कई लोगो से तारीफ़ सुनने के बाद मैने व अन्य ने अपनी टीम को एक तथाकथित
रूप से उम्दा समझे जाने वाले रेस्टौरेण्ट में खाने पर ले
जाने की तजवीज़ की। मेरी शादी, एक दोस्त की बेटी होने की,
और एक अन्य साथी को अपने जनम्दिन की पार्टी देनी थी।
इरादा हुआ कि रैडिसन ग्रुप से संबंधित रेस्टौरेण्ट कबाब फ़ैक्टरी में जाया जाये।
खैर साहब हम सभी ने आज दोपहर के खाने की छुट्टी की
और शाम की रंगीन सोच में डूब गये।शाम को एक छोटी सी
ट्रेनिंग के बाद हम लोग अपने अपने वाहनों से पहुंच गये नोएडा
सेक्टर १८ के "कबाब फ़ैक्टरी" में।
शुरुआती दौर पर तीन तरह के कबाब पेश किये गये, ठीक ठाक थे।
कुछ ज़्यादा लज़्ज़तदार नही थे,उपर से चिकन मलाई कबाब परोसे गये जिनका
चिकन कई दिन से सडा हुआ था। खाने पर मालूम दिया कि चिकन खट्टा है,
और पकाया भी सही से नही गया है।
रेस्टोरेण्ट मैनेजर से कहा तो साला हमे ही पहाडे पढाने लगा।
हमने दिल को समझाया चलो कोई बात नही मेन कोर्स
में खाना अच्छा मिलने वाला है, रही सही कसर पूरी कर लेंगे।
अब बारी थी स्टार्टर्स के बाद मेन कोर्स की,हमने मेन्यू पूछा
मालूम हुआ कि सिर्फ़ दाल मखनी और दाल फ़्राई परोसी जाती है,
और एक वेजीटेरियन सब्ज़ी। भई अब तो हमारे सब्र का बांध टूटना ही था।
एक सेकण्ड में सीनियर मैनेजर मिस्टर शेखर और मास्टर शेफ़ मोहम्मद वकील साहब
तलब कर लिये गये, वो हमारे पास आये हमसे कुछ लम्हो तक गुफ़तगू की,
हमे गिनाने लगे कि किन किन नामी गिरामी शेफ़ व हस्तियों के साथ उन्होने
दाल पकाने का तजुर्बा हासिल किया है। उसी दाल को वो यहां पर अपने
पंच सितारा ग्राहकों को परोसते हैं। हमने पूछा कि भई
कबाब वगैरह खिलाने के बाद आप कुछ कोरमा वगैरह तो परोसिये,
कहने लगे कि भई यहां तो बस दाल ही परोसी जाती है।
पांच सितारा होटल के सितारे तो दूर की बात हमें तो वहां पर
कांटे ही कांटे नज़र आ रहे थे चारो ओर। सर्विस के नाम पर धब्बा।
कोई कटोरी रख कर जा रहा है तो चम्मच का कहीपता नही,
कोई पानी का गिलास रख कर जा रहा है तो मालूम नही पानी कब भरेगा।
खाना "ना" खाने के बाद जब हमसे मीठे के लिये पूछा गया तो
मालूम चला कि शाही टुकडा, फ़िरनी, गुलाब जामुन और मुज़ाफ़िर
नाम की डिश उप्लब्ध हैं हम सभी ने सोचा कि ट्रेलर इतना दकियानूसी था,
एण्डिंग अच्छी हो जाये शायद।
लेकिन यहां पर भी इन लोगो ने हमारी सोच की ऐसी तैसी कर डाली
शाही टुकडे के नाम पर दूध में भीगी हुई ब्रेड परोसी गई।
और दाम? बस पूछिये मत 900 रुपये प्रति व्यक्ति.......कुल मिला
कर मेरा अपना व्यक्तिगत अनुभव काफ़ी निराशाजनक रहा,
मै किसी भी भडासी या किसी अज़ीज़ को वहां खाने की सिफ़ारिश कभी नही करूंगा चूंकि
खाने को आप एक बार भूल भी सकते हैं, पर जिस बदतमीज़ी से वहां का
स्टाफ़ पेश आता है वो वाकई नाकाबिले बर्दाश्त है।
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पढिये कुछ अन्य लोगो की इस बारे में क्या राय है।
अंकित माथुर...
चलो भाई आपके अनुभव से फायदा हुआ कि कबाब फॅक्ट्री नही जाना।
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