17.2.21

क्रिएटिविटी के नाम पर बीजेपी की चापलूसी में लगे सुधीर चौधरी और ZEE NEWS

Himanshu Sharan-

कहने को तो ज़ी न्यूज़ के वरिष्ठ एंकर सुधीर चौधरी दावा करते हैं कि वो निष्पक्ष होकर पत्रकारिता कर रहे हैं लेकिन हकीकत देखी जाए तो सुधीर चौधरी सत्ताधारियों की गोद में बैठकर अपनी पत्रकारिता की दुकान चला रहे हैं…जिसका जीता जागता सबूत एक बार फिर सुधीर चौधरी के चैनल ने जनता के सामने पेश कर दिया…


राहुल गांधी के इटली जाने पर मीडिया का विधवा विलाप ऐसे देखने को मिल रहा है जैसे राहुल गांधी देश के प्रधानमंत्री है और देश के प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष के नेता है…किसानों के धरने से जोड़कर राहुल गांधी के नानी के घर जाने पर जमकर टीवी डिबेट्स हो रहे हैं…जबकि डिबेट्स तो इस बात पर हों कि प्रधानमंत्री मोदी जी अब तक किसानों से मिलने क्यों नहीं गए…लेकिन सत्ताधारियों के सामने सरेंडर कर चुके चैनल्स में ज़ी न्यूज़ का भी नाम शामिल है…जो राहुल गांधी के इटली दौरे पर बीजेपी के प्रवक्ताओं के साथ मिलकर जमकर सुर्खियां लेने में लगा है…सुर्खियां लेने के चक्कर में ज़ी न्यूज़ ऐसा अंधा हुआ कि उसने अपनी ही ईमानदारी की पोल खोल दी…

दरअसल राहुल गांधी के इटली जाने पर जब ज़ी न्यूज़ ने डिबेट रखी तो उसका क्रोमा टेक्स्ट ये दिया “धरने पर किसान, राहुल चले मिलान !” ज़ी न्यूज़ का क्रोमा ही उसकी सच्चाई के दावों का जनाज़ा निकाल गया…दरअसल ये क्रोमा बीजेपी नेता प्रेम शुक्ला के एक ट्वीट से लिया गया था और प्रेम शुक्ला का ट्वीट कुछ यूं था “आंदोलन करें किसान, राहुल गांधी चले मिलान”…बीजेपी नेता के ट्वीट के कुछ शब्दों में हेरफेर कर ज़ी न्यूज़ ने अपनी क्रिएटिविटी दिखा दी…ऐसे में अब ज़ी न्यूज़ और सुधीर चौधरी का सोशल मीडिया पर भांडा फूटा तो ज़ी न्यूज़ ने कुतर्क का सहारा लिया और कहा कि हमने ट्वीट पहले किया था और उसी ट्वीट को बीजेपी नेता ने शेयर किया था…

इसकी हकीकत जब खंगाली गई तो पता चला की प्रेम शुक्ला ने पहले ट्वीट किया था…प्रेम शुक्ला ने ट्वीट 27 दिसंबर शाम 4:43 मिनट पर किया था और ज़ी न्यूज़ के ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल से ये ट्वीट 28 दिसंबर सुबह 9:56 मिनट पर किया गया…ऐसे में ज़ी न्यूज़ ने अपनी ही ईमानदारी को ख़ुद ही झूठा साबित कर दिया…अब सवाल इस बात का है कि अगर चापलूसी करनी ही है तो फिर खुलकर करिए…ये ईमानदारी का ढ़ोग सुधीर चौधरी जैसे टीपी रीडर क्यों कर रहे हैं…ये वो स्वयंघोषित सीनियर पत्रकार हैं जो एक शब्द कैमरे के सामने बिना टैली प्रॉप्टर के नहीं पढ़ पाते और जो हकीकत में टैलेंटड लड़के लड़कियां हैं उन्हे इनके जैसे लोग ये ज्ञान देते हैं कि अभी आपको सीखने की जरूरत है…

यहां सवाल राहुल गांधी, किसान और केंद्र सरकार का है साथ ही ज़ी न्यूज़ की विश्वसनीयता का है…देश में केंद्र में जिसकी सरकार होती है हकीकत में हर हालात का जिम्मेदार वहीं शख्स होता है लेकिन देश के मीडिया की दिमागी विकलांगता पहली बार साबित करने में लगी है कि केंद्र में बैठे विपक्षी दल के नेता ही देश के बिगड़े हालातों को सही कर सकते हैं ऐसे में उनका देश से बाहर जाना बिल्कुल ग़लत है…ऐसे में हंसी आती है देश के नागरिकों की किस्मत पर और मीडिया की चापलूसी पर की आंखों पर पट्टी बांधकर ये पत्रकारिता के नाम पर देश को ऐसे अंधकार में धकेल रहे हैं…जिसका खामियाजा आने वाली पीड़ियों को भुगतना पड़ेगा जिसमें इन स्वयंघोषित सीनियर पत्रकारों की नस्लें भी शामिल होंगी…






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