25.11.20

जमीनी स्तर पर नहीं दिखता सक्रिय सदस्य

कांग्रेस पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है जिसने भारत निर्माण से लेकर अब तक कई ऐसे ऐतिहासिक कार्य किए हैं जिसकी व्याख्या इतिहासो में दर्ज है। लेकिन कांग्रेस  जब से केंद्र की सत्ता से बेदखल हुई है तब से तितर-बितर हो गई है। कांग्रेस के कई ऐसे केंद्रीय नेता हैं जो अपनी बात मजबूती से रखते हैं पर जमीनी स्तर पर उनका संगठन दिन पर दिन कमजोर होते चला गया है जिसके वजह से उनकी बात जनता तक नहीं पहुंच पाता है।

हालात कुछ ऐसे हो चुके हैं कि चुनाव के वक्त मैदान में उतरे प्रत्याशियों को लगातार हार का सामना करना पड़ता है । इस सब के पीछे जिम्मेदार सिर्फ कांग्रेस प्रदेश सगंठन ही है जो चुनाव के वक्त एक्टिव मोड में आती है और चुनाव के बाद पता ही नहीं चलता वह कहां है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब धीरे-धीरे कांग्रेस का पतन हो जाएगा। हाल फिलहाल बिहार में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे और नतीजे के बाद जिस तरीके से महागठबंधन में शामिल नेताओं द्वारा कांग्रेस पर हार का ठीकरा फोड़ा गया तो दूसरी तरफ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी पार्टी के संगठन पर सवाल उठाने लगे। आइए जानते हैं आज इस रिपोर्ट में आखिरकार क्यों कांग्रेस लगातार पतन की ओर बढ़ रही है।

बिहार चुनाव में महागठबंधन की हार 'निशाने पर कांग्रेस'....

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन और महागठबंधन के बीच चली करारी टक्कर के बाद एनडीए गठबंधन की सरकार बनी। सरकार बनने के बाद महा गठबंधन के नेताओं द्वारा कांग्रेस पर लगातार यह आरोप लगाया जाने लगा कि कांग्रेस के नेताओं के वजह से इस बार बिहार में महागठबंधन की सरकार सत्ता में नहीं आ पाई ।राहुल गांधी अगर और भी कई चुनावी सभा को संबोधित करते तो शायद बिहार में महागठबंधन की सरकार बन जाती । तो दूसरी तरफ कांग्रेस नेताओं द्वारा इसका विरोध भी किया गया ।लेकिन जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने यह कहा कि बिहार ही नहीं देश में जमीनी स्तर पर कांग्रेस कमजोर दिख रही है क्योंकि जमीनी स्तर पर इस के सक्रिय सदस्य नहीं है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा इस तरह का बयान देना शोभनीय नहीं था क्योंकि संगठन में सक्रिय सदस्य को तैयार करना और संगठन चलाने की जिम्मेदारी सिर्फ अध्यक्ष पर ही निर्भर नहीं होती ।प्रदेश अध्यक्ष से लेकर और भी कई महत्वपूर्ण पद वाले नेता आखिरकार क्या करते हैं खैर यह तो आरोप-प्रत्यारोप राजनीति का पुराना फंडा है ।

पर कांग्रेस के आलाकमान अगर इस पर ध्यान नहीं देते है तो आने वाले समय में कांग्रेस का हाल और भी बुरा हो जाएगा। क्योंकि हकीकत भी यही है बिहार में जमीनी स्तर पर कांग्रेस के सक्रिय सदस्य नहीं दिख रहे हैं। सक्रिय सदस्य को तो छोड़िए केंद्रीय टीम को छोड़कर बाकी नेता जमीन पर उतर कर जनता की समस्या भी जानने नहीं जाते है। सरकार की गलतियों को उजागर करना तो दूर जनता के हित में काम करने और अपनी पार्टी की उपलब्धि बताने का भी वक्त इन लोगों के पास नहीं होता ।सिर्फ चुनाव के वक्त  बिहार कांग्रेस के नेता एक्टिव मोड में आते हैं और चुनावी मैदान में उतरते हुए जनता के दिलों में जगह बनाने की कोशिश करते हैं।

प्रदेश कार्यालय को छोड़ बाकी जगहों पर नहीं दिखता कांग्रेस का प्रभाव....
चुनाव में हुए हार के बाद सभी पार्टियों का एक ही फंडा रहता है आखिर कैसे पार्टी में सक्रिय सदस्य शामिल हो और सरकार पर हमला करते हुए जनता की न्याय की बात करें। पर कांग्रेस पार्टी का हालात कुछ ऐसा देखने को मिल रहा है कि इन के प्रवक्ता को छोड़कर बाकी नेता जमीन पर उतरते ही नहीं। एक तरफ जहां प्रवक्ता मीडिया के सामने बयान देते नजर आते हैं तो दूसरी तरफ इनके नेता अपने अपने कामों में व्यस्त हो जाते हैं। पार्टी के सक्रिय सदस्य ना होने के वजह से जनता के बीच ना तो इनका संदेश पहुंच पाता है और ना ही जनता की परेशानियों से इन लोगों को कोई मतलब रहता है।

बिहार कांग्रेस की हालात पर ध्यान दें अध्यक्ष ...

