7.3.08
लैंगिक विकलांग लोगों को काम दिया लेकिन.....
अभी आप लोग सब खूब अच्छे मूड में रह कर कोई होली का बात कर रहा है और कोई पुराने दोस्त लोगों कि पर हम लोग की तो समस्याएं ही खत्म नहीं होती हैं । NGO चलाने वाले लोग खूब दिखावा करते हैं कि उन्होंने हमारे जैसे लैंगिक विकलांग लोगों को काम दिया लेकिन इस आड़ में वो लोग फ़ारेन फ़ंड्स और डोनेशन की मलाई छानते हैं । हम लोग महीना हर तक रेडलाइट एरिया में जा-जाकर कंडोम बांटते हैं ,ब्लड सैंपल कलेक्ट करने में हैल्प करते हैं और महीने के आखिर में ढ़ाई-तीन हजार रुपए पकड़ा देते हैं ये कह कर कि ये पगार नहीं बल्कि मानधन है । सब शोषण करते हैं तो ये भी कर रहे हैं ये मौका क्यों छोड़ेंगे लेकिन एक बात कि अगर वेश्याएं,भिखारी,हिजड़े समाप्त हो जाएं तो ये सारे NGO च्लाने वाले भीख मांगने लगेंगे । मैं चंद्रभूषण भाई और यशवंत सर को थैंक्स कहना चाहती हूं जिन्होंने डा.रूपेश भाई से बात करके हमारी तकलीफ़ को समझा ।
नमस्ते ,जय भड़ास
बात बिल्कुल सही कही मनीषा। और अगर किसी एनजीओ को यह काम करना ही है तो इसके लिए पहल किसी ईमानदार लैंगिक विकलांग साथी को ही लेनी चाहिए। इसके पक्ष में हमसे जहां भी, जो भी लिखने या बोलने को आप कहो, हम तैयार हैं।
ReplyDeleteबात बिल्कुल सही कही मनीषा। और अगर किसी एनजीओ को यह काम करना ही है तो इसके लिए पहल किसी ईमानदार लैंगिक विकलांग साथी को ही लेनी चाहिए। इसके पक्ष में हमसे जहां भी, जो भी लिखने या बोलने को आप कहो, हम तैयार हैं।
ReplyDeleteएक टिप्पणी भेजी थी, दिखी नहीं, सो दोहरा रहा हूं। मनीषा की बात बिल्कुल सही है। एनजीओ का धंधा जितने घपले वाला है, उसमें दो-तीन हजार भी किसी कार्यकर्ता को मिल जाएं तो वह भी बड़ी बात है। मेरे ख्याल से इस काम के लिए किसी ईमानदार लैंगिक विकलांग साथी की पहल से ही कोई एनजीओ खड़ा किया जाना चाहिए। इसके लिए किसी उचित मंच पर मेरे लिखने या बोलने से कोई फर्क पड़ने वाला हो तो बताएं, मैं तैयार हूं।
ReplyDeleteदीदी,आपको क्या लगता नहीं कि लोग आप की बात को पढ़ना तो दूर देखते तक नहीं है वरना जो लोग हगने मूतने और पादने की बात को पढ़ कर उस पर कमेंट देते हैं वो आप से मुंह छिपा रहे हैं । आप की अहमियत रिक्शाचालक रुस्तम दादा जितनी भी नहीं है समाज में या फिर लोग आपसे डर कर कन्नी काट लेते हैं क्योंकि आपके लिये उनके पास कोई जवाब नहीं है.....
ReplyDeleteजय जय भड़ास
डॉ. साहब, सुबह से मैं दो बार इस पोस्ट पर कमेंट भेज चुका, पता नहीं क्यों पब्लिश ही नहीं हो रहा है।
ReplyDeleteकोई टिप्पणी यहां पब्लिश क्यों नहीं हो रही है?
ReplyDeletedr. sab aap gali kyon dete hain didi ko mai padhta hoon, pr ve lajvab kr deti hain...kuchh kahte hi nhi bnta..
ReplyDeletedoctor sahab didi ke sath hamara sharir hi nahi atma bhi unke sath hai.bole to kaleja faar ke dikhaaun kya?
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