17.6.21

राम मंदिर निर्माण में भ्रष्टाचार का मुद्दा भी जा रहा है भाजपा के पक्ष में!


CHARAN SINGH RAJPUT-

विपक्ष को ही नहीं हर सेकुलर व्यक्ति को यह समझ लेना चाहिए कि जब हम भाजपा समर्थकों को अंधभक्ति की संज्ञा देते हैं तो किसी भी तरह के आरोप का उन पर कोई असर नहीं पडऩे वाला है। आज की तारीख में न ही विपक्ष के आरोपों को कोई जिम्मेदार तंत्र गंभीरता से ले रहा है। मोदी सरकार की गलत नीति के चलते बेरोजगार होने के बावजूद, कोरोना महामारी में सरकार की विफलता के चलते अपनों के खोने के बावजूद , पेट्रो पदार्थांे की बेहताशा वृद्धि के बावजूद, गैस सिलेंडर की सब्सिडी बिना बताये खत्म करने के बावजूद जो लोग मोदी और योगी सरकार के खिलाफ कुछ सुनने को तैयार नहीं उनके लिए कोई आरोप बेकार है।

 

राम मंदिर निर्माण मामले में तो वे कुछ सुनने को तैयार नहीं। विपक्ष यह भूल रहा है कि भक्तों की नजरों में राम मंदिर निर्माण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की निगरानी में हो रहा है और ये लोग मोदी और योगी को अपनी भगवान समझते हैं। क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कराते हुए सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए विवादित जमीन को दिलाने का आदेश नहीं दिलाया है ?

क्या मोदी के हस्तक्षेप क चलते तत्कालीन सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा में नहीं भेजा गया है ? भक्तों को बस अयोध्या में राम मंदिर चाहिए। इसके लिए वे करोड़ो नहीं बल्कि अरबों का भ्रष्टाचार भी झेलने को तैयार हैं। संजय सिंह जिन लोगों के चंदे में भ्रष्टाचार होने पर मुखर हुए, उन्हें लोगों ने उनके आवास पर हमला कर दिया।

राम मंदिर निर्माण मामले में भाजपा, आरएसएस और विश्व हिन्दू परिषद यह कहते-कहते नहीं थकते थे कि मंदिर निर्माण की सभी सामग्री तैयार है। राजस्थान से मिट्टी लाकर मंदिर के पीलर बना दिये गये हैं। बस उठा-उठाकर लगाने हैं। विपक्ष यह समझने को तैयार नहीं कि जिस देश में लाखों बच्चे भूखे पेट सो जाते हैं। जिस देश में राज लाखों लोग भूखे मर जाते हैं। जिस देश में कोरोना महामारी में इलाज के अभाव में लोगों ने दम तोड़ दिया उसी देश में राम मंदिर निर्माण के लिए 19 दिन में 2100 करोड़ रुपये इकट्ठे हुए हैं। मतलब चंदा इकट्ठा करना था 1100 करोड़ और इकट्ठा हो गया 2100 करोड़। यह तो तब है जब चंदा इकट्ठा करने में भी कितने घोटाले हुए। मतलब राम मंदिर निर्माण मामले में मंदिर समर्थक कोई भी भ्रष्टाचार सुनने को तैयार नहीं। यदि ऐसे घोटाले नहीं होंगे तो कहां से आरएसएस का खर्चा चलेगा ?  कहां से विहिप का और कहां से दूसरे हिन्दू संगठन तैयार होंगे ? यह सब चंदे का ही तो खेल है। क्या यह खेल अकेले चंपतराय ने किया होगा ? चंदे में से ऐेसे ही तो दूसरे मदों के लिए पैसे बचाये जाते हैं।

राम मंदिर निर्माण में जमीन घोटाले पर विपक्ष अपना समय बर्बाद कर रहा है। विपक्ष खुद ही उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को सुलगा दे रहा है। भाजपा यही ता चाहती है कि अगले साल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत कई राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राम मंदिर निर्माण का मुद्दा अपना असली स्वरूप प्राप्त कर ले। भाजपा को उत्तर प्रदेश ही नहीं 2024 का लोकसभा चुनाव भी राम मंदिर निर्माण के नाम पर जीतना है। विपक्ष यह भी समझ ले कि राम मंदिर निर्माण में आरएसएस और भाजपा की रणनीति इस स्तर की है कि यदि जमीनी घोटाले में भ्रष्टाचार का आरोप सिद्ध भी हो जाए तो वे चंदा देने वाले लोगों को ही ट्रस्ट के पक्ष में खड़ा कर देंगे।

विपक्ष यह समझने को तैयार नहीं कि  राम मंदिर निर्माण मामले में पहली बार भ्रष्टाचार नहीं हुआ है ? जब से भाजपा ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उठाया है तब से चंदा तो ही इकट्ठा किया है। क्या किसी ने कोई हिसाब मांगा ?  भाजपा के समर्थक तो चंदा देते ही इसलिए हैं कि वे हिन्दुत्व को आगे बढ़ा रहे हैं।

