11.5.21

खूनी चरित्र वाली भाजपा पश्चिम बंगाल में टीएमसी पर हिंसा का आरोप लगा रही है!


रोहित शर्मा विश्वकर्मा-

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा में अब तक रिपोर्टों के मुताबिक 12 लोग मारे गए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का आरोप है कि इन 12 लोगों में उसके 6 कार्यकर्ता शामिल हैं। दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का आरोप है कि उसके भी 4 कार्यकर्ता मारे गए। बाकी मारे गए लोगों की स्पष्ट पहचान नहीं हो पाई है। इसी बीच पश्चिम बंगाल पुलिस ने प्रदेश में चुनाव के बाद हिंसा में भाजपा महिला कार्यकर्ता की बलात्कार की घटना को झूठा बताया है। प्रदेश में हिंसा की इन घटनाओं पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रिपोर्ट मांगी है। स्पष्ट है राज्यपाल जगदीप धनकड़ वही रिपोर्ट देंगे जिसका आरोप भाजपा लगा रही है, जो सच्चाई से बिल्कुल परे होगी। इस बारे में बीबीसी की रिपोर्ट सच्चाई के करीब नजर आती है जिसमें कहा गया है कि चुनाव के नतीजे के बाद प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हिंसा फैली हुई है व डर और भय का माहौल पाया जा रहा है। जो इस बात को संकेत करता है कि भाजपा के गुंडे हार की हताशा में उन लोगों पर हमला कर रहे हैं जिन्होंने टीएमसी को वोट देकर उसे अप्रत्याशित जीत दिलाई। वास्तव में भाजपा के गुंडों को यह लग रहा था कि मोदी-शाह की रैलियों और रोड शो में आने वाली भीड़ से प्रभावित होकर भाजपा को वोट देकर उसे पश्चिम बंगाल में सत्तासीन करेंगे। लेकिन इन गुंडों की भाषाओं और आक्षांशाओं के विपरीत चुनाव नतीजा आने के बाद भाजपा के गुंडे हताशा का शिकार होकर बौखला गए हैं और हिंसा पर उतारू हो गए हैं। जो भाजपा के चरित्र का प्रदर्शन करती हैं।


भाजपा का इतिहास है कि खूनी खेल खेलने में वो दक्ष है इसलिए जब भी उसे अवसर मिलता है वो अपना खूनी खेल खेलने में जरा भी नहीं हिचकती है। भाजपा का खूनी खेल खेलने वाला ये चरित्र मोदी-शाह की अगुवाई में खुलकर खेला जा रहा है। क्योंकि ये दोनों गुजरात के दंगों में खून की होली खेल चुके हैं, जहाँ दिन-दहाड़े और खुलेआम लूटपाट होती रही और मोदी-शाह की पुलिस खामोश मूकदर्शक बनी रही। गुजरात दंगो में हज़ारो लोगों में 400 से अधिक हिंदू भी शामिल थे। इंसानियत को शर्मशार करने वाला गुजरात का यह दंगा विश्वभर में निंदा का विषय बना। इसके बावजूद इंसानियत के क़ातिल मोदी सरकार को बर्खास्त नहीं किया गया। इंसानियत की क़ातिल मोदी सरकार के साथ ये हमदर्दी तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिखाई गई और इस प्रकार वह भी गुजरात में इंसानियत के क़त्ल में शामिल थे। क्योंकि उस वक़्त होना तो यही चाहिए था कि भेड़िये रूपी मोदी सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए था। इंसानियत को शर्मसार करने वाला गुजरात का दंगा और तत्कालीन प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा भेड़िये रूपी मोदी सरकार को बर्खास्त ना किये जाने वाला कदम यह स्पष्ट बताता है कि भाजपा का चरित्र ही इंसानियत का खून बहाना है।

