27.10.22

6 गुणा अधिक प्रदूषित हुई काशी की आबोहवा

 



जम कर फूटे पटाखों ने फिर बिगाड़ी बनारस की आबोहवा, एक बार फिर जुमला साबित हुआ ग्रीन पटाखा

इंग्लिशिया लाइन, पांडेयपुर, सारनाथ, लहुराबीर बने गैस चेंबर, महमूरगंज और सिगरा रहे तुलनात्मक रूप से साफ़

क्लाइमेट एजेंडा की ओर से हर वर्ष की तरह सातवीं बार इस वर्ष भी दिवाली पर वाराणसी में वायु प्रदूषण की एक विस्तृत रिपोर्ट आज 26 अक्टूबर 2022 को दिन में 1 बजे जारी की गयी. इस रिपोर्ट के अनुसार, बनारस में ग्रीन पटाखे और जिला प्रशासन की ओर से हुई अपील इस बार पुनः बेअसर साबित हुई. कोविड 19 के साथ साथ अन्य श्वसन सम्बन्धी संक्रमण के खतरों के मद्देनजर, बनारस में वायु गुणवत्ता ठीक रखने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष के लिए जारी NGT के दिशा निर्देशों की खुल कर अवहेलना हुई और जिला प्रशासन हर वर्ष की तरह इस बार भी मूकदर्शक बना रहा. रात्री दस बजे के बाद पूर्ण रूप से पटाखा प्रतिबन्ध के लिए जारी आदेश को ताक पर रखते हुए काशीवासियों ने जहां एक तरफ जम कर पटाखे बजाये, वहीं दूसरी ओर इन पटाखों से शहर में पी  एम 2.5, पी एम 10 और वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू एच ओ) , दोनों के ही मानकों की तुलना में काफी खराब हो गया.


प्राप्त आंकड़ों से यह साफ़ जाहिर है कि न केवल बच्चे, बूढ़े बल्कि कोविड समेत अन्य संक्रामक बीमारियों से कमजोर हो चुके फेफड़ों की चिंता से मुक्त हो कर काशीवासियों ने अपने शहर को एक गैस चेंबर में तब्दील कर दिया.

शहर के 11 विभिन्न इलाकों में वायु गुणवत्ता जांच की मशीने लगा कर दिवाली की अगली सुबह 3 बजे से 8 बजे तक यह आंकड़े एकत्र किये गए. प्राप्त आंकड़ों के बारे में मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया “शहर में पी एम 10 मुख्य प्रदूषक तत्व रहा. इंगलिशिया लाइन, पांडेयपुर और आशापुर सबसे अधिक प्रदूषित रहा जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक विश्व स्वास्थ्य संगठन की तुलना में 6 गुणा अधिक प्रदूषित रहा जबकि भारत सरकार द्वारा घोषित मानकों की तुलना में उपरोक्त तीनों स्थान तीन गुणा अधिक प्रदूषित पाए गये. लहुराबीर, आशापुर और मैदागिन क्षेत्र भी कमोबेश एक जैसे ही पाए गये जहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक डब्लू एच ओ के मानकों की तुलना में लगभग 5 गुणा अधिक प्रदूषित रहा जबकि भारत सरकार के मानकों की तुलना में 2.5 गुणा अधिक प्रदूषित रहा.

ज्ञात हो कि डब्ल्यू एच ओ के मानको के अनुसार जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 45 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से ऊपर जाए तो हवा को प्रदूषित मानते हैं, जबकि भारत सरकार के द्वारा तय मानकों के अनुसार जब यह आंकड़ा 100 के पार पहुंचे तब शहर को प्रदूषित माना जाता है. लम्बे समय से डब्ल्यू एच ओ का यह आग्रह है कि वैश्विक स्तर पर जन स्वास्थय सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सभी देश उनके द्वारा घोषित मानदंड का ही अनुपालन सुनिश्चित करें.

