24.12.20

सत्ता के दम पर किसान से किसान को भिड़वा रही भाजपा!

CHARAN SINGH RAJPUT-

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पैदा हो रही खूनी संघर्ष की आशंका


इसे भाजपा की बेशर्मी ही कहा जाएगा कि जब किसान आंदोलन को खालिस्तान के नाम पर बदनाम न किया जा सका। टोपी के नाम पर बदनाम न किया जा सका। नकली किसान के नाम पर बदनाम न किया जा सका, विपक्ष के नेताओं के बरगलाने के नाम पर बदनाम न किया जा सका। जब अपने लोगों को आंदोलन में भेज माहौल खराब न किया जा सका तो अब किसान को किसान से ही लड़ाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया। अब मोदी सरकार के साथ ही भाजपा शासित राज्यों के नेता शासन और प्रशासन के दम पर किसानों को आंदोलन के विरोध में तैयार कर रहे हैं। दबाव बनाकर कानूनों का समर्थन करा रहे हैं। गौतमबुद्धनगर में कुछ भाजपा नेताओं ने किसान संघर्ष समिति के कुछ नेताओं को विश्वास में लेकर किसान कानूनों के पक्ष में समर्थन दिलवा दिया दिया। भाजपा नेताओं का ऐसा करने से समिति में शामिल सपा नेताओं में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है।

कल चौधरी चरण सिंह की जयंती समारोह में सपा नेताओं भाजपा नेताओं पर इस तरह के आरोप लगाये।  भाजपा के नेता गांव-गांव जाकर सत्ता के दम पर किसानों को मोटा लालच देकर, धमकाकर किसान कानूनों का समर्थन दिलवा रहे हैं। गौतमबुद्धनगर में सपा छोडक़र भाजपा में गये सांसद सुरेंद्र नागर ने अपनी ताकत का दुरुपयोग कर कर काफी किसानों से कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर के सामने किसान कानूनों का समर्थन करा दिया। जगजाहिर है कि सुरेंद्र नागर नेता से ज्यादा व्यापारी हैं। हाल ही में गाजियाबाद जिले में भी भाजपा ने कुछ किसान नेताओं से ऐसा ही कराया था।

भाजपा अंग्रेजी हुकूमत की तर्ज पर देश पर राज कर रही है। जैसे आजादी की लड़ाई में अंग्रेज अपनी मशीनरी का उपयोग करते हुए क्रांतिकारियों को बदनाम करते थे, फंसाते थे उनके परिजनों पर अत्याचार करते थे उसी तर्ज पर  मोदी सरकार औेर  भाजपा शासित राज्य सरकारें किसान आंदोलन में भी कर रही हैं। किसान नेताओं के यहां तरह-तरह के नोटिस भेजे जा रहे हैं। यूपी गेट पर अपने लाव लश्कर लेकर बैठे भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैट ने तो बाकायदा मंच से घोषणा की कि उनके यहां नौ करोड़ वसूली के नोटिस आये हैं।

दरअसल  किसान आंदोलन को न केवल मजदूर ट्रेड यूनियनों बल्कि वकीलों के संगठनों ने भी खुलकर समर्थन दिया है। सिख समुदाय तो परिवार समेत आंदोलन में उतर चुका है। विपक्ष के संगठन कांग्रेस, सपा और राजद तो किसान कानूनों के खिलाफ सडक़ों पर हैं। पूर्व सैनिकों ने भी खुलकर किसान आंदोलन को समर्थन दिया है। ऐसा नहीं है कि किसान आंदोलन को बस देश में ही समर्थन मिल रहा है ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा समेत कई देशों में किसान आंदालन के पक्ष में आवाज उठ रही है। ऐसे मे  मोदी सरकार पर लगातार दबाव बन रहा है। मोदी सरकार की बेबसी यह है कि ये कानून उसने अपने बहुमत के दम पर बनवाये हैं। देश के शीर्षस्थ पूंजपीति अंबानी और अंडानी ने बड़े स्तर पर फसलों के भंडारण के लिए गोदाम और मंडियोंं की व्यवस्था कर ली है। ऐसे में मोदी सरकार किसी भी तरह से किसान आंदालन को खत्म कराकर इन पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी पूंजीपति अडानी ने फसल के भंडारण के लिए गोदामों व मंडियों के लिए बड़े स्तर पर जमीन खरीद ली है। हरियाणा के पानीपत में 100 एकड़ जमीन पर गोदामों के साथ ही रेलवे ट्रेक, सडक़ें भी बन रही हैं। बताया जा रहा है कि अडानी इस जमीन से लगती 100 एकड़ जमीन और खरीद रहा है। यह जमीन धोखे से रेलवे के डिब्बों की सरकारी फैक्टरी लगाने के नाम पर खरीदी गई है।

दरअसल मोदी सरकार ने भाजपा के सांसद, विधायक दूसरे नेताओं को किसान कानूनों के पक्ष में किसानों की लामबंदी करने के लिए लगा दिया है। किसान सम्मेलनों के माध्यम से ये किसान तैयार कराये जा रहे हैं। केंद्र के साथ ही कई राज्यों में भाजपा की सरकार होने के नाते ये लोग भोले-भाले किसानों को दबाव में ले रहे हैं और किसानों से किसान कानूनों का समर्थन करवा रहे हैं। इधर आंदोलन पर बैठे किसान संगठनों के नेताओं में इस बात को लेकर आक्रोश है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर समेत कई जिलों में आंदोलन के समर्थक और भाजपा के समर्थक किसानों में टकराव की आशंका पैदा हो गई । मोदी सरकार के साथ ही भाजपा शासित राज्य सरकारें दमन  का रास्ता अख्तियार कर किसान आंदोलन को समाप्त कराना चाहती हैं। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने तो गाजियाबाद में कानूनों का समर्थन करने वाले किसानों को ढूंढने की बात कही। उन्होंने बाकायदा यूपी गेट पर किसान मंच से कहा कि उनके यहां नौ करोड़ वसूली के नोटिस आए हुए हैं।

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