बिहार कांग्रेस की हालात इस बार के चुनाव में ही खराब नहीं हुई है पिछले कई बार के चुनाव में कांग्रेस एक बड़ी पार्टी होने के बाद भी कम सीटों पर चुनाव लड़ती है और नतीजे भी कम ही मिलते हैं इन सभी के पीछे प्रदेश संगठन जिम्मेवार है। अगर प्रदेश संगठन के नेतृत्व कर रहे नेताओं के द्वारा सक्रिय सदस्य और कार्यकर्ताओं से जनता की समस्याओं का निदान कराया जाता तो शायद यह स्थिति नहीं रहती। पर चुनाव के बाद कांग्रेस पार्टी में न तो कोई सक्रिय सदस्य नजर आते हैं और ना ही कोई कार्यकर्ता और नेता सिर्फ चुनाव के वक्त ही कांग्रेस की बैनर तले अपनी आवाज बुलंद करते हैं फिर 5 साल यह नजर भी नहीं आते है। ऐसे में जनता उन नेताओं पर विश्वास करना भी छोड़ दिया है। हालात कुछ ऐसे हैं कि गांव देहात की गरीब जनता जो सिर्फ मजदूरी कर अपना जीवन यापन करती है उन्हें सही से अपने क्षेत्र के उम्मीदवार या नेताओं का नाम भी नहीं पता होता है। तो दूसरी तरफ कुछ ऐसे उम्मीदवार को पार्टी मैदान में उतार देती है जिनका पॉलिटिक्स से कोई लेना देना नहीं होता है। वह डायरेक्ट चुनाव जीतकर नेता बनना चाहते हैं यह भी एक हार का बड़ा कारण है। और भी ऐसे कई कारण है जिसकी वजह से लगातार कांग्रेस पतन की शिकार हो रही है ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष खुद इस पर ध्यान दें नहीं तो दिन पर दिन और बुरा हाल होता चला जाएगा ।पार्टी में किसी शिक्षित युवा को भी कुछ पद दिया जाए ताकि वह पार्टी को आगे बढ़ाने की कोशिश कर सके।

इन बातों पर ध्यान दें कांग्रेस अध्यक्ष....

* बिहार के सभी जिले प्रखंड और पंचायत स्तर पर पार्टी के सक्रिय सदस्य बनाने के साथ-साथ वहां की जनता की समस्या का निदान करने का काम किया जाए....

*कांग्रेस प्रदेश पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा हफ्ते या महिने में एक दिन जिला ब्लॉक या पंचायत में जनता दरबार लगाया जा सके ताकि जनता की समस्या सामने आए और उन्हें न्याय मिल सके...

*चुनाव से पहले जनता के दिलों में उतरने तथा अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश करने के साथ-साथ प्रदेश कमेटी के द्वारा महीने में एक बार मीटिंग किया जाए जिसमें जिम्मेदार सभी सदस्य शामिल हो और क्षेत्र की समस्याओं का भी जिक्र हो।

*सरकार के विभाग की लापरवाही और उनके गलत नीतियों का विरोध हर मोड़ पर किया जाए लेकिन ऐसा कांग्रेस नेताओं द्वारा देखने को नहीं मिलता यह भी एक हार का कारण दिखता है।

*पार्टी में हर तबके के सक्रिय सदस्य को बनाया जाए और उन्हें संगठन की मजबूती पर काम करने का निर्देश दिया जाए।

*अगले चुनाव के वक्त प्रदेश के दर्जनों वैसे नेताओं को स्टार प्रचारक की लिस्ट में शामिल किया जाए जिन की जनता के बीच अपनी एक अहम छवि हो और वह सरकार की गलत नीतियों का विरोध दमदार तरीके से कर सकें...

*पिछले 5 वर्षों की मौजूदा सरकार के कामकाज का विवरण और लापरवाही को मजबूती से जनता के सामने रखें ताकि उन्हें भी पता चल सके कि 5 सालों तक सरकार ने क्या किया और आने वाले 5 साल में क्या करेगी।
* सरकार के उन सभी तमाम घोटाले का जिक्र मजबूती से की जाए ताकि क्षेत्र की जनता को यह पता चलेगी वर्तमान सरकार में इतने घोटाले हुए।

* सत्ताधारी पार्टी के वैसे कई दागी नेता जिनके कर्म कुंडली की जानकारी राज्य के साथ-साथ देश की जनता को दें जिससे यह पता चले कि कांग्रेस भी विपक्ष में है और लगातार भ्रष्ट नेताओं के साथ-साथ जनता के हित के मुद्दे को उठाती है।

...और भी कई संगठन मजबूती से लेकर जमीनी स्तर तक कांग्रेस नेताओं द्वारा काम शुरू किया जाए ताकि आने वाले चुनाव में परिणाम बेहतर हो और कांग्रेस भी एक बड़ी पार्टी बनकर सामने निकले । अगर ऐसा नहीं किया गया तो हमेशा की तरह पार्टी पिछलग्गू बन कर रह जाएगी और नेता अपनी रोटी सेकते रहेंगे।...

यह सब हमारा अपना राय है और जो मैं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी सें कहना चाहता हूं पर हमारी पहुंच उन तक नहीं हो पाने के कारण सोशल मीडिया के माध्यम से अपना संदेश उन तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा हूं शायद यह संदेश उन तक नहीं पहुंचे ... अगर किसी माध्यम से उन तक यह संदेश पहुंच जाए तो मुझे काफी खुशी होगी। आखिरकार कांग्रेस देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी बदहाली की स्थिति में है। इसके जिम्मेदार कुछ मठाधीश नेता है जो अपने आप को कांग्रेस के आलाकमान समझते हैं।

मेरे द्वारा दिए गए यह संदेश अगर कांग्रेस अध्यक्ष के पास पहुंचे तो मुझे एक मैसेज भेजा जाए जिससे मैं समझूंगा कि मेरी मेहनत सार्थक हुई । और वक्त वक्त पर बिहार कॉन्ग्रेस की कमजोरी को इसी तरह संदेश के रूप में आपके पास भेजते रहूंगा।

आपका शुभचिंतक
'मुकुंद कुमार सिंह'
मो. 8651541926
79035 83964

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