3.1.21

ठाकुर प्रसाद सिंह मूलतः पत्रकार ही रहे

९६वीं जयन्ती, दीपदान तथा ‘सोच विचार’ के विशेषांक का लोकार्पण


ठाकुर प्रसाद सिंह ने कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य किया और साहित्य में अपनी कृतियों के जरिए अवदान किया लेकिन वे मूलतः पत्रकार ही रहे।  ठाकुर प्रसाद सिंह की ९६वीं जयन्ती पर साहित्यिक संघ और ठाकुर प्रसाद सिंह स्मृति साहित्य संस्थान द्वारा मंगलवार को वाराणसी के नाटी इमली चौराहे पर स्थित उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीपदान तथा मासिक पत्रिका ‘सोच विचार’ के ठाकुर प्रसाद सिंह विशेषांक का लोकार्पण सम्पन्न हुआ। समारोह में ये विचार वक्ताओं ने व्यक्त किए।


आयोजन के मुख्य अतिथि पोस्ट मास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि उ.प्र.सरकार के महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर रहते हुए उन्होंने कभी कलम के साथ समझौता नहीं किया। प्रशासनिक दायित्वों की व्यस्तता के कारण उनके लेखन का परिमाण अवश्य सीमित रहा तथा रचनाकर्म की निरंतरता भी बाधित हुई लेन एक बड़े तथा कालजयी रचनाकार के रूप में सत्य की प्रतिष्ठा के लिए वे निरंतर संघर्षरत रहे। आयोजन के अध्यक्ष के रूप में विचार व्यक्त करते हुए अवकाशप्राप्त प्रशासनिक अधिकारी  ओम धीरज ने कहा कि एक बहुमुखी सृजन प्रतिभा के रूप में ठाकुर प्रसाद सिंह अपनी पीढ़ी के रचनाकारों में प्रथम पंक्ति में प्रतिष्ठित रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो उपन्यास, कहानी, कविता, ललित निबन्ध, संस्मरण तथा अन्यान्यसभी विधाओं में उनका कृतित्व अपनी मौलिकता के कारण उल्लेखनीय है किन्तु संथाली लोकगीतों की भावभूमि पर आधारित गीतों के संग्रह ‘बंसी और मादल’ के द्वारा वे हिन्दी नवगीत के प्रतिष्पादक रचनाकारों में अग्रगण्य हैं।

समारोह के विशिष्ट अतिथि पत्रकार एवं नाद रंग पत्रिका के संपादक आलोक पराड़करने कहा कि ठाकुर प्रसाद सिंह ने एक समर्थ पत्रकार- साहित्यकार होने के साथ-साथ  नयी प्रतिभाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान किया। वे एक बड़े रचनाकार के साथ ही बड़े इंसान भी थे। उनकी रचनाओं में पीड़ा की सामाजिकता दिखती है लेकिन जीवन में उनकी बातचीत हास्य-व्यंग्य से परिपूर्ण रहती थी। वे चुटीली टिप्पणी करते थे। विशेषांक के अतिथि संपादक डॉ.उमेश प्रसाद सिंह ने कहा कि ठाकुर प्रसाद सिंह का बड़ा स्पष्ट और स्थिर विश्वास था कि साहित्य के समुचित विकास और उसकी प्रतिष्ठा के लिए साहित्यकार होने के साथ-साथ साहित्यिक का होना आवश्यक है। प्रो.अर्जुन तिवारी ने भी विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत सी.ए.मनोज कुमार ने तथा सम्मान नरेन्द्र नाथ मिश्र, वासुदेव उबेराय,  प्रो.श्रद्धानंद ने किया। इस अवसर पर सर्वश्री सुरेंद्र वाजपेयी, डॉ.संजय गौतम, डॉ.पवन कुमार शास्त्री, सूर्य प्रकाश मिश्र आदि ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। संचालन डॉ.जितेन्द्र नाथ मिश्र ने तथा धन्यवाद ज्ञापन राजनारायण सिंह ने किया। ठाकुर प्रसाद सिंह की पौत्री समीक्षा सिंह ने उनके गीतों का पाठ किया। (विज्ञप्ति)

जितेन्द्र नाथ मिश्र
मंत्री


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