सेवा में,
श्रीमान यशवंत सिंह जी,
सम्पादक
भडा़स मीडिया न्यूज
महोदय,
अवगत कराना है कि दैनिक पंजाब केसरी कानपुर मण्डल के मैनेजर व
डैस्क इंचार्ज रामु मिश्रा, प्रतिष्ठित संस्थान पंजाब केसरी दिल्ली,(द
हिन्द समाचार लि०) और उसके स्व० डायरैक्टर अश्वनी कुमार द्वारा बनाये गये
नियमों को ताख पर रखकर सिर्फ अपनी मनमानी पर उतारू हैं, गौरतलब है कि
संस्थान के नियम के मुताबिक किसी शहर में रिपोर्टिंग से जुड़े व्यक्ति को
न्यूज एजेंसी देकर उसे रिपोर्टर बनाया जाता है, जबकि न्यूज एजेंसी लेने के
लिये संस्थान द्वारा उस व्यक्ति से 20, 25,30,50 और 100 paper copy की
सप्लाई का तीन रुपये पर कापी के हिसाब से एक महीने का एडवांस (सिक्योरिटी)
के तौर पर लिया जाता है और इसके बाद संस्थान द्वारा देहली से कानपुर तक
ट्रेन के जरिये पेपर की सप्लाई के बंडल, जबकि बाकी सिर्फ जिला मुख्यालयों
पर कानपुर पेपर एजेंसी होल्डर अपने हाकरों के जरिये बसों से पेपर की सप्लाई
न्यूज एजेंसियों तक पहुंचाने का काम करते हैं, जबकि बसों से न्यूज एजेंसी
तक पेपर सप्लाई पहुंचने के टाईम की कोई गारंटी नहीं होती है और कभी कभी तो
सप्लाई शाम को या दूसरे दिन पहुंचती रही है, जबकि महीना पूरा होने के बाद
संस्थान रिपोर्टर को भेजी हुई कापियों की सप्लाई के भुगतान का न्यूज एजेंसी
के नाम बिल भेजता है और हर न्यूज़ एजेंसी के रिपोर्टर को संस्थान में अगले
महीने की 15 तारीख तक भेजे हुये बिल का भुगतान जमा करना होता है, हालांकि
भुगतान न भेजने पर संस्थान उस न्यूज एजेंसी की सप्लाई बंद कर देता है। जबकि
रामु मिश्रा अपने स्तर से कानपुर मण्डल से जुड़े रिपोटर्स से संस्थान के
नाम 20 हजार रुपये की स्क्योरिटि का ड्राफ्ट जमा करवाते हैं, साथ ही हर
महीने 100 कापी पेपर सप्लाई का एडवांस भुगतान भी आन लाइन जमा करवाते हैं,
साथ ही एक से तीन फुल पेज डिजाइन किया तैय्यार विज्ञापन का एडवांस भुगतान
जीएसटी के साथ मांगते हैं,जबकि रिपोर्टर्स से एडवांस भुगतान के साथ
विज्ञापन न मिलने पर रामु मिश्रा उस रिपोर्टर की खबरें लगाना बंद कर देते
हैं। जबकि किसी भी रिपोर्टर की पहचान सिर्फ उसकी ख़बरों से ही होती है और
जब रिपोर्टर की खबरें ही समाचार पत्र में नहीं लगेगीं तो उसको विज्ञापन कौन
और क्यों ? वो भी एडवांस भुगतान के साथ देगा, ये सोचने की बात है। जबकि हर
समाचार पत्र अपने रिपोर्टर को 1 जनवरी से 31 दिसम्बर तक का अथारिटी लैटर
जारी करता है और साल खत्म होने पर उसी अथारिटी को अगले नये साल के लिये
कान्टिन्यू कर देता है, जबकि अब सरकारी विज्ञापन भी सूचना विभाग के जरिये
ही किसी भी समाचार पत्र के रिपोर्टर को काफी पैरवी करने के बाद दिये जाते
हैं, लेकिन जब समाचार पत्र के रिपोर्टर की अथारिटी ही सूचना विभाग में नहीं
जमा होगी तो उसे सरकारी विज्ञापन भी नही दिया जाता है। जबकि रामु मिश्रा
जी सर्कुलेटेड और क्षेत्रीय पेपर अमर उजाला, दैनिक जागरण सहित हिन्दुस्तान
से कम्पटीशन करते हैं, जबकि इन क्षेत्रिय पेपरों की सप्लाई इनमें अटैच जीप
के जरिये सुबह तीन बजे गांव-गांव तक पहुंच जाती है, साथ ही इन समाचार
पत्रों में हर जनपद को दो पेज का स्पेस दिया जाता है साथ ही इनमें भेजे
जाने वाली खबरों का टाईम रात आठ नौ बजे तक रहता है, साथ ही सुविधाओं के नाम
पर आफिस के किराये के साथ ही ब्यूरो चीफ और स्टाफ की तन्खा से लेकर
इंटरनेट और इलैक्ट्रिक सिटी के बिल का खर्चा संस्थान ही वहन करता है, जबकि
26 जनवरी से लेकर 15 अगस्त तक का सारा विज्ञापन ब्यूरो चीफ की क्रेडिट पर
छपता है और बाद में छपे हुये विज्ञापन का सारा पेमेंट वसूल कर संस्थान को