जमीनी हकीकत तो यह है कि देश में राम नाम का शब्द आस्था नहीं राजनीतिक शब्द बनकर रह गया है। जहां भाजपा ने राम मंदिर निर्माण के नाम पर सत्ता हासिल की वहीं अब विपक्ष राम मंदिर निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए माहौल बनाने में लगा है। जहां कभी लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा निकालकर भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया था वहीं अब आम आदमी पार्टी राम मंदिर  निर्माण में घोटाले के नाम पर उत्तर  प्रदेश में जमीन तलाशने में लग गई है तो वहीं कांग्रेस खोई हुई जमीन को पाने में। उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी ने ट्रस्ट के लोगों को प्रधानमंत्री का करीबी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट  से मामले की जांच कराने की मांग की है। मौजूदा हालात में विपक्ष को चाहिए वह राम मंदिर निर्माण मामले में बस चुप ही रहे। उसे बस यह समझ लेना चाहिए कि जहां राम और राम मंदिर का नाम आएगा वहां उसका फायदा भाजपा को मिलेगा।  

जमीनी हकीकत तो यह है कि राम नीति में न तो कभी भाजपा की आस्था रही है न ही राम मंदिर निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वालों की। राम नाम पर तो बस सत्ता हासिल करने का हथियार बनकर रह गया है। राम मंदिर निर्माण में आरोप है कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 10 मिनट पहले खरीदी गयी दो करोड़ की जमीन का रजिस्टर्ड एग्रीमेंट 18. 5 करोड़ रुपये से करा लिया। अरे भाई क्या ये पैसे ये लोग अपनी जमीन बेचकर लाये हैं ? राम भक्तों ने दिया और ये उड़ा रहे हैं। इनके अपने भी तो खर्चे हैं। अरे भाई राम मंदिर निर्माण के लिए 2100 करोड़ का चंदा तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश देने बाद आया है। इससे पहले जमा किये गये चंदे का तो कोई हिसाब ही नहीं। कितना घोटाला करेंगे। लोग तो और चंदा देने को तैयार हैं। बस भगवान राम का मंदिर बन जाए। क्यों समय बर्बाद कर रहे हो। रोजी-रोटी और महंगाई का मुद्दा उठाओ। उनका पैसा, उनके लोग। मंदिर भी वे अपना ही मानते हैं। जब मुद्दा उठाने में सियासत है तभी तो टीवी चैनलों पर एंकर चंदे की रशीद मांग ले रहे हैं।

जमीनी हकीकत यह है कि आज की तारीख में हर राजनीतक दल सत्ता प्राप्त करना चाहता है। जमीनी मुद्दों पर कोई काम करने को तैयार नहीं। उत्त प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी सपा क्या कर रही है ? बसपा क्या कर ही है ? बस हर कोई दल भावनात्मक मुद्दे के सहारे चुनावी वैतरणी पार करना चाहता है। क्या किसी सांसद या विधायक ने सांसदों या विधायकों को मिलने वाली सुविधाओं और पेंशन को मुद्दा बनाया है ? क्या किसी जनप्रतिनिधि ने सांसदों और विधायकों की होने वाली वेतनवृद्धि के खिलाफ आवाज उठाई है ? क्या किसी सांसद और विधायक ने जनप्रतिनिधियों के साथ ही संसद और विधानसभा में होने वाली फिजूलखर्ची को मुद्दा बनाया है ? नहीं न। सभी राजनीतिक दलों को सत्ता दे दो। आज की तारीख में कोई भी राजनीतिक दल या नेता जनता की पीड़ा को समझने को तैयार है। विपक्ष तो पूरे देश में नाकारा है। लोग व्यक्तिगत स्तर पर अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।


सरकार चाहे जिसकी हो, पैर छूने वाला नुस्खा हमेशा काम करता है. अब इन्हीं को देख लीजिए. योगी सरकार की मंत्री जी स्वाति सिंह कानपुर पहुंचीं. वे कानपुर स्थित राजकीय बालगृह का निरीक्षण करने के लिए निकलीं. कार से ज्यों उतरीं त्यों ही राजकीय बालगृह के अधीक्षक बालकृष्ण अवस्थी ने लपक कर मंत्रीजी का पैर छू लिया. अचानक यूं पैर छुए जाने से मंत्री जी भी थोड़ी अचकचाईं लेकिन फिर आगे बढ़ चलीं. मंत्री जी के लाव लश्कर के ईए पीए सिपाही सुरक्षा गार्ड पत्रकारों को मोबाइल बंद रखने के लिए इशारा करते रहे. मंत्री जी के अंदर घुसते ही राजकीय बालगृह का मेन गेट बंद कर दिया गया. उम्मीद है पैर छूने वाले नुस्खे ने काम कर दिया होगा. उम्मीद है कि अधीक्षक महोदय की कुर्सी सलामत रह जाएगी. जै लोकतंत्र. जै जै पांव लागी....

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