30.12.21

आतंकियों के एंट्री गेट 'तब्लीगी जमात' पर सउदी अरब का प्रहार

विष्णुगुप्त-

सउदी अरब ने आतंक के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है और आतंकवाद की जड़ पर बहुत ही सटीक व कड़ा प्रहार किया है, सउदी अरब की आतंकवाद की जड़ में सटीक और कड़े प्रहार की गूंज पूरी दुनिया में दिखायी देगी, मुस्लिम आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में भी मदद मिलेगी। भारत जैसे देशों को भी राहत मिलेगा। यह अलग बात है कि मुस्लिम दुनिया के कट्टरंपथी इस कार्रवाई के खिलाफ अपने गुस्से जाहिर करेंगे और सउदी अरब की आलोचना भी करने से पीछे नहीं हटेंगे। पर सउदी अरब आगे भी अपनी कार्रवाईयों को विराम नहीं देगा, क्योंकि सउदी अरब के अस्तित्व का प्रश्न है। आतंक अब सउदी अरब को भी अपने आगोश में ले लिया है, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक और लेबनान की तरह ही मुस्लिम आतंकी सउदी अरब को भी अपने आगोश में लेना चाहते हैं और सउदी अरब को हिंसा, अलगाव तथा अराजकता का प्रतीक बनाना चाहते हैं। सउदी अरब किसी भी स्थिति में अब आतंकी मानिकसता से छूटकारा चाहता है, सउदी अरब अपने आप को आतंकियों को सुरक्षित पनाहगार के तौर पर स्थापित नहीं करना चाहता है। ओसामा बिन लादेन के सबक से सउदी अरब ने काफी कुछ सीखा है और यह महसूस किया है कि आतंकी किसी के लिए भी हितैषी नहीं हो सकते हैं। आतंकी मानवता के दुश्मन हैं, इनसे दूर रहना और इनका दमन करना ही सही नीति है।


अब यहां यह प्रश्न उठता है कि सउदी अरब ने आतंक के खिलाफ कौन ही बड़ी कार्रवाइयां की है जिसकी गूंज मुस्लिम दुनिया में खूब हो रही है और आतंकी संगठन खासे परेशान हैं? सउदी अरब ने भारतीय मूल के मुस्लिम संगठन तब्लीगी जमात पर प्रतिबंध लगा दिया है। सउदी अरब ने तब्लीगी जमात की पहचान एक आतंकी संगठन के तौर पर की है। तब्लीगी जमात की सक्रियता सउदी अरब की शांति के लिए खतरनाक बन गयी है। तब्लीगी जमात सउदी नागरिकों के अंदर आतंकवादी मानसिकता का प्रचार-प्रसार कर रही है। तब्लीगी जमात अपनी खतरनाक प्रचार-प्रसार से हिंसा की मानसिकता तैयार कर रही है। इस कारण सउदी अरब में हिंसक घटनाएं भी घट रही है। खासकर युवा वर्ग तब्लीगी जमात की ओर झूक रहे हैं। युवाओं को तत्लीगी जमात जान-बुझ कर निशाना बन रही है। युवाओं को निशाना बनाने के पीछे सीधा मकसद अपना जनाधार तैयार करना और इस्लाम के नाम पर मानव समाज को बंदिशों के अंदर कैद कर देना, इस्लाम के नाम पर मानब बम तैयार करना और मानव बम से तथाकथित इस्लाम विरोधियेां का विध्वंस करना आदि है। तब्लीगी जमात खास कर मस्जिदों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश करती है। मस्जिदों में प्रत्येक शुक्रवार को नमाज के दौरान हिंसक और मनुष्यता विरोधी तकरीरें देने का आरोप तब्लीगी जमात पर है।

