कई मित्रों, भड़ासियों, ज्ञात-अज्ञात साथियों ने अपने-अपने ब्लाग बने रखे हैं। वे उस पर अक्सर लिखते भी रहते हैं। पर दुर्भाग्य, उनके ब्लाग को कोई नहीं पढ़ता, कोई कमेंट नहीं करता, कोई वाह वाह या आह आह नहीं करता कहता। मैंने इनमें से कइयों को सजेस्ट किया कि भई, खुद को ब्लागवाणी, चिट्ठाजगत और नारद पर रजिस्टर्ड करा लो, लोग खुद ब खुद आपको पढ़ने चले आएंगे और आपके लिखे में दम रहा तो जरूर आह आह या वाह वाह करेंगे।
उन नए ब्लागर साथियों ने ऐसा किया भी पर इनके लिंक अभी तक कई ब्लाग एग्रीगेटरों के यहां रजिस्टर्ड नहीं हो पाया। मैंने कुछ नए ब्लागरों को मैथिली जी का मोबाइल नंबर भी दे दिया और कहा कि इस नंबर पर एसएमएस कर दीजिए पर तब भी काम नहीं हुआ।
अगर किसी एक दो ब्लाग का मामला होता तो मैं निजी तौर पर ब्लाग एग्रीगेटरों से अनुरोध करता पर ब्लाग कई हैं जो अच्छा खासा काम कर रहे हैं, पर उन्हें एग्रीगेटर भाव नहीं दे रहे। इसी के चलते मैं ये पोस्ट लिख रहा हूं ताकि इसी बहाने एग्रीगेटरों की नजरे इनायत इन नए ब्लागों व ब्लागरों की तरफ हो जाए।
अब अपने डा. रूपेश का ब्लाग आयुषवेद (http://aayushved.blogspot.com) को ही ले लीजिए। डाक्टर साहब अपने ब्लाग पर पूरे भारत वर्ष को घास फूस फूल पत्तियों के सहारे स्वस्थ करने का अभियान चलाए हुए हैं, बिलकुल मुफ्त लेकिन उनके इस नेक काम पर ब्लागवाणी की नजर नहीं है। संभवतः नारद ने खुद ब खुद आयुषवेद को अपने यहां रजिस्टर्ड कर लिया है, जैसा कि डाक्टर रूपेश ने मुझे पहले बताया था। इस बारे में ताजा अपडेट खुद डाक्टर रूपेश अपने कमेंट के जरिए दें कि उनका स्वास्थ्य संबंधी ब्लाग आयुषवेद अभी ब्लागवाणी पर आया या नहीं लेकिन मैं यह दावे से कह सकता हूं कि अभी नहीं आया। वजह ये कि आज जब मैं आयुषवेद पढ़ रहा था तो मार्च महीने के नौ दिनों में ही डाक्टर साहब ने नौ रोगों का इलाज फूल पौधों पत्तियों घास फूस के इस्तेमाल के जरिए बता दिया है और अगर इन नौ पोस्टों में से कोई मेरी निगाह के सामने ब्लागवाणी पर नहीं आई तो जाहिर है कि इस महत्वपूर्ण ब्लाग को ब्लागवाणी ने उपेक्षित कर रखा है।
अपने इलाहाबादी दोस्त विनीत खरे को ले लीजिए। भाई ने पान की दुकान (http://paankidukaan.blogspot.com) सजा रखी है पर ये एग्रीगेटर हैं कि कोई ग्राहक ही नहीं भेज रहे। बेचारे, दिन भर चूना कत्था सुपाड़ी रगड़ रगड़ के खुद ही खा रहे हैं और थूक रहे हैं। उम्मीद है, जब एग्रीगेटर इनकी दुकान को अपने बाजार में जगह देंगे तो इनके यहां भी ग्राहक आने लगेंगे।
इसी तरह डा. अजीत तोमर हरिद्वार वाले का कविताओं का एक ब्लाग है शेष फिर नाम से http://shesh-fir.blogspot.com, जिसे ब्लागवाणी पर रजिस्टर्ड कराने के लिए डाक्टर साहब ने मेरी सलाह के अनुसार खूब काम किया पर उनकी दाल न गली।
इसी तरह एक गंदी लड़की का ब्लाग है http://gandiladki.blogspot.com जो चुपचाप लिखे जा रही है पर उसे कोई नर नारी पूछ नहीं रहा, कोई एग्रीगेटर भाव नहीं दे रहा। उस अनाम कन्या ने भड़ास को मेल कर अपने ब्लाग को भड़ासियों के कोने में शामिल करने का अनुरोध किया तो उसे वहां शामिल कर लिया।
उपरोक्त तीन तो केवल उदाहरण मात्र हैं। असल संख्या तो पचास के आसपास पहुंचेगी।
