2.1.21

सरकार को मेरी लाश दे देना, वो मेरे अंगों को बेचकर पैसे कमा लेगी!

असित नाथ तिवारी-

सब तरफ खामोशी है। सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी इस देश के लिए बहुत बड़ी घटना थी। किसान की खुदकुशी तो जैसे कोई घटना ही नहीं है। इसी से पता चलता है कि इस दौर में भीड़ की प्राथमिकता क्या है। आप भेंड़ बनाए जा चुके हैं। कोई है जो आपको भेंड़ की तरह हांकता जा रहा है और आप भेंड़चाल  चलते जा रहे हैं। आपके विवेक पर नियंत्रण कर वो आपको बता रहा है कि भेंड़चाल ही राष्ट्रवाद है। 


याद कीजिए, क्या आप इतने ही निष्ठुर आज से सात साल पहले थे। नहीं थे आप इतने निष्ठुर। आपके धर्म ने सामान्य जीव मात्र के लिए आपको दयालु होना सिखाया है। आज आप सत्ता के गिद्धों के बहकावे में अपने ही धर्म के खिलाफ खड़े हो गए हैं। आज आप अपने राष्ट्र के खिलाफ खड़े होते जा रहे हैं।

लौट आइए। भेंड़चाल से खुद को बाहर कर लीजिए। जिम्मेदारी का एहसास कीजिए और दया भाव को जागृत कीजिए।

पिछले कुछ दिनों में देश के किसानों और मजदूरों पर बहुत अत्याचार हुए हैं। सड़कों पर भूख और प्यास से तड़प-तड़प कर मरने वाले मजदूर इसी भारत मां की संतान थे। बैंकों के बाहर कतारों में मरे लोग इसी भारत मां की संतान थे। किसान आंदोलन के दौरान मरे किसान धरती मां के सबसे प्यारे बेटे थे। और अब हालत ये हो गई कि धरती मां का सबसे प्यारा बेटा ये कहते हुए फांसी पर लटकता है कि सरकार को मेरी लाश दे देना, वो मेरे अंगों को बेचकर पैसे कमा लेगी।

अब तो वापस लौट आइए आप। देखिए भगवान कृष्ण ने कहा है कि किसान धरती पर ईश्वर का प्रतिनिधि होता है। अपने कृष्ण की सुन लीजिए। वापस लौट आइए।

असित नाथ तिवारी...
लेखक एवं कवि
asitnath@hotmail.com

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