भेजने की जिम्मेदारी हर ब्यूरो चीफ की होती है, जो उनके ब्यूरो पूरी
इमानदारी के साथ निभाते हैं। जबकि रामु मिश्रा का कहना है कि पंजाब केसरी
को हमारी जरूरत नहीं है, हमें पंजाब केसरी की जरूरत है। इसलिये इनकी ही
शर्तो पर काम करना पड़ेगा। जबकि सही मायने में प्रतिष्ठित समाचार पत्र
पंजाब केसरी दिल्ली कभी इस तरह की कोई बात नहीं कहता है।
गौरतलब
है कि मैं दैनिक पंजाब केसरी दिल्ली में जनपद हमीरपुर ब्यूरो चीफ के पद पर
संस्थान के डायरैक्टर अश्वनी कुमार जी के मौजूद रहते हुये 2011 से (जावेद
न्यूज एजेंसी) के नाम से 20 कापी की सप्लाई लेकर रिपोर्टिंग का काम करता आ
रहा हुं, बिजनेस के तौर पर मैंने संस्थान को विधुत विभाग के टैंडर (सरकारी
विज्ञापन) बड़ी तादाद में दिये है, साथ ही संस्थान मुझे पांच हजार रुपये
बतौर मानदेय भी देता रहा है, और पत्रकारिता को अंजाम देने में मुझे कभी
किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन जब से मुझे कानपुर
मण्डल के मैनेजर रामु मिश्रा जी के साथ जोड़ा गया है, तब से रामु मिश्रा जी
की मनमानी के चलते मुझे रिपोर्टिंग करना मुश्किल हो गया है। अब चूंकि हर
पुराने रिपोर्टर को सीधे संस्थान की जगह उसके सम्बंधित मण्डल से जुड़ कर
काम करने के निर्देश दिये गये है, इसलिये रिपोर्टर की मजबूरी हो गई है कि
वो अब पहले की तरह सीधे तौर पर संस्थान से जुड़ कर रिपोर्टिंग टं नहीं कर
सकता है। जबकि 27 मई 2019 को रामु मिश्रा जी के कहने पर मेरे द्वारा
20,000/- रुपये का इलाहाबाद बैंक हमीरपुर से दैनिक पंजाब केसरी के नाम
बनवाया गया ड्राफ्ट नम्बर 581232 भी श्री मिश्रा जी को दिया जा चुका है।
ड्राफ्ट देने के बाद कुछ दिन तक तो मेरी खबरें श्री मिश्रा ने लगाई, जबकि
इसके बाद लगाना बंद कर दी,मेरे कई बार कहने के बावजूद श्री मिश्रा ने मेरी
खबरें नहीं लगाई, तो मैंने श्री मिश्रा को खबरें भेजना बंद कर दिया। जबकि
मेरा बीस हजार रुपये का बैंक ड्राफ्ट आज भी इनके पास जमा है, साथ ही बैंक
ड्राफ्ट मिलने के बाद श्री मिश्रा ने मेरे बहुत कहने के बाद 26 अगस्त 2019
से 25 नवंबर 2019 तक करीब तीन महीने की वैलिडिटी का अथारिटी लैटर जारी किया
था, और अब जब जब मैं श्री मिश्रा से अपनी खबरें लगाने की बात करता हूं,
तो इनके पास एक ही जवाब होता है कि, पहले एडवांस भुगतान के साथ विज्ञापन
भेजये, तभी लगेंगी ख़बरें। जबकि ये नियम सिर्फ रामु मिश्रा के बनाये हुये
है, बाकी पूरे भारत के किसी समाचार पत्र में ऐसे नियम नहीं लागू है। जबकि
रामु मिश्रा अपने रिपोर्टर को कोई मानदेय और सुविधा भी नहीं देते हैं, आफिस
से लेकर रिपोर्टिंग पर आने वाला सारा खर्चा रिपोर्टर को अपनी ही जेब से
उठाना होता है।
अतः
आपसे अनुरोध है कि भडा़स मीडिया पर भेजे मेरे इस संदेश को प्रकाशित करने का
कष्ट करें, ताकि प्रतिष्ठत संस्थान के नाम पर रामु मिश्रा द्वारा ठगे जा
रहे कलमकारों की पीढा़ उजागर हो सके और रामु मिश्रा की मनमानी पर रोक लग
सके।
धन्यवाद
दिनांक आपका
24--1--2023. सैय्यद जावेद अख्तर (पत्रकार)
किंग रोड, हमीरपुर (उप्र)
मो० 8004369331
संलग्नक ---
1.
2012, 2013, 2014 की पेपर सप्लाई के संस्थान द्वारा भेजे गये बिल, एजेंसी
द्वारा ड्राफ्ट के माध्यम से संस्थान को भे़जे गये भुगतान।
2. संस्थान द्वारा मुझे भेजा गया 5000/- के मानदेय का चैक।
3. 2019 में कानपुर मण्डल के मैनेजर रामु मिश्रा से जुड़ने के बाद मुझे दिया गया तीन महीने का अथारिटी लैटर।
You have written very well here, I have also written boy names in Hindi like yours.
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