28.11.20

मोदी सरकार की हेकड़ी निकालेगा किसान आंदोलन!

CHARAN SINGH RAJPUT
मोदी सरकार द्वारा पारित कराये गये किसान बिलों के खिलाफ दिल्ली बोर्डरों पर डटे किसानों पर दमनात्मक नीति अपनाकर भले ही मोदी सरकार उनकी आवाज को दबाने में लगा लगी हो, भले ही सरकार ने गोदी मीडिया किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए लगा दिया हो, भले ही सरकार ने अपनी आईटी सेल को किसान आंदोलन को खालिस्तानी समर्थकों से जुड़वाकर उनके हाथों में तलवारें और डंडे दर्शाकर उनकी छवि को खराब करने के लिए लगा दिया हो, भले ही केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर किसान बिलों को किसानों के लिए क्रांतिकारी बताते हुए आंदोलित को भटकाने का प्रयास कर रहे हों पर किसान इस बार आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं और मोदी सरकार की हेकड़ी निकालने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। कानूनों को वापस कराने के लिए दिल्ली को घेरने आये विभिन्न प्रदेशों के किसान अपनी बात मनवाए बिना किसी भी सूरत में मानने को तैयार नहीं। ये किसानों के आक्रामक तेवर ही हैं कि मोदी सरकार के सभी दांव-पेंच उनके हौसले के सामने पस्त होते नजर आ रहे हैं। किसानों को मूर्ख बनाने में लगी मोदी सरकार के लिए यह आंदोलन सबक सिखाने वाला होगा।


जिद्दी स्वभाव के चलते उल्टे-सीधे फैसले में लेने में लगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इतनी आसानी से मानने वाले नहीं हैं ऐसी स्थिति में किसान आंदोलन के लंबा चलने के आसार बन गये हैं। ऐसे में विपक्ष में बैठे राजनीतिक संगठनों का किसान आंदोलन को समर्थन मिलना आंदोलन को और मजबूती दे रहा है। अगले साल पश्चिमी बंगाल, आसाम, तमिलनाडु, केंद्र शासित पांडुचेरी के साथ केरल और 2022 में उत्तर प्रदेश प्रदेश के विधानसभा चुनावों के चलते यह किसान आंदोलन मोदी सरकार के लिए गले की फांस प्रतीत सााबित हो रहा है। आंदोलन के लंबा चलने पर 2024 में लोकसभा चुनाव प्रभावित होने की आशंका भी भाजपा को सता रही होगी। वैसे भी दिल्ली में केजरीवाल सरकार किसानों के स्वागत में खड़ी हो गई है और आंदोलन के उग्र होने का जिम्मेदार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताते हुए कांग्रेस ने किसान आंदोलन को खुला समर्थन दिया है।

जिस तरह से डंडे के जोर पर किसान आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया गया उससे हरियाणा पंजाब ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसान आक्रोशित हो गये हैं। दिल्ली से लगते पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में दिल्ली पहुंच रहे हैं। सरकार के किसानों की आवाज को अनसुना करने पर पंजाब-हरियाणा और यूपी के किसानों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है। किसानों ने उनकी बात न मानने पर मोदी सरकार को दिल्ली का मेन हाईवे जाम करके आवाजाही पूरी तरह से बंद कर देने की चेतावनी दे दी है। किसानों के इस ऐलान से दिल्ली पुलिस के अफसरों में खलबली मच गई हैं। अलग-अलग राज्यों से दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचे किसानों को रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने जिस तरह से उन पर पानी की बौछारें, आंसू गैस छोड़ी और उन पर लाठियां बरसाई उससे आंदोलन उग्र हो गया है। ठंड के मौसम में पानी की बौछारें भी किसानों के हौसले को कम नहीं कर पा रही हैं। किसानों के तेवर आरपार की लड़ाई को बयां कर रहे हंै। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का दिल्ली पहुंचने से रोके जाने के प्रयास को लेकर जिस तरह से मोदी सरकार पर निशाना साध कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार की वजह से देश का किसान औेेर जवान आमने-सामने खड़ा होना बताया है वह भी आंदोलन को मजबूती दे रहा है ।

दरअसल मोदी सरकार द्वारा पारित किये गये नए कृषि बिल से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के खत्म होने का डर है। अब तक किसान अपनी फसल को अपने आसपास की मंडियों में सरकार की ओर से तय किये गये न्यूनतम समर्थन मूल्य बेचते रहे हैं। इस नए कानून में किसान कृषि उपज मंडी समिति से बाहर कृषि के कारोबार को मंजूरी दी है। इससे किसानों में भ्रम की स्थिति है उन्हें लगता है कि अब उन्हें उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा। हालांकि केंद्र सरकार एमएसपी जारी रखने का दावा कर रही है पर बिल में यह मेनसन नहीं है। इसलिए किसान इसे लिखित में चाहते हैं। सरकार यह तो कह रही है कि देश में कहीं भी मंडियों को बंद नहीं होने दिया जाएगा पर यह बात नए कानून में जोड़ी नहीं गई है। यही वजह है कि किसानों ने आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया है। हरियाणा और पंजाब के किसानों के साथ ही जिस तरह से पश्चिमी उत्तर प्रदेश से राकेश टिकैट ट्रेक्टरों के काफिले के साथ दिल्ली में किसानों को समर्थन देने का दम भरा है, उससे किसान आंदोलन को और मजबूती मिल रही है और हरियाणा और पंजाब के किसानों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का साथ मिलना मोदी सरकार के लिए परेशानी बढ़ाना वाला है। ज्ञात हो कि दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर कई राज्यों का जमावड़ा लगा हुआ है। मोदी सरकार ने किसानों को बुराड़ी जाने की अनुमति दे दी  है पर किसान बुराड़ी ग्राउंड नहीं बल्कि रामलीला मैदान या फिर जंतर-मंतर जाना चाहते हैं। 

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