17.5.21

बौद्धिक श्रमिकों को कोरोना योद्धा घोषित करने को लेकर सियासी दलों की मंशा साफ़ नहीं

विनय प्रकाश सिंह-

देश भर में लगातार कोरोना की जद में आ रहे बौद्धिक श्रमिकों (पत्रकारों) की स्थिति को लेकर राजनीतिक दल केवल बयानबाजी कर रहे हैं। कांग्रेस जिन राज्यों में विपक्ष में है उन राज्यों में  कांग्रेस नेताओं द्वारा पत्रकारों को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग मीडिया के माध्यम से की जा रही है।जिन राज्यों में भाजपा विपक्ष में है वहा भाजपा प्रदेश नेतृत्व पत्रकारो को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग कर रहा है। पत्रकारों को लेकर लगातार बयानबाजी की जा रही है। कई राज्यों के मुख्यमंत्री से लेकर भारत के उप राष्ट्रपति तक ने ट्वीट कर पत्रकारों को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग की है।


कई सामाजिक संगठन पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर ‍चिंता जता रहे हैं और पत्रकारों को कोरोना योद्धा घोषित करने की मांग कर रहे हैं।पत्रकारों की रक्षा के लिए लगातार आवाज़ बुलंद करने वाला पत्रकार संगठन भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ ने भारत के प्रधानमंत्री वह केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री व राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर यह मांग की है कि कोरोना के दौरान शहीद हुए पत्रकारों के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाए।परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दिए जाने की भी केंद्र व राज्य सरकारों से मांग की गई है।संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक पांडेय ने कहा है कि आज जबकि देश में कोरोना जैसी महामारी विकराल रूप ले चुकी है। ऐसी स्थिति में हमारे प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार अपनी जान-माल की परवाह किए बिना महामारी में पल-पल की खबरों से सरकार को अवगत करा रहे हैं। अब तक सैकंडों से अधिक पत्रकारों ने कोरोना से जंग में अपनी जान गंवाई है फिर भी अब तक पत्रकार और उनके परिजनों की कुर्बानियां सरकार के हृदय को पिघला नहीं पाई हैं।

बीएसपीएस के महासचिव शाहनवाज हसन ने कहा है कि राजनीतिक दलों की बयानबाजी और घोषणाएं यह बताती हैं कि उनकी नियत और मंशा बिल्कुल साफ़ नहीं है। शाहनवाज़ हसन ने ओडिसा, तमिलनाडु और बंगाल सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे अन्य राज्यों को भी रोल मॉडल के रूप में अडॉप्ट करने की सभी राज्य सरकारों से की है। उन्होंने झारखण्ड में अबतक दो दर्जन से अधिक पत्रकारों की मृत्यु के बाद सरकार के द्वारा अबतक मृत पत्रकारों के परिजनों के लिए किसी भी प्रकार की सहायता नहीं देने पर कहा है कि न जाने ऐसी कौन सी मजबूरी झारखण्ड सरकार को है कि वह पत्रकारों के लिए पहल करने में झिझक रही है।

इस संकट के समय पत्रकार कोरोना योद्धाओं की भांति अपने कर्तव्यों को निभा रहे हैं।लेकिन अबतक सरकार की ओर से उन्हें किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिल रही है। हमें अपने इन पत्रकारों पर नाज है जो ऐसी स्थिति में भी कार्य कर रहे हैं।उत्तराखंड प्रेस क्लब के महासचिव गिरिधर शर्मा ने  है कि कोरोना से संबंधित खबरों को कवरेज करते समय प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के हमारे कुछ पत्रकार साथी कोरोना जैसी महामारी के शिकार हो रहे हैं।कुछ पत्रकार तो इस बीमारी से ग्रस्त हो चुके हैं,कई पत्रकार कोरोना के कारण दिवंगत हो चुके हैं।जिन पत्रकारों के साथ ऐसी घटनाएं घटित हुई है उनका परिवार इस समय आर्थिक संकट से जूझ रहा है। श्री शर्मा ने  ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री व राज्य सरकार के मुख्यमंत्रियों से यह मांग की है कि  कोरोना के दौरान हुई मृत्यु पर प्रिंट मीडिया के पत्रकारों के परिजनों को केंद्र व राज्य सरकारें 30-30 हजार रुपये पेंशन दे।

राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार एस एन गैतम, जितेंद्र पुरोहित ने संयुक्त रूप से यह मांग की है कि  महामारी के शिकार पत्रकारों को कोरोना योद्धा की उपाधि से विभूषित किया जाए। तमिलनाडु की वरिष्ठ पत्रकार आर चंद्रिका ने तमिलनाडु सरकार के मुख्यमंत्री द्वारा पत्रकारों को कोरोना योद्धा घोषित करने का स्वागत किया है, उन्होंने कहा है कि तमिलनाडु सरकार से अन्य राज्यों को सीख लेने चाहिए।उन्होंने कोरोना के दौरान शहीद हुए पत्रकारों के परिवार को जीवन यापन करने के लिए 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की बीएसपीएस की मांग का समर्थन किया है। साथ ही जिन पत्रकारों की खबरों को कवरेज करने के दौरान कोरोना हुआ है ऐसे पत्रकारों के लिए सरकार की ओर से निजी अस्पतालों में उनका निःशुल्क इलाज कराने की व्यवस्था करने की मांग की है।

बिहार के वरिष्ठ पत्रकार शशि भूषण सिंह, झारखण्ड से देवेंद्र सिंह, चंदन मिश्र, विष्णु शंकर उपाध्याय, अनुपम शेषांक, बृजभूषण सिंह, गणेश मिश्रा, डॉ अजय ओझा, राजकुमार सिंह, अभय लाभ ने केंद्र सरकार व राज्य सरकार के मुख्यमंत्रियों से यह मांग की है कि कोरोना से पीड़ित पत्रकारों के लिए वरीयता के आधार पर अतिरिक्त बेड और दवाओं का प्रबंध कराया जाए। यह मांग देश भर के मीडिया कर्मियों की ओर से भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ ने किया है। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि सरकारें देश के पत्रकारों को कितनी जल्दी से जल्दी समस्त सुविधाओं से लैस करती हैं।  जिसका मीडिया संगठनों को बेसब्री से इंतजार है।

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