छत्तीसगढ़ राज्य में बीजापुर ज़िले के अंतिम छोड़ में मौजूद है तारलागुड़ा गाँव , जो की तेलंगाना राज्य के सीमा से लगता है । हमारी टीम को खबर मिली थी की , तारलागुड़ा गाँव से लगे गोदावरी नदी पर रेत तस्करों की बुरी नजर लग चुकी है । जहां से प्रति दिन सैकडो ट्रक अवैध रेत उत्खनन हों रहा है । रेत माफियायो ने शासन - प्रशासन को अपनी मुट्ठी में कर , प्रतिदिन गोदावरी नदी के घाट लाखों टन रेत उत्खनन कर पड़ोसी राज्य तेलंगाना भेजा जा रहा है ।
हमारी टीम रेती तस्करी की इस खबर की पड़ताल के लिए बीजापुर जिले के अंतिम छोड़ में नक्सल प्रभावित इलाका में मौजूद तारलागुड़ा गांव पहुँचे , जहां से हमे अब गोदावरी नदी के घाट तक जाना था । जो की आसान नहीं था ,क्यूकी रेत माफियाओ के गुर्गे उस मार्ग के चप्पे - चप्पे पर मौजूद थे । हमारी टीम ने मुख्य मार्ग से लगभग पाँच किमी की सफर अपनी गाड़ी में तय किए । तदपश्चात बाकी दूरी धुलभरी जंगलों को पैदल पार कर हुई । गोदावरी नदी के घाट पर हमने देखा की लगभग सौ से अधिक चौदह चक्के वाली ट्रक और तीन विशाल पोखलेन मशीन से रेत का उत्खनन और परिवहन हो रहा है । गोदावरी नदी के किनारे अस्थाई खदान बनाकर यह पूरा खेल चल रहा है । रोकने टोकने वाला कोई नहीं है । ऐसा लग रहा था कि माइनिंग विभाग और पूरा प्रशासनिक अमला इस खेल में शामिल है , लूट के इस खेल में सबकी मौन सहमति है ।यह दृश्य बेहद चिन्ताजनक थी कि गोदावरी नदी के सीने को निर्मामता से काटा जा रहा है और आंध्र प्रदेश के नंबर प्लेटो वाली गाड़िया इसे रौंध रहे है ।
प्रतिदिन हो रहा है एक करोड़ रुपये से अधिक की रेती तस्करी
स्थानीय ग्रामीणों ने कैमरे के सामने न आने के शर्त पर बताया की सत्रह हज़ार रुपये में एक ट्रक रेत भरा जाता है , जो की हैदराबाद में जाकर एक लाख रुपये से अधिक में बिकता है । प्रतिदिन सौ से अधिक ट्रकों में रेत परिवहन होता है । जिसकी कुल कीमत एक करोड़ रुपये से अधिक है ।
इस मामले में पूरा प्रशासनिक अमला , जनप्रतिनिधि सब ख़ामोश है । माइनिंग विभाग , पुलिस विभाग फारेस्ट विभाग सब मौन है । रेत तस्करों ने बाक़ायदा रेत परिवहन करने और उसकी वजन नापने के लिए धर्मकाटा बनवा रखा है । जिस मार्ग से यह अवैध रेत की तस्करी की जाती है उस मार्ग पर पुलिस और वन विभाग के नाके भी है मौजूद है । वावजूद यह खेल बेधड़क चल रहा है ।
यह खदान अवैध क्यों है
छत्तीसगढ़ सरकार ने नया नियम लागू किया है , जिसके तहत अनुसूचित क्षेत्र के रेत खदानों का संचालन अब ग्राम पंचायत ही करेगा और उन खदानों में अब ठेकेदारों के लिए निविदा नहीं बुलाई जाएगी । यहाँ एक राज्य के खनिज संसाधनों को अन्य राज्य ले जाने के लिए आवश्यक वैधानिक दिशानिर्देशों का भी पालन नहीं किया जा रहा । उक्त खदान से रेत उत्खनन के लिए पर्यावरण विभाग से एनओसी भी नहीं ली गई है । सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह पूरा क्षेत्र बारग्रस्त क्षेत्र है और इन क्षेत्रों के नदियों से उत्खनन ग़ैरक़ानूनी है ।
हमारे द्वारा इस खबर के कवरेज के बाद रेत माफियाओ द्वारा अब तारलागुड़ा के उक्त खदान को बंद कर दिया गया है और अब नये भद्रकाली नामक खदान से तस्करी की जा रही है ।
Santosh tiwari
skt.bjr3672@gmail.com
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