15.3.21

अरविंद शर्मा बनेंगे शशांक शेखर

अरविंद शर्मा को लेकर तमाम कयास लगाए गए किसी ने डिप्टी सीएम का दावेदार घोषित कर दिया तो किसी ने 2022 के लिए सीएम का दावेदार । किसी ने दिनेश शर्मा की छुट्टी कराकर उन्हें केंद्र में लाने की बात कही तो किसी ने दिनेश शर्मा उपसभापति । खैर आते है मुद्दे पर कैबिनेट सचिव शशांक शेखर का नाम तो आपने सुना होगा । वह शशांक शेखर जो आगरा के डीएम से आगरा दिल्ली एक्सप्रेवे के दौरान डीएम से यह कहते है तेरा पेट फाड़कर जमीन ले लूंगा । वह शशांक शेखर जो भट्टा पारसौल में उपद्रव के दौरान यह कहते है कि क्या डीएम एसएसपी पैदल नही चलकर आ सकते थे क्या या किस संविधान में लिखा है डीएम एसएसपी पैदल नही चल सकते । ऐसा ही शशांक शेखर की जरूरत यूपी को है। दरअसल यह पर्दे के पीछे 2024 का मोदी का माइक्रो  मैनेजमेंट है ।


इससे किसी न बाबा को खतरा है न अम्मा को। यह सिर्फ नौकरशाही की नाक में नकेल कसने का आइडिया प्लान है । केंद्र की योजनाओं को बिना भृष्टाचार के धरातल पर ले जाना है  या यूं कहें जो गुजरात मे मोदी ने किया वही करना चाहते है । सत्ता का केंद्रीकरण। मतलब कमान सिर्फ कुछ हाथो में,किसी विधायक को या सांसद को  2022 के बाद बड़ा कमाने का मौका नही मिलेगा हा स्थानीय स्तर पर छीना झपटी, लूट खसोट कर ले या फिर स्थानीय स्तर पर रोला काट ले वह अलग बात है ।  सबका साथ , सबका विकास और सबका विश्वाश तो किंचित मात्र नही हा यह तय है टिकट जिसको मिलेगी उसके विधायक  या सांसद बनने के 90 प्रतिशत चांस रहेंगे और पिछले पांच सालों में कमाए हुए का धेला भर नही लिया जाएगा।

अब आते है बाबा पर। कई लोगों का तर्क है योगी को ठिकाने के लगाने के लिए अरविंद शर्मा को लाया गया है। तो पहले ही कह देता हूँ योगी जाति से कर्म से और धर्म से तीनों से क्षत्रिय है और शायद जो योगी के आने से बार बार ब्राह्मण नाराज है नाराज है का शोर उठाया जाता है वह इसलिए उठाया जाता है ताकि धर्म के साथ साथ सियासत में  जाति विशेष के आरक्षण का  हक छीनकर खाने वाले  योगी की कमान ढीली की जाए और योगी ब्राह्मणों को हरिशंकर तिवारी न बना दे, इसलिए यदा यदा पर पैकेज और कैम्पेन चलाये जाते है । चूंकि हिंदुत्व पर तो योगी की कमांड जबरदस्त है इसलिए संत के रूप में 82 प्रतिशत हिंदुओं में योगी का तोड़ नही है इसलिए उन्हें क्षत्रिय बनाया जाता है बार बार । और इस काम को भृष्टनौकरशाह जो ढूंढ ढूंढकर क्षत्रिय लाते है वह बखूभी करते है इस काम को । खैर बार बार यह कोशिश की जाती है कि जैसे जाटवों का राज था, यादवो का राज था वैसे ही ठाकुरो का राज है लेकिन चूंकि आम जनमानस  हिंदुत्व की भांग का गोला खाये हुए है इसलिए बार बार वह यह करने में चूक जाते है ।

जैसे भाजपा ने 56 एसडीएम यादव बना दिये थे सपा सरकार में इसलिए वह इतने ठाकुर डीएम हो गए इतने अधिकारी हो गए और इतने एसएसपी। वह यह करने से चूंक जाते है। इसमें कोई दो राय नही है कि मुस्लिम जितने सेक्युलर भाजपा में हुए है योगी के आने से शायद ही कल्याण सिंह के साशन में भी नही हुए है। मुस्लिम कट्टरवाद सबसे ज्यादा सपा में पनपा , बसपा में कट्टरता इतनी नही थी। अब तमाम भृष्टाचार के बाद भी बाबा इसलिए मजबूत है क्योंकि हिंदुत्व के खांचे में बाबा के अलावा कोई सैट नही है। कुछ लोग बार बार बाबा को हटाए जाने की चर्चा करते है तो एक बात स्पष्ट समझ ले बाबा कोई गुड़ का पुआ नही है हर कोई खा जाएगा। दूसरा जब तक संघ प्रमुख मोहन भागवत है या संघ का कट्टर हिंदुत्व का मॉडल है योगी को स्वयं ब्रह्मा जी भी धरती पर उतरकर नही हटा सकते । चूंकि योगी का नौकरशाही में लाभात्मक दखल नही है एक रुपये का इसलिए किसी शर्मा या किसी वर्मा के आने का कोई असर योगी की सेहत पर नही होगा। जैसे सुनील बंसल, और धुर विरोधी केशव मौर्या के आने पर भी योगी की छवि निष्कलंक, निष्पक्ष और निर्विवाद है आम जनमानस के भीतर । उसी तरह से शर्मा के आने पे भी योगी की इंडिविजुअल सत्ता बरकरार रहेगी और वही 2022 में  ही मुख्य चेहरा होंगे और सरकार इसी चेहरे को आधार मानकर इलेक्शन में जाएगी।

राजनीतिक विश्लेषक इस पोस्ट को संभालकर रखे। हा जातिगत सोच से इस पोस्ट का आंकलन न करे।

गौरव अग्रवाल की कलम से ।

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