मेरा ब्लागवाणी व अन्य समस्त ब्लाग एग्रीगेटरों से अनुरोध है कि भड़ास पर बाईं और बने भाई भड़ासियों का अपना कोना सेक्शन में जितने भी ब्लाग लिंक हैं, उनमें से ढेर सारे नए ब्लागरों के हैं। इन ब्लागों व ब्लागरों व हिंदी को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि स्थापित लोगों की भीड़ में इन नए लोगों को भी मौका दिया जाए ताकि क्या पता कल ये लोग ही सबसे बड़े ब्लागर बन जाएं। कल को कोई नहीं जानता। तो कृपया इन साथियों के ब्लागों को भी ब्लागवाणी, नारद, चिट्ठाजगत आदि अपने यहां जगह दें, इनकी फीड अपने यहां दिखाएं, इनको अपने यहां रजिस्टर्ड करें ताकि इनके लिखे को भी लोग पढ़ें जिससे इन लोगों का उत्साह बढ़े।
साथ ही मेरा एक अनुरोध है कि क्या ऐसा कोई सिस्टम नहीं बनाया जा सकता कि कोई भी नया ब्लाग ज्यों बने, और उस पर दो चार पोस्ट डले, ब्लाग एग्रीगेटरों को खुद ब खुद पता चल जाए और उसे अपने यहां वो खुद ब खुद रजिस्टर्ड कर लें। ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि उत्तर भारत के लाखों करोड़ों लोगों में से अब जब हर पढ़ा लिखा टेक्नोफ्रेंडली हिंदीवाला ब्लागर बनना चाहता है तो उसका उत्सावर्धन करना चाहिए और उन तक खुद ब खुद एग्रीगेटरों को पहुंचना चाहिए। तभी हिंदी का भला होगा और ब्लागिंग का भला होगा। वरना कुछ सैकड़ा लोग आपस में ही गपड़चौंथ करके खुद को सबसे बड़ा बुद्धिजीवी साबित करते रहेंगे और अपने ही लिखे को घंटों तक ब्लागवाणी व अन्य एग्रीगेटरों के यहां पढ़ पढ़ कर, पसंद कर, ज्यादा पढ़ाकर खुश होते रहेंगे।
जय भड़ास
यशवंत
DADA AAPNE AISE MUDDE KO UTHAAYA HAI JO HAR KISI BLOGGER KE MAN ME THA.AAPKE IS PRAYAS SE KUCHH SAMBHAVNAAE TO AVASHY JAGI HAI LEKIN AGGREGIATOR PAR KYA FARK PAREGA ,YAH TO AB DEKHNA HAI.
ReplyDeleteJAI BHADAS
JAI YASHVANT
DADA AAPNE AISE MUDDE KO UTHAAYA HAI JO HAR KISI BLOGGER KE MAN ME THA.AAPKE IS PRAYAS SE KUCHH SAMBHAVNAAE TO AVASHY JAGI HAI LEKIN AGGREGIATOR PAR KYA FARK PAREGA ,YAH TO AB DEKHNA HAI.
ReplyDeleteJAI BHADAS
JAI YASHVANT
दादा,बाकी लोगों के बारे में तो नहीं कह सकता पर मेरी निजी सत्यता तो यही है कि आपके कहने पर आयुषवेद बनाया है और किसी एग्रीगेटर पर जा कर नहीं देखता कि क्या चल रहा है । मेरे लिये आयुषवेद ब्लागिंग कम मेरे सेवाकार्य का हिस्सा अधिक है ,एग्रीगेटर हों या एलीगेटर मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता मैं तो "फोकट कंसल्टेंसी" खोल कर बैठे हैं किसे जिधर से पता चलेगा वो आयेगा और न आया तो भड़ासी तो आयेंगे ही जब मन करेगा तो......
ReplyDeleteएग्रीगेटर्स की हो सकता है भड़ास से कुछ खुन्नस हो तो क्या अब उन्हें पान-फूल-मेवा चढ़ाएं प्रसन्न करने के लिये कि प्रभु हमारा अस्तित्त्व भी सिद्ध कर दो....
ब्लाग एग्रीगेटर इन ब्लाग्स को शामिल कर लेंगे शायद आपकी यह पोस्ट पढ़कर। लेकिन मेरे ख्याल में अपनी उपस्थिति बताने का सबसे अच्छा कारगर तरीका अच्छे लेखन के साथ यह है कि ब्लाग लेखक दुसरे के ब्लाग पर जाये और अपी टिप्पणियां छोड़कर आये। इससे लोग आते हैं ब्लाग पर।
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