तब्लीगी जमात का इतिहास सउदी अरब या किसी मुस्लिम देश से शुरू नही होता है। तब्लीगी जमात का इतिहास भारत से शुरू होता है। अंग्रेजों ने फूट डालों और शासन करो की नीति अपनायी थी। इसी नीति से भारत को लंबे समय से गुलाम रखने में अंग्रेज कामयाब हुए थे। जब कांग्रेस के रूप में स्वतंत्रता आंदोलन तेज हुआ तो फिर अंग्रेजों ने फूट डालों की नीति अपनायी, मुस्लिम आबादी के बीच सांप्रदायिकता की बीज बोयी, तरह-तरह के हिंसक और खतरनाक मुस्लिम संगठन खड़े किये गये। इसी अंग्रेजी नीति के तहत सौ साल पहले यानी कि अंग्रेजी राज के दौरान तब्लीगी जमात का जन्म हुआ था। तब्लीगी जमात की स्थापना करने वाले इलियास कांधलवी थे। इलियास कांधलवी घोर कट्टरपंथी मानसिकता के थे। इलियास कांधलवी का संबंध देवबंद मदरसे थे। जानना यह भी जरूरी है कि देवबंद से ही भारत में इस्लाम का जिहादी स्वरूप सामने आया था। इलियास कांधलवी इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए हिंसक और खतरनाक तकरीरें दिया करते थे और कहा करते थे कि आज न कल पूरी दुनिया को इस्लाम स्वीकार करना ही होगा, आज न कल भारत को इस्लाम के अंदर खड़ा कर दिया जायेगा। इलियास कांधलवी की खतरनाक तकरीरों से तब्लीगी जमात का दायरा बढ़ता ही चला गया। धीरे-धीरे यह मुस्लिम संगठन मुस्लिम देशों में भी फेल गया।

तब्लीगी जमात अपने आप को नागरिक संगठन कहती है, तब्लीगी जमात अपने आप को यह कहती है कि वह सिर्फ इस्लाम का प्रचार-प्रसार करती है, इस्लामिक मूल्यों का पालन करने के लिए मुसलमानों को प्रेरित करती है। मुसलमानों को इस्लामिक मूल्यों के साथ ही जीना चाहिए। पर सच्चाई कुछ और ही है। तब्लीगी जमता सिर्फ इतना भर नहीं कहती है। वह तो इससे आगे भी कहती है, खतरनाक और हिंसक बातें भी करती है। वह कहती है कि इस्लामिक मूल्यों की कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए और कराया जाना चाहिए। इस्लामिक मूल्यों का पालन नहीं करने वालों पर सजा जरूरी है। ऐसे विनाशकारी इस्लामिक बातों का प्रभाव बहुत ही गहरा होता है। फ्रांस में इस्लामिक मूल्यो के खिलाफ बोलने पर शिक्षक की हत्या कर दी जाती है, इस्लामिक मूल्यों के खिलाफ कार्टून बनाने मात्र पर आब्दो पत्रिका के दर्जन भर पत्रकारों को मौत का घाट उतार दिया जाता है। भारत में भी ऐसी घटनाएं घटी हैं। हिन्दू नेता कमलेश तिवारी की भी हत्या इसी मानसिकता से ग्रसित थी।

तब्लीगी जमात जैसे मुस्लिम संगठन सिर्फ और सिर्फ आतंकवादी मुस्लिम संगठनों के लिए ईंधन के तौर पर होते हैं। मुस्लिम आतंकवाद का आधार भी तब्लीगी जमात जैसे संगठन होते हैं। तब्लीगी जमात जैसे संगठन मुस्लिम आतंकवादी संगठनों के लिए जमीन तैयार करते हैं, आतंकवादी बन कर लड़ने वालों आतंकी तैयार करते हैं। तालिबान, अलकायदा, आईएस और बोको हरम जैसे मुस्लिम आतंकवादी संगठनों के लिए लड़ने वाले प्रत्येक आतंकी कभी न कभी तब्लीगी जमात की हिंसक तकरीरों के गुलाम जरूर रहे हैं। यह जगजाहिर है कि तब्लीगी जमात जैेसे मुस्लिम संगठन आतंकवादियों के लिए ढाल भी बन जाते हैं। जब भी पीड़ित सरकारें मुस्लिम आतंकवादी संगठनों पर कड़ाई दिखाती हैं, मानवता का पाठ पढ़ाती हैं, शांति और सदभाव के लिए बाध्य करती हैं तो फिर मुस्लिम संगठन यह प्रचारित कर देते है कि इस्लाम का अपमान किया जा रहा है और इस्लाम का दमन किया जा रहा है। अमेिरका, यूरोप और भारत में जब भी इस्लामिक आतंकवाद के दमन की बात होती है, कड़ी कानूनी कार्रवाई प्रारंभ होती है तो फिर यह प्रचारित किया जाता है कि जान-बुझ कर इस्लाम के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है जबकि आतंकी संगठनों की हिंसक कार्रवाइयों पर पर्दा डालने की भी कोशिशें होती हैं।

