2.1.23

 कितना गिर गया पत्रकारिता का स्तर


भरतपुर । समाज की सेवा तथा समाज और सरकार के बीच सेतु का काम करने वाली पत्रकारिता का स्तर इतना गिर जाएगा शायद ही कभी किसी ने सोचा होगा । जब पत्रकार सड़क पर अपने कंधे पर थैला लटका कर और जेब में कलम लगाकर निकलता था तब लोग उन्हें सलाम करते थे और उनसे अपनी पीड़ा बयां कर मलहम लगाने की आस करते थे । पत्रकार भी उन्हें पूरा सम्मान देते और उनकी समस्या को अपनी कलम के माध्यम से  सरकार तक पहुंचाने में महत्ती भूमिका निभाते थे  ।


उस जमाने में पत्रकार की कलम से कागज पर उकेरे गए शब्द प्रशासन व सरकार पर इस कदर छाप छोड़ते थे कि तुरंत ही पत्रकार द्वारा लिखी गई खबर पर एक्शन हो जाता था और पीड़ितों को राहत प्रदान की जाती थी ।

पत्रकार का आम जनता के साथ पुलिस के अधिकारी , प्रशासन के अधिकारी, सरकार के मंत्री, विधायक, सांसद सहित सभी जनप्रतिनिधि आदर के साथ सम्मान करते थे । पत्रकार जब उनके कार्यालय पर खबर लेने जाते तो खड़े होकर वह उनका अभिवादन करते और  इज्जत के साथ कुर्सी पर बैठाकर पत्रकार की कार्य कुशलता का परिचायक बनते थे । एक साप्ताहिक अखबार हो या पाक्षिक या फिर दैनिक सभी समाचार पत्रों से जुड़े पत्रकारों का समान आदर भाव किया जाता था ।

 उस समय की पत्रकारिता में सबसे ज्यादा खासियत यह थी कि जूनियर पत्रकार अपने सीनियर पत्रकार का मान सम्मान करते थे । चाहे वह छोटे अखबार का हो या बड़े अखबार का । अपने सहयोगी पत्रकार साथियों का भी पत्रकार विपत्ति के समय सहयोग करने के लिए हमेशा आगे रहते थे और उसे अपने बराबर में लाकर फिर से खड़ा कर देते थे लेकिन समय का अब बदलाव आ गया है ।

पहले तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने पत्रकारिता की हवा निकाल दी और फिर जब से सोशल मीडिया आया है तब से तो हवा तो क्या पूरा की पूरा पहिया बस्ट हो गया ।  वर्तमान में कुकुरमुत्ता की तरह से पत्रकारों की बाढ़ सी आ  गई है । हर गली मोहल्ले में एक दो पत्रकार मिल जाएंगे जिनके पास मोबाइल है और वह खबर सच्ची है या झूठी बनाकर सोशल मीडिया पर प्रसारित कर सरकार प्रशासन और आम जनता के बीच अपनी पैठ बनाने की कोशिश करते हैं पहले जहां पत्रकारों का प्रशासन सम्मान करता था वही अब इन मोबाइल रूपी पत्रकारों की वजह से असल पत्रकारों का भी वजूद खो गया है ।  प्रशासन के अधिकारी और  सरकार के नुमाइंदे असल पत्रकारों को भी इन्ही मोबाइल रूपी पत्रकार की तरह का पत्रकार मानते हैं । जहां पहले अधिकारी पत्रकार को सलाम करते थे लेकिन अब यह मोबाइल धारी बहरूपिया पत्रकार प्रशासनिक अधिकारियों को सम्मान में अभिवादन कर अपने पत्रकारिता के स्तर को गिरा कर असल पत्रकारों की इज्जत को पूरी तरह से दांव पर लगा चुके हैं ।।कहने सुनने वाला कोई नहीं है ।

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि पत्रकारों के लिए सरकार द्वारा संचालित सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा भी ऐसे ही मोबाइल धारी पत्रकार को सम्मान देकर उन्हें अपनी लिस्ट में शामिल करते हैं और उन्हीं की बदौलत अपने कार्यालय को चलाते हैं जबकि इनका दायित्व बनता है कि पत्रकारों के असल व नकल चेहरे को सरकार व प्रशासन के सामने प्रस्तुत करें लेकिन वह भी अपनी ड्यूटी को पूरी तरह से नहीं निभा रहे हैं । सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने का इन पत्रकारों का सबसे पहले उद्देश्य रहता है ।

देश के चौथे स्तंभ के रूप में माने जाने वाली पत्रकारिता के स्तर में कब सुधार आएगा और कब पूर्व की भांति पीत पत्रकारिता जीवित होगी इसका बेसब्री से इंतजार है । या फिर सरकार कोई फिर से पत्रकारिता के नियम कायदे बनाए जिससे कि वास्तविक पत्रकारों की पत्रकारिता जिंदा रह सके ।
 
शिवकुमार वशिष्ठ
पत्रकार, भरतपुर

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