15.5.21

कोविड 19 की आपदा को अवसर में बदला पंजाब यूनिवर्सिटी ने, दाखिला टेस्टों के नाम पर आवेदकों से लूटे करोड़ों रुपए

Dr Rajinder K Singla

RTI Activist, Chandigarh

Mob. 9417538456

यहां एक तरफ कोविड 19 महामारी ने विकराल रूप धारण कर देश में सभी जगह त्राहि त्राहि मचा रखी है, और मानवता की इस दुखद घड़ी में अनेक लोग व संस्थाएं पीड़ित लोगों की मदद में जुटे  हुए हैं, वहां दूसरी तरफ सोशल मीडिया में फैली खबरों और न्यूज विडियोज से ऐसे केस भी दिन प्रतिदिन उजागर हो रहे हैं यहां दूसरों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए कुछ लोगों ने इस आपदा को अवसर में बदल कर लूटने का काम शुरू किया हुआ, फिर लूट चाहे दवाइयों, हॉस्पिटल बेड, ऑक्सीजन के नाम पर हो या किसी अन्य तरीके से।


उस से भी ज्यादा अफसोस तब होता है जब पता चले लूटने वाली संस्था कोई प्राइवेट नहीं, बल्कि भारत और पंजाब सरकार के अनुदान से चली और इस देश की 140 वर्ष पुरानी यूनिवर्सिटी है जो कभी अपने ऊंचे मापदंडों व उद्देश्य के लिए विश्वविख्यात रही है।

चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी में एक ऐसा ही मामला उजागर हुआ है जिसमें पिछले एक वर्ष की कोरोना महामारी के दौरान छात्रों को खुल कर लूटा गया। उन एंट्रेंस टेस्टों के नाम पर भी उनसे करोड़ों रुपए ऐंठ लिए गए, जो कभी हुए ही नहीं, और न ही वर्तमान परिस्थितियों में कभी हो सकते थे।

जिस समय सभी शिक्षण संस्थान बंद चले हैं, और ज्यादातर काम ऑनलाइन चला है, शायद पता ही नहीं चलता क्या क्या घपले घोटाले हो रहे हैं। यह घोटाला भी अंधेरों के गर्भ में छिपा रहता, अगर सूचना का अधिकार अधिनियम इस्तेमाल करते हुए पंजाब यूनिवर्सिटी की कार्य प्रणाली के दस्तावेज न खंगोले गए होते।

आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ राजेंद्र के सिंगला ने 20 अक्टूबर 2020 को एक आरटीआई आवेदन के माध्यम से यूनिवर्सिटी के सूचना अधिकारी से पूछा था कि उन्हें यह बताया जाए कि सत्र 2020-21 में विभिन्न कोर्सों में एडमिशन के लिए कितने टेस्टों के नाम पर कितना धन इकटठा किया गया। जब कोरोना महामारी के कारण न ही यह टेस्ट हो सकते थे, न ही अब तक कभी हुए, तो वसूला गया पैसा क्या आवेदकों को लौटाया गया?

जवाब में यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर सेंटर के डायरेक्टर ने बताया कि कुल 9 टेस्टों के नाम पर पैसे लिए गए हैं। सी ई टी सेल के असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने माना कि यह पैसा अभी यूनिवर्सिटी के पास ही है, और आवेदकों को लौटाए जाना वाला कोई भी निर्देश अभी तक नहीं आया।

यूनिवर्सिटी अधिकारी तीन महीने तक यह बताने से भागते रहे कि कुल कितनी राशि इन टेस्टों से वसूली गई जो कभी हुए ही नहीं। आखिर डॉ सिंगला द्वारा दायर की गई याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार व अपीलीय अधिकारी विक्रम नय्यर ने अकाउंट्स ब्रांच के असिस्टेंट रजिस्ट्रार को आदेश दिए की उक्त जानकारी उजागर की जाए।

प्राप्त दस्तावेजों से जो तथ्य बाहर आए, वह बताते हैं कि वसूली गई राशि 97224066 रुपए है। बेरोजगारी और  वितिय मंदी के हालातों से गुजर रहे देश के पड़े लिखे युवा वर्ग से पंजाब यूनिवर्सिटी ने यह 10 करोड़ रुपए क्यों लूटे, वक़्त ही बताएगा।

उपराष्ट्रपति व पंजाब यूनिवर्सिटी के चांसलर को मामले से अवगत करवाते हुए सिंगला ने आज गुहार लगाई है कि इस मामले के दोषी उच्च अधिकारियों पर जल्द से जल्द कानूनी करवाई की जाए।  उम्मीद है, आने वाले समय में और भी कंकाल पंजाब यूनिवर्सिटी की अलमारियों से बाहर निकलेंगे।





 

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