कोरोना काल के दौरान तब्लीगी जमात काफी कुचर्चित हुई थी। कोरोना काल के दौरान तब्लीगी जमात ने कोरोना के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रसार के लिए सक्रिय थी। मना करने के बावजूद तब्लीगी जमात ने दिल्ली में अधिवेशन की थी। दुनिया भर से कई हजार लोगों को बुलाया गया था। तब्लीगी जमात के अधिवेशन से कोरोना विस्फोट की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी। पुलिस जब कार्रवाई करने गयी थी तब तब्लीगी जमात ने हिंसक स्वरूप दिखायी थी। पुलिस के साथ उलझना और सरकार को भय दिखाने जैसे इसने काम किये थे। किसी तरह सरकार ने तब्लीगी जमात के कब्जे से मस्जिद छुड़ायी थी। फिर भी तब्लीगी जमात के लोग देश भर में फेल गये थे। जब पुलिस उन्हें पकड़ कर कोरोना जांच के लिए ले जाती थी या अस्पतालों में भर्ती कराती थी तब तब्लीगी जमात के लोग पुलिस और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों पर हमले कर देते थे। पुलिस और स्वास्थ्यकर्मियों पर ये थूकने का काम करते थे। भारत में जो कोरोना का विस्फोट हुआ था उसके पीछे एक बड़ा कारण तब्लीगी जमात की कारस्तानी भी थी। भारत में तब्लीगी जमात के विदेशी सदस्यों पर उनके गुनाहों को लेकर बड़ी संख्या में मुकदमे भी दर्ज किये थे। तब्लीगी जमात का मुख्य सरगना को आज भी दिल्ली पुलिस खोज रही है।

इस्लाम के नाम पर कभी सउदी अरब ने मुस्लिम आतंकवादी संगठनों और आतंकवादियों को खूब संरक्षण दिया था। ओसामा बिन लादेन जैसा आतंकवादी भी सउदी अरब का नागरिक ही था। इसके अलावा सउदी अरब ने मुंबई विस्फोट कांड के अभियुक्तों को लंबे समय तक पनाह दिया था। माफिया डाॅन इब्राहिम काफी समय तक सउदी अरब में रहा था। इसके अलावा भारत के कई आतंकवादी भी सउदी अरब में शरण ले रखे थे। पर अमेरिकी वल्र्ड टरेड सेंटर पर हुए हमले के बाद से सउदी अरब की नीति बदल गयी। सउदी अरब ने तय किया कि आतंकी उसके हितैषी नहीं हो सकते हैं, आतंकियों से उसकी अर्थव्यवस्था मजबूत नहीं होगी, अराजकता और हिंसा ही पसरेगी। इसलिए सउदी अरब ने आतंकियों को संरक्षण देने की नीति त्याग दी। सउदी अरब ने दर्जनों मुस्लिम आतंकवादियों को पकड़ कर भारत को सौंपा है।

सउदी अरब ने भारत को आईना दिखाया है। सउदी अरब ने भारतीय मूल के मुस्लिम संगठन तब्लीगी जमात को प्रतिबंधित कर एक कड़ा संदेश भी दिया है। सउदी अरब में ही नहीं बल्कि भारत में भी तब्लीगी जमात की गतिविधियां सामान्य नहीं हैं, बल्कि उसकी गतिविधियां खतरनाक और हिंसक है। इसलिए तब्लीगी जमात पर भारत में भी प्रतिबंध लगना चाहिए।

लेखक विष्णुगुप्त दक्षिणपंथी विचारधारा के चिंतक हैं.
संपर्क- 9315206123

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