देश में जितने भी सांप्रदायिक दंगे हुए जिनमें भिवंडी का दंगा, भागलपुर का दंगा, मुरादाबाद का दंगा, मेरठ का दंगा, बनारस का दंगा और अभी हाल का मुज़फ़्फ़रनगर का दंगा मुख्य है। ये भाजपा के लोगों के इन दंगों में शामिल होने का आरोप है। भाजपा का विशेषकर मोदी-शाह की अगुवाई वाली भाजपा का खूनी चरित्र उस समय भी सामने आया जब 1 साल पहले राजधानी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगा भड़काया गया। इस दंगे को भड़काने में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और कपिल मिश्रा जैसे भाजपाई नेता ने खुलकर भूमिका निभाई। मोदी-शाह की अगवाई वाली भाजपा का खूनी चरित्र उस समय भी सामने आया जब किसानों के आंदोलन को समाप्त करने के लिए दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश के लोनी विधानसभा का भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर अपने गुंडों के जरिये किसान आंदोलन को खत्म करने की अनुमति मांगता है। लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने वाला यह पत्र उसने अमित शाह को इस विश्वास के साथ लिखा कि आपराधिक मानसिकता रखने वाला गृहमंत्री उसे इसकी इज़ाज़त दे देगा। इसके बाद मोदी-शाह की अगुवाई वाली भाजपा का खूनी चरित्र उस समय भी सामने आया जब सिंधु बॉर्डर पर किसान आंदोलन खत्म करने के लिए एक अनजान हिंदू संगठन द्वारा हमला किया गया जो और कोई नहीं बल्कि भाजपा के ही लोग थे। भाजपा का यही खूनी चेहरा राजस्थान में किसान नेता राकेश टिकैत के काफिले के समय भी देखने को मिला। इस संघर्ष में टिकैत की गाड़ी को तोड़ा-फोड़ा गया और इस टकराव में भाजपा के कार्यकर्ता घायल भी हुए थे।

खूनी चरित्र रखने वाली यह भाजपा पश्चिम बंगाल में चुनाव हारने पर हिंसा में लिप्त है और इसका आरोप तृणमूल कांग्रेस पर लगा रही है। वास्तव में पश्चिम बंगाल में चुनाव शुरू होने के पहले ही से खूनी चरित्र वाली भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस पर हिंसक कार्रवाई का आरोप लगाना शुरू कर दिया था। इसने पश्चिम बंगाल के चुनाव में टीएमसी की हिंसा को उसी तरह चुनावी हिंसा बनाना चाहा जिस प्रकार इसने बिहार में जंगल राज को मुद्दा बनाया था, जिसमें वो दुर्भाग्यवश सफल हो गई। लेकिन पश्चिम बंगाल में उसका यह हथकंडा कामयाब नहीं हुआ। अपने इस हथकंडे को कामयाब करने के लिए उसने अपने ही राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पर चुनावपूर्व प्रदेश के दौरे पर हमला करवाया और इसका आरोप टीएमसी पर लगाया। इस हमले की जाँच का केंद्र सरकार द्वारा आदेश भी दिया गया, लेकिन आजतक जाँच रिपोर्ट सामने नहीं आई। अगर इस हमले में तृणमूल कांग्रेस के लोग शामिल थे तो जाँच रिपोर्ट क्यों नहीं सामने आई, ताकि लोगों को पता चलता कि जेपी नड्डा पर हमला करने वाले तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता थे? अब चुनावी हार के बाद भी खूनी चरित्र वाली भाजपा पश्चिम बंगाल में हिंसा का खेल खेल रही है और इस खेल के बहाने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगवाना चाहती है।

ममता बनर्जी द्वारा चुनाव में भाजपा को धूल चटा दिये जाने के बाद वो अपनी चुनावी हार पचा नहीं पा रही है। क्योंकि अमित शाह बार-बार ये ऐलान कर रहे थे कि चुनाव खत्म होने तक दीदी अकेली हो जाएंगी और भाजपा को 200 से ज्यादा सीटें मिलेंगी। वो जिस अंदाज़ में यह एलान करते थे, वह किसी गृहमंत्री का अंदाज़ नहीं होता बल्कि किसी अपराधी और मवाली का अंदाज़ होता था। राज्य के भाजपाइयों को 200 से ज्यादा सीटें जिताने का सपना दिखाए जाने के बाद अगर भाजपा को राज्य में शर्मनाक हार मिली है तो इससे भाजपा कार्यकर्ताओं का हताश होना स्वाभाविक है। ऐसी स्थिति में उनके द्वारा हिंसा का तांडव किये जाने का दृश्य सामने आ रहा है और इस हिंसा के बहाने तृणमूल कांग्रेस को मिले अप्रत्याशित जीत के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की चाल चली जा रही है। इस चाल में इसे कामयाब होने से रोकने वाला तो कोई नहीं है क्योंकि संसद के दोनों सदनों से लोकतंत्र की हत्या करने वाली भाजपा कोई भी बिल पारित कराने में सफल रहती है। अब देखना यह है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत हासिल कर तीसरी बार सत्ता में आई ममता बनर्जी की सरकार को किस बेशर्मी के साथ बर्खास्त कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाती है।


(रोहित शर्मा विश्वकर्मा)


- Rohit Sharma Vishwakarma
Editor : Vishwadharma Times VDT
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