कर्नाटक भा.ज.पा. और जनता दल (एस) का गठबन्धन की सुहागरात मनने से पहले ही तलाक हो गया इसमें किसकी गलती थी यह तो दोनो गठबन्धन करने पता लगायें किन्तु इस तरह के गठबन्धन को रोकने की कोई कानूनी या सामाजिक व्यवस्था होनी चाहिये क्योकि यदि कोई गठबन्धन होता है तथा कुछ दिन का तमाशा दिखा कर टूट जाता है तो निंशन्देह ही इससे जनता का धन और विश्वास दोनो का ही ह्रास होता है। क्या ये दोनो पार्टियाँ इसकी भरपाई ईमानदारी से करेंगी या इसकी भरपाई जनता स्वंय करें। यह तो शायद आने वाले चुनाव में ही पता लगेगा। परन्तु मेरी राय में इस तरह के मामले में राज्यपाल को भी पूरी तरह आश्वस्त होकर तथा यदि कानूनी रूप संभव हो तो लिखित समझोते के बाद ही बहुमत के लिए बुलाना चाहिये।
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