगरा के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. भानु प्रताप सिंह ने फतेहपुर सीकरी पर केन्द्र एक पुस्तक लिखी है। इसका नाम है- क्या है फतेहपुर सीकरी का रहस्य?  निखिल प्रकाशन आगरा ने पुस्तक का प्रकाशन किया है। इस पुस्तक की खास बात यह है कि पत्रकारीय और पुरातात्वीय शोध के आधार पर लिखी गई है। इस पुस्तक से फतेहपुर सीकरी के इतिहास पर नई रोशनी पड़ती है।


डॉ. भानु प्रताप सिंह ने वर्ष 1999-2000 में ‘अमर उजाला’ में रिपोर्टिंग के दौरान अकबर की फतेहपुर सीकरी पर काफी कार्य किया। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के साथ मिलकर काम किया। प्रारंभिक सर्वे में यह पाया गया कि फतेहपुर सीकरी में अकबर से पहले की हो सकती है। सर्वे के बाद एएसआई ने उत्खनन कराया। सीकरी में बीर छबीली टीला पर हुए उत्खनन में जैन मूर्तियां मिलीं। ये सबकी सब खंडित हैं। इससे यह स्पष्ट हुआ कि फतेहपुर सीकरी कभी जैन धर्म का प्रमुख केन्द्र थी। 1000 साल प्राचीन जैन सरस्वती की प्रतिमा मिली। प्रतिमाएं स्थापित करने वाले का नाम और संवत भी दर्ज है। सभी मूर्तियां सीकरी के म्यूजियम में सुरक्षित हैं।

सीकरी का शोध आगे बढ़ा तो इतिहासकारों में नई बहस छिड़ गई। एएसआई के तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. डीवी शर्मा ने सीकरी के स्मारकों के नए अर्थ बताए। शोध के दौरान राणा सांगा और बाबर के बीच खानवा मैदान में हुए युद्ध का भी जिक्र आया। सीकरी के पास भी युद्ध के प्रमाण हैं। एक बात यह सामने आई कि खानवा युद्ध के समय भी सीकरी के महल थे और सिकरवार जाट बाबा धामदेव का शासन था। इस पर अभी विस्तार से शोध होना शेष है।

इस पुस्तक के बारे में प्रसिद्ध इतिहासकार राजकिशोर ‘राजे’ का कहना है कि ‘फतेहपुर सीकरी का रहस्य क्या है’?  सबसे हटकर है। अब तक फतेहपुर सीकरी को केवल मुगल इतिहास की दृष्टि से देखा जाता है। डॉ. भानु प्रताप सिंह ने पुरातात्वीय साक्ष्यों के आधार पर पुस्तक लिखी है। इस कारण इसमें दिए गए तर्क अकाट्य हैं। यह पुस्तक सीकरी के इतिहास पर नई रोशनी डालती है।  पुस्तक में सीकरी में हुए उत्खनन की विस्तृत रिपोर्ट है। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विवेचन भी दिया गया है। डॉ. भानु प्रताप सिंह द्वारा सीकरी पर किए गए शोधों के आधार पर आगरा विश्वविद्यालय के कई छात्रों ने एमफिल और पीएचडी की उपाधि ली है। पुस्तक की भूमिका डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि के पूर्व कुलपति और इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. सुगम आनंद ने लिखी है।

प्रकाशकः निखिल प्रकाशन, आगरा
लेखकः डॉ. भानु प्रताप सिंह (पत्रकार)
मूल्यः 125 रुपये
पुस्तक अमेजन पर भी उपलब्ध है।

कैसे प्राप्त कर सकते हैं पुस्तक
पुस्तक प्राप्त करने के लिए निखिल प्रकाशन के मोबाइल नम्बर 9458009531 पर 125 रुपये (डाक खर्च फ्री) पेटीएम, फोन पे या गूगल पे के माध्यम से भेजें। साथ में स्क्रीन शॉट, पुस्तक का नाम और अपना पता पिन कोड के साथ भेजें। 10 पुस्तकें एक साथ मंगाने पर 1300 रुपये भेजने होंगे।

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