गूगल की एक नई शुरुआत.....
अगर गूगल का ये सपना सच हो जाता है तो दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर आप इंटरनेट के ज़रिए प्रमुख विश्वविद्यालयों में हो रहे शोध पर जानकारी एकत्र कर पाएँगे.
गूगल ने चार प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है जिसके अंतरगत उनकी किताबों का संग्रह ऑनलाइन उपलब्ध होगा.
इनमें ऑक्सफ़ोर्ड, हारवर्ड, मिशिगन विश्वविद्यालयों के साथ-साथ न्यूयॉर्क सार्वजनिक पुस्तकालय शामिल हैं.
ऐसा करने के लिए गूगल को पहले लाखों क़ागज़ों को 'स्कैन' करना होगा और उन्हें 'डिजिटल फ़ाईल' में बदलना होगा. फिर इस सामग्री को इंटरनेट पर उपलब्ध कराया जाएगा.
गूगल का कहना है कि उसने एक नई तकनीक तैयार की है जिससे ये काम सस्ते में, जल्द और आसानी से किया जा सकेगा.
इस तकनीक से असली दस्तावेज़ ख़राब भी नहीं होंगे. हालांकि गूगल ने इस तकनीक के बारे में और जानकारी नहीं दी है.
उदाहरण के तौर पर ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय की बोडलेन पुस्तकालय में 19वीं सदी में लिखी गई किताबों को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा.
इनमें कई ऐसी किताबें भी हैं जिनकी सिर्फ़ एक ही प्रति बची है और वो बाज़ार में उपलब्ध नहीं है.
गूगल का कहना है कि इस नई योजना से उसे कोई आर्थिक फ़ायदा नहीं होगा. उसका उद्देश्य सिर्फ़ जानकारी और ज्ञान को आसानी से सब तक पहुँचाना है.
मगर इन पुस्तकालयों में रखी गई किताबों के लेखक और उनके प्रकाशकों को इसके व्यापारिक फ़ायदे ज़रूर होंगे.
गूगल की वेबसाईट पर किताबें बेचने वाली कंपनियों के कई विज्ञापन भी नज़र आते है, उनकी बिक्री पर भी इस क़दम का अच्छा असर हो सकता है.
अगर गूगल का ये सपना सच हो जाता है तो दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर आप इंटरनेट के ज़रिए प्रमुख विश्वविद्यालयों में हो रहे शोध पर जानकारी एकत्र कर पाएँगे.
गूगल ने चार प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है जिसके अंतरगत उनकी किताबों का संग्रह ऑनलाइन उपलब्ध होगा.
इनमें ऑक्सफ़ोर्ड, हारवर्ड, मिशिगन विश्वविद्यालयों के साथ-साथ न्यूयॉर्क सार्वजनिक पुस्तकालय शामिल हैं.
ऐसा करने के लिए गूगल को पहले लाखों क़ागज़ों को 'स्कैन' करना होगा और उन्हें 'डिजिटल फ़ाईल' में बदलना होगा. फिर इस सामग्री को इंटरनेट पर उपलब्ध कराया जाएगा.
गूगल का कहना है कि उसने एक नई तकनीक तैयार की है जिससे ये काम सस्ते में, जल्द और आसानी से किया जा सकेगा.
इस तकनीक से असली दस्तावेज़ ख़राब भी नहीं होंगे. हालांकि गूगल ने इस तकनीक के बारे में और जानकारी नहीं दी है.
उदाहरण के तौर पर ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय की बोडलेन पुस्तकालय में 19वीं सदी में लिखी गई किताबों को ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा.
इनमें कई ऐसी किताबें भी हैं जिनकी सिर्फ़ एक ही प्रति बची है और वो बाज़ार में उपलब्ध नहीं है.
गूगल का कहना है कि इस नई योजना से उसे कोई आर्थिक फ़ायदा नहीं होगा. उसका उद्देश्य सिर्फ़ जानकारी और ज्ञान को आसानी से सब तक पहुँचाना है.
मगर इन पुस्तकालयों में रखी गई किताबों के लेखक और उनके प्रकाशकों को इसके व्यापारिक फ़ायदे ज़रूर होंगे.
गूगल की वेबसाईट पर किताबें बेचने वाली कंपनियों के कई विज्ञापन भी नज़र आते है, उनकी बिक्री पर भी इस क़दम का अच्छा असर हो सकता है.
इतना ही नहीं है, यह कार्य भारतीय वाड़्मय के सन्दर्भ में भी हो रहा है। इस पर पूरी पोस्ट के लिए यहां~ देख सकते हैं--- http://blog.360.yahoo.com/blog-Lio3gFY6bacEj2CzNoysKv6H.Og-?cq=1&p=397
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