सत्य पारीक-
अशोक गहलोत को मीडिया फ्रेंडली मुख्यमंत्री माना जाता है लेकिन इन दिनों वे मीडिया का ही मैनेजमेंट नहीं कर पा रहें हैं क्योंकि वे अपने भगत मीडिया कर्मियों को लाभ के पदों पर सुशोभित कर गैर पत्रकार को अपने प्रचार की कमान सौंप बैठे हैं । इसी कारण मुख्यमंत्री का मीडिया सम्भालने वाला विशेषाधिकारी बदनामी का सबब बन कर घूम रहा है । वैसे जिस लोकेश शर्मा को मीडिया मैनेजमेंट सौंप रखा है उसका मीडिया से दूर दूर का वास्ता नहीं होने से मुख्यमंत्री का टूल बनना स्वीकार किया । जिसे बचाने के लिये मुख्यमंत्री को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अन्डरहैन्ड समझौता करना पड़ा है । वो समझौता जिससे कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है जो भाजपा के पूर्व महापौर के भृष्टाचार से जुड़ा है । यानि मीडिया मैनेजर से राजनीतिक हित साधने के बाद उसका बचाव करना भारी पड़ रहा है ।
लम्बे समय बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली जाकर कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में शिरकत करने पहुंचे । इस बैठक के बाद हुई राहुल गांधी के निवास की बैठक की सही ब्रीफिंग मीडिया को मुख्यमंत्री का मीडिया प्रचार विभाग नहीं कर पाया जो एक सप्ताह से राज्य की कांग्रेस राजनीति में शह-मात का खेल बना हुआ है । इस खेल में सारी गलती मुख्यमंत्री की है जिनसे इतना मैनेज नहीं हुआ कि राहुल गांधी के निवास पर उनकी बैठक में कौन कौन नेता शामिल थे । नाखून जितनी गलती को सुधारने के लिए मुख्यमंत्री ने पहले अपने प्रचारक को मैदान में झोंका । लेकिन उनसे बात नहीं बनी क्योंकि वे अपने बॉस की गलती को सुधारने की योग्यता में शून्य ही हैं ।
मुख्यमंत्री को इस प्रचार से अपनी लोकप्रियता को लेकर एक और बड़ा झटका लगा कि उनसे दिल्ली दौरे में राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर राहूल गांधी से मुलाकात ही नहीं हो पाई । इसे गहलोत विरोधी सचिन पायलट ले उड़े , उन्होंने जमकर इसे प्रचारित करा दिया । इसके बाद एक और राजनीतिक झटका तब लगा जब ताजा ताजा गुजरात कांग्रेस के प्रभारी बने रघु शर्मा ने दिल्ली के राजस्थान हाउस में आयोजित दोपहर के भोजन ने राहुल गांधी को बुलाकर गहलोत के जले पर नमक डाल दिया ।
जले भुने मुख्यमंत्री को मीडिया पर बरसने का अवसर मिला भगवान महाबीर केंसर अस्पताल की स्थापना दिवस पर । गहलोत ने राष्ट्रदूत समाचार पत्र का नाम लेकर बुरा भला मीडिया कर्मियों के सामने जी भरके कहा । जिसे वरिष्ठ पत्रकारों ने गहलोत की खीझ ही माना है । मुख्यमंत्री की सबसे बड़ी राजनीतिक कमजोरी अपने पिछलग्गुओं को राजनीतिक लाभ देना , मन्त्रिमण्डल विस्तार नहीं कर पाना तथा राजनीतिक नियुक्तिया नहीं करने की बेबसी । उनकी बेबसी कांग्रेस के लिए आफत बन चुकी है जो कभी भी बड़ी राजनीतिक अनहोनी घटना को जन्म दे सकती है ।
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