योगी सरकार में भी समाज कल्याण अधिकारी का दबदबा, तीन महीने में मिली दोबारा तैनाती
कई बार लग चुके हैं भ्र्ष्टाचार के आरोप,जांच में पाया गया दोषी
गोंडा में तैनाती के दौरान फर्जी शिक्षक नियुक्ति और कानपुर में सरकारी धन के दुरुपयोग में पाए गए थे दोषी
लखनऊ।
एक तरफ सरकार पोल खोलने वाले कर्मठ अधिकारी को जबरन रिटायर कर देती हैं
वहीं कुछ ऐसे अधिकारी भी है कि वह कितना भी भ्र्ष्टाचार कर ले उनका बाल भी
बांका नहीं हो सकता । योगी सरकार में ऐसे अधिकारियों का दबदबा कायम है।
शादी
अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में
कानपुर में तैनात रहे समाज कल्याण अधिकारी अमरजीत सिंह को तीन महीने के
भीतर फिर से कुर्सी पर बैठा दिया गया। जारी आदेश के अनुसार सिंह को
गाजियाबाद का जिला समाज कल्याण अधिकारी बनाया गया है। जबकि भ्र्ष्टाचार की
जांच चलती रहेगी। सिंह को वित्तीय अनियमितता में दोषी पाया गया था। इसके
पहले भी उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। अमरजीत सिंह जब 2016 में गोंडा
में समाज कल्याण अधिकारी थे, तब वे विभाग द्वारा संचालित राजकीय आश्रम
पद्धति विद्यालय में शिक्षक की फर्जी नियुक्ति मामले में दोषी पाए गए थे।
तत्कालीन उपनिदेशक समाज कल्याण देवीपाटन ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर
कार्रवाई करने की बात कही थी।
हालांकि
उस मामले में अभी तक कार्रवाई नहीं हुई। समाज कल्याण अधिकारी अमरजीत सिंह
ने अपात्र संविदा प्रवक्ता का तो चयन निरस्त कर दिया था लेकिन जिसको भर्ती
किया गया, वह भी अपात्र था। प्रकरण की जांच जब वहां के तत्कालीन जिलाधिकारी
ने कराई तो इनके न तो भर्ती प्रक्रिया के पूरे कागजात दिखाए और न ही
नियुक्ति के। निदेशालय में भी गलत सूचनाएं भेजी गई थीं। तब उपनिदेशक समाज
कल्याण ने अमरजीत सिंह और पटल सहायक को दोषी पाया था।
कानपुर
में समाज कल्याण की शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजनाओं के फर्जीवाड़े
को उजागर किया। इसका संज्ञान जिला प्रशासन अधिकारियों ने लिया। उन्होंने
विभाग की योजनाओं की वास्तविकता जानने के लिए 51 अधिकारियों को जांच सौंपी
थी।
इसमें 2533 अपात्र
मिले थे। इनको 7.26 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया गया था। तीन सदस्यीय
(एडीएम आपूर्ति, सीटीओ, पीडी) जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर समाज
कल्याण अधिकारी अमरजीत सिंह को निलंबित किया गया था।
सत्य प्रकाश भारती
7007545607
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