4.2.08

.......... तेरी तो

कौन रोकेगा हमें और किसकी मजाल।
हम यूपी-बिहार नही, हैं अपनी माओं के लाल।

हम अपने बाप-दादाओं के दम पर नहीं भोंकते।
राज करते हैं हम खुद ठोक कर ताल।

तेरी किस्मत ठीक है कि तू अपने बिल में है।
वर्ना साले नचा-नचा के मारते और कर देते गाल लाल।

कभी अईयो यूपी-बिहार मा तो दिखा देंगे।
तुम जैसे लोगो को किस तरह करते हैं halal।

abrar ahmad

2 comments:

  1. अस्सलाम अलैकुम अबरार भाईजान,सुन्दर भाव हैं मेरा तो इरादा भी यही था कि आज जो कोई पलट कर आया तो उसे जहन्नुमरसीद कर दूंगा पर उन सालों की किस्मत में मेरे हाथॊं से मरना नहीं था । लेकिन तुकबंदी में आपने एक बात से दुखी कर दिया भाई, सुअर को हलाल नहीं कर सकते ....
    जय भड़ास

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  2. भाईजान,डा०साहब की बातों में मत आना । झगड़ा करना खुद अपने आप में एक समस्या है उससे कोई समस्या हल नहीं होती और यही इल्जाम तो मुसलमानों पर लगा है कि वो हिंसक होते हैं नेता तो चाहते ही हैं कि हम सब आपस में लड़ते रहें और वे एक दूसरे के हाथों हमारे ही घर जलवा कर राजनीति की रोटियां सेंकते रहें ,हमें लड़ना है पर आपस में नहीं बल्कि देश की तमाम समस्याओं से.......
    भड़ास ज़िन्दाबाद

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