28.11.21

गैरोला स्मृति सम्मान पर उठे सवाल

अरुण श्रीवास्तव-

 देहरादून। उत्तरांचल प्रेस क्लब ने अपने  डा.पीतांबर दत्त बड़थ्वाल सभागार में एक समारोह आयोजित कर तीन स्थानीय पत्रकारों चांद मोहम्मद मनीष भट्ट और मो. अफजाल अहमद सहित सामाजिक कार्यकर्ता राजीव उनियाल जी को कोरोना से संक्रमित लोगों की मदद करने के लिए " पत्रकार अनूप गैरोला स्मृति सामाजिक सक्रियता सम्मान " से नवाज़ा है। इस सम्मान का इतिहास क्या है, भूगोल क्या है पता नहीं। आसान शब्दों में कब शुरू हुआ, कितनी बार कितनों को दिया गया पता नहीं।


सर्वप्रथम सम्मानित साथियों को बधाई और भविष्य की शुभकामनाएं। पर सवाल उनके जिनके नाम से सम्मान है के मूल पेशे पत्रकारिता पर है और न ही सामाजिक सक्रियता पर। पर यदि सवाल है तो उठेंगे ही और हर किसी को उठाने का हक भी। अब कोई यह कहे कि, जो व्यक्ति इस दुनिया में नहीं है उस पर सवाल उठाना जायज है क्या? तो सवाल तो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर भी उठाये जा रहे हैं और सावरकर की तथाकथित वीरता पर भी। तो अनूप गैरोला पर क्यों नहीं?   

बहरहाल उनके नाम पर यह सम्मान किस आधार पर शुरू किया गया, उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में (रिपोर्टिंग या डेस्क ) कौन सा कीर्तिमान स्थापित किया? सम्मान के साथ सामाजिक सक्रियता भी टिकट पर लिफाफे की तरह चिपका दिया गया। उनकी सामाजिक सक्रियता क्या और कितनी है यह भी शायद ही किसी को पता हो। अनूप गैरोला को उनको राष्ट्रीय सहारा देहरादून में आने के कुछ सप्ताह बाद ही जाना। लगभग आठ-दस साल सहारा में थे, चार-पांच साल तक उनके साथ काम किया। अपने पूरे कार्यकाल  उनका के दौरान वे डेस्क पर ही थे, डेस्क पर रहते उन्होंने कोई कालम नहीं लिखा, कभी किसी विशेष अवसर की कवरेज़ नहीं की, उत्तराखंड की राजधानी यहां  होने के कारण विधानसभा भी है विधानसभा के दर्शन भी लिखने-पढ़ने के लिए नहीं किया और न ही कोई लेख, साक्षात्कार आदि अखबार में प्रकाशित हुए।

गैरोला जी जब तक राष्ट्रीय सहारा में थे डेस्क पर थे और ऑपरेटर से पेज लगवाते थे तब भी जब संपादकीय विभाग में कार्यरत डेस्ककर्मियों के लिए पेज लगाना अनिवार्य कर दिया गया था यही नहीं गैरोला जी ने रिपोर्टर का लिखा कंप्यूटर पर कभी नहीं पढ़ा कुछ समय तक माउस पकड़कर ऑपरेटर से करेक्शन लगवाया बस। यही नहीं पेज लगने के अपने वरिष्ठ सहयोगी दिनेश शास्त्री के पेज भिजवा देते वो बेचारे, 'बेचारे' इसलिए कि उनका काम यह नहीं था वो डाक डेस्क के इंचार्ज थे और गैरोला जी सिटी डेस्क के। उसके बाद ऑपरेटर योगंद्र सिंह बिष्ट पेज देखते, जब फाइनल करते तब पेज छूटता।

बस... इतने के लिए ही उत्तरांचल प्रेस क्लब देहरादून ने उनके नाम पर स्मृति सम्मान शुरू कर दिया जबकि कई उनसे बड़ी-बड़ी हस्तियां रहीं हैं मसलन राधा कृष्ण कुकरेती व चारुचंद चंदोला आदि। हर समारोह में कुकरेती जी को वरिष्ठ पत्रकार के रूप में मंच की शोभा बढ़ाते हम जैसों ने उन्हें देखा है। बिना सरकारी सहयोग के 50 साल तक उन्होंने " नया जमाना " नामक साप्ताहिक निकाला। इस साप्ताहिक के वे संपादक, मुद्रक व प्रकाशक भी थे। चंदोला जी ने कई नामी अखबारों के लिए देहरादून से तब रिपोर्टिंग की जब यहां से एक भी अखबार नहीं छपते थे। उन्होंने चार-चार मुख्यमंत्रियों को कवर किया। यही नहीं यहां से छपने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका युगवाणी के सलाहकार थे। पर...अनूप गैरोला जी क्या थे ?

अरुण श्रीवास्तव
 देहरादून।
8218070103

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