कोविड संक्रमण के कारण पहले से ही लाखों लोगों के कमजोर हो चुके फेफड़ों समेत बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों व पहले से ही अन्य किसी बीमारियों से ग्रषित व्यक्तियों के समक्ष आसन्न खतरों के बारे में एकता शेखर ने कहा “विभिन्न राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा जारी अध्ययनों के अनुसार हवा में बढ़ते हुए प्रदूषण से उपरोक्त सभी किस्म के व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. इन्ही अध्ययनों का संज्ञान लेते हुए माननीय राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने अत्यधिक प्रदूषित हवा वाले शहरों में पटाखे के क्रय विक्रय पर कुछ शर्तों के आधार पर  प्रतिबन्ध लगाने का आदेश जारी किया था. इसके अनुपालन की जिम्मेदारी राज्य शासन ने सम्बंधित जिला प्रशासनों को दी थी लेकिन उक्त आदेश की अवहेलना करने वालों के सामने जिला प्रशासन बौना साबित हुआ. इससे न केवल शहर की आबोहवा खराब हुई, बल्कि श्वांस संबंधी रोगों का उपचार कराने वाले सहित अन्य बच्चे, बूढ़े व कोविड 19 के शिकार रह चुके व्यक्तियों के सामने बारम्बार यह विकट परिस्थिति पैदा हुई है. प्रशासन ने जिम्मेदारी का परिचय दिया होता, तो ऐसा होने से रोका जा सकता था.”

हालांकि, दिवाली के समय खराब हुई आबोहवा के लिये पटाखों के साथ साथ शहर की बेहद खराब कचरा प्रबंधन व्यवस्था भी जिम्मेदार है. शहर के विभिन्न इलाकों में दिवाली के समय हुई घरों की साफ़ सफाई के बाद कचरे का जलाया जाना भी वायु प्रदूषण को काफी हद तक बढाता है. क्लाइमेट एजेंडा ने हमेशा यह स्पष्ट करने की कोशिश की है कि प्रदूषण नियंत्रण किसी एक विभाग की जिम्मेदारी नहीं हो सकती, बल्कि नगर निगम, परिवहन, पी डब्ल्यू डी समेत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और आम नागरिकों को अपनी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने से ही प्रदूषण नियंत्रण संभव हो सकेगा.

Kashi reeled under severe air pollution during Diwali, Claims Report released by the Climate Agenda

Crackers badly Impacted city’s air quality, Kashi found to be 6 times more polluted as per WHO

Englishiya Line, Pandeypur, Sarnath, Lahurabir became Gas Chambers, Mahmoorganj and Sigra remained relatively better.

Climate Agenda Monitored 11 locations, Crackers along with Poor Waste Management Infrastructure Made it Worse


For the 7th consecutive year, The Climate Agenda has released a post Diwali Air Quality report on Varanasi air on Wednesday, 26th October 2022. The report finds out that the NGT’s order for a post 10 PM blanket ban and other conditions on fire crackers in Varanasi were clearly violated, which resulted into city air plummeting to severe levels. The order for a conditional ban on fire crackers was aimed to protect the health of children, senior citizens and all COPD patients as well as to protect the natural air. People who suffered Covid 19 were also on risk and hence the NGT had advised the cities having air quality issues to stay away from the deadly fire crackers, as there are studies saying that the poor air quality may hamper recovery of Covid 19 and other COPD patients in the locality and it may also hike the number of such patients during the festivities.

According to the report, Englishiya Line, Pandeypur, Sarnath, Lahurabir became Gas Chambers for the city where PM 10, PM 2.5 and the overall Air Quality Index (AQI) remained the most polluted. The AQI at the above-mentioned localities remained 6 times higher than the WHO permissible limits. While PM 10 remained the most pollutant material, it also suggests that the poor waste management infrastructure and bumpy-dusty roads have also contributed to the plummeting air quality.  

Speaking about the ill effects of such air quality, Director of the Climate Agenda, Ekta Shekhar Said “There have been reports worldwide which claim that the poor ambient air quality has an adverse impact on children and the senior citizens, irrespective of their health status. Apart from that, such air quality also impacts the existing or cured patients of COPD and Covid 19 as their lungs are already compromised. It also challenges the COPD recovery chances and increases the risk of higher number of such cases. Taking this into account, the honorable NGT had passed an order for a post 10 PM blanket ban on fire crackers in some cities including Varanasi. Its disappointing to see that the administration of the Prime Minister’s constituency failed miserably in effectively implementing the NGT’s order.’’ “Along with existing Covid 19 cases, this failure in implementing blanket ban on crackers will have serious health repercussion on children and senior citizens as well.  The situation could have been prevented, if the administration behaved responsibly”, she added.

Issued By

Saniya Anwar,

The Climate Agenda, Uttar Pradesh.